अमेरिका में कॉलेज पार्टियों का सबसे बड़ा सिंबल माने जाने वाले रेड सोलो कप्स को लोग एक बार इस्तेमाल करके कचरे में फेंक देते हैं. यह कप्स न तो आसानी से रीसाइकिल हो पाते हैं और न ही रीसाइकिलिंग प्लांट्स के पास इन्हें प्रोसेस करने की मशीनरी होती है. लेकिन इन्हीं वेस्ट कप्स को एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने अपनी क्रिएटिविटी से नई लाइफ दी है. रेड कप्स से बने उसके स्वेटर और बीनी कैप्स आज मार्केट में हजारों रुपए में बिक रहे हैं और उसकी ब्रांड की डिमांड इतनी है कि कलेक्शन लॉन्च होते ही चंद घंटों में आउट ऑफ स्टॉक हो जाता है.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट ने शुरू की जर्नी
ये कहानी है लॉरेन चोई की, जो जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की स्टूडेंट रही हैं. लॉरेन को शुरू से ही सस्टेनेबल फैशन में दिलचस्पी थी. कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने सोचना शुरू कर दिया था कि आखिर ऐसे वेस्ट प्रोडक्ट्स को कैसे फैशन में बदला जा सकता है. 2020 में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया.
शुरुआत में उन्होंने अपने पैरेंट्स के गैराज में खुद एक मशीन बनाने की कोशिश की, जो इन कप्स को धागे में बदल सके. हालांकि यह सफल नहीं हुआ. बाद में ग्रांट फंडिंग मिली और उन्होंने एक एक्सट्रूडर मशीन खरीदी. यही मशीन उनके सपने को हकीकत बनाने का पहला कदम बनी.
कप से धागा और धागे से फैशन
लॉरेन ने सोलो और हेफ्टी जैसी कंपनियों के बनाए कप्स को इकट्ठा किया और उन्हें शेड करके धागे में बदला. लेकिन समस्या यह थी कि प्लास्टिक का धागा पहनने लायक सॉफ्ट और आरामदायक नहीं होता. इसके लिए उन्होंने दो इंजीनियरिंग कॉलेजों की मदद ली, जिन्होंने एक नॉन-टॉक्सिक और नैचुरल मटेरियल तैयार किया. इस मटेरियल ने कप्स से बने धागे को ऐसा टच दिया कि वह न सिर्फ मुलायम हो गया बल्कि सीधे निटवेयर में इस्तेमाल होने लायक भी बन गया.
उनका यह इनोवेशन देख बड़ी कंपनियां भी आगे आईं. हेफ्टी की पैरेंट कंपनी रेनॉल्ड्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने उन्हें और फंडिंग दी. इसके बाद उनका सप्लाई चेन नॉर्थ कैरोलिना और वर्जीनिया में सेटअप हुआ, जहां कप्स से धागा बनता है और फिर यह धागा ब्रुकलिन की 3D निटिंग फैक्ट्री भेजा जाता है.
माइक्रोप्लास्टिक शेडिंग की समस्या का हल
लॉरेन की टेक्निक सिर्फ कप्स को कपड़ों में बदलने तक सीमित नहीं है. उन्होंने यह भी कोशिश की कि फैशन के नाम पर प्रदूषण न पैदा हो. आमतौर पर पॉलिएस्टर या सिंथेटिक फाइबर से बने कपड़े हर धुलाई में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ते हैं, जो पानी और हवा दोनों को प्रदूषित करते हैं. लेकिन लॉरेन ने ‘फिलामेंट यार्न’ का इस्तेमाल किया, जो लगातार चलने वाला धागा होता है और इससे माइक्रोप्लास्टिक शेडिंग की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाती है.
साथ ही, 3D निटिंग टेक्निक ने फैब्रिक वेस्ट को भी खत्म कर दिया. कट-एंड-सीव टेक्निक में बड़ी मात्रा में फैब्रिक स्क्रैप बर्बाद हो जाता है, लेकिन 3D निटिंग से मशीन से सीधे पूरा गारमेंट बिना किसी सिलाई के निकलता है.
कप के रंग ही बने डिजाइन की पहचान
लॉरेन के कलेक्शन में इस्तेमाल होने वाले पेस्टल शेड्स जैसे पीला, हरा, नीला और गुलाबी किसी आर्टिफिशियल डाई से नहीं बल्कि सीधे कप्स के अपने रंगों से आते हैं. यानी इनोवेशन के साथ उन्होंने नैचुरल कलर्स का भी बेहतरीन इस्तेमाल किया.
घंटों में पूरा कलेक्शन आउट ऑफ स्टॉक
लॉरेन ने अपनी कंपनी का नाम The New Norm Collective रखा है. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, जब भी इनके प्रोडक्ट्स लॉन्च होते हैं, कुछ ही घंटों में पूरा कलेक्शन आउट ऑफ स्टॉक हो जाता है और हजारों डॉलर की सेल हो जाती है. उनके स्वेटर्स की कीमत 45 से 85 डॉलर (करीब 4 से 7 हजार रुपए) तक होती है.