Lotan ke Chole-Kulche: सुबह 3 घंटे में ही बिक जाते हैं 400 प्लेट छोले-कुलचे, चावड़ी बाजार के लोटन भईया हर महीने कमा रहे हैं 3 लाख रुपये तक

Lotan ke Chole-Kulche: दिल्ली की तंग गलियों में अगर सुबह-सुबह खाने की खुशबू आपका ध्यान खींचे, तो समझ लीजिए आप चावड़ी बाजार के उस कोने में पहुंच चुके हैं, जहां लोटन छोले-कुलचे वाला हर दिन सुबह 7:30 बजे अपना ठेला लगाता है. जैसे ही ठेला सजता है, वैसे ही खाने वालों की लंबी कतार लग जाती है.

Lotan Chole Kulche
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 9:12 AM IST
  • सुबह सवेरे लग जाती है दुकान
  • महीने में 3 लाख से ज्यादा का मुनाफा

दिल्ली की पहचान जितनी ऐतिहासिक इमारतों से है, उतनी ही इसकी गलियों में मिलने वाले स्ट्रीट फूड से भी है. यहां हर मोड़ पर छोले-कुल्चे, गोलगप्पे, आलू टिक्की और पराठों की खुशबू भूख जगा देती है लेकिन बात जब छोले-कुल्चे की हो, तो कुछ नाम ऐसे हैं जो स्वाद के मामले में हर बार दिल जीत लेते हैं.

सुबह सवेरे लग जाती है दुकान
दिल्ली की तंग गलियों में अगर सुबह-सुबह खाने की खुशबू आपका ध्यान खींचे, तो समझ लीजिए आप चावड़ी बाजार के उस कोने में पहुंच चुके हैं, जहां लोटन छोले-कुलचे वाला हर दिन सुबह 7:30 बजे अपना ठेला लगाता है. जैसे ही ठेला सजता है, वैसे ही खाने वालों की लंबी कतार लग जाती है.

महीने में 3 लाख से ज्यादा का मुनाफा
लोटन के छोले-कुलचे के एक प्लेट की कीमत सिर्फ 40 रुपये है, लेकिन इसके स्वाद की कोई कीमत नहीं. हर दिन उनके करीब 400 प्लेट छोले-कुलचे बिक जाते हैं, और वो भी महज 2 से 3 घंटे के अंदर. दोपहर होने से पहले ही उनका पूरा माल खत्म हो जाता है. अंदाजा लगाया जाए तो रोजाना 16,000 रुपये की बिक्री, और महीने में लगभग 3 लाख तक का मुनाफा, वो सिर्फ 3-4 घंटे की मेहनत में ही कमा लेते हैं.

70 सालों से दिल्ली वालों की पहली पसंद
लोटन के छोले-कुलचे की दुकान पिछले 70 सालों से भी ज्यादा वक्त से यहां के खाने के शौकीनों का दिल जीत रही है. न तो इस दुकान का कोई बड़ा नाम है और न ही कोई हाई-फाई सेटअप, लेकिन स्वाद ऐसा कि एक बार खाएंगे तो बार-बार लौटकर आएंगे. यहां के छोले में मसालों का ऐसा संतुलन और कुल्चे में ऐसी नरमी कि मुंह में जाते ही घुल जाएं.

छोले-कुलचे बेचने की शुरुआत साल 1930 में लोटनजी ने पुरानी दिल्ली की गली शाहजी (बड़साबूला चौक) से की थी. इसके बाद यह काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा. पहले उनके बेटे पूरनचंद ने इसे संभाला, फिर पूरनचंद के बेटे अशोक ने जिम्मेदारी ली. अशोक के बाद उनके तीन बेटे महावीर, दीपक और ओमप्रकाश इस पारंपरिक स्वाद की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

क्या है खास इस दुकान में?
इस दुकान की खास बात है इसका घरेलू स्टाइल और सालों पुरानी रेसिपी. छोले में मसाले बिलकुल सही मात्रा में, ऊपर से डाले गए प्याज, हरी मिर्च और नींबू का तड़का इसे और भी खास बना देता है. हां तक कि कुल्चे भी हर दिन ताजे और मुलायम बनते हैं, जो स्वाद को और बेहतर बना देते हैं.

अगर आप दिल्ली में हैं और असली छोले-कुल्चे का स्वाद चखना चाहते हैं, तो इस दुकान पर एक बार जरूर जाएं. ये सिर्फ खाना नहीं, बल्कि दिल्ली के खानपान की विरासत का हिस्सा है. यहां रोजाना सैकड़ों लोग लाइन में लगते हैं, सिर्फ इस खास स्वाद को दोबारा जीने के लिए.

 

Read more!

RECOMMENDED