करीब डेढ़ साल पहले, कर्नाटक के कालाबुर्गी जिले में एक छोटा-सा काम शुरू हुआ- ज्वार की रोटियां बनाना. यह काम जिला प्रशासन के सहयोग से शुरू हुआ और आज इसने सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया है. अब ये महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर छोटे-छोटे बिज़नेस चला रही हैं, और कमाई कर रही हैं.
उनकी बनाई रोटियां, "कालाबुर्गी रोटी" के नाम से मशहूर हैं. ये रोटियां अब पूरे राज्य में पसंद की जा रही हैं, खासकर सेहत के प्रति जागरूक लोगों के बीच. ज्वार के आटे से बनी रोटियां सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है.
इस संगठन से हर दिन करीब 3,000 रोटियां और स्वादिष्ट चटनियां बेची जा रही हैं. रोटियों के कई प्रकार हैं जैसे सॉफ्ट, कड़क, सज्जे, धापती और सेंगड़ा होलिगी. इन्हें आप Amazon और www.kalaburagirotti.com जैसी वेबसाइटों से ऑनलाइन मंगवा सकते हैं.
डिप्टी कमिश्नर ने कराई शुरुआत
इस पहल की शुरुआत डिप्टी कमिश्नर फौज़िया तरन्नुम ने की थी, उन्होंने देखा कि जिले में ज्वार और बाजरा खूब उगता है और सोचा कि क्यों न इससे रोटी बनाकर महिलाओं को रोजगार दिया जाए. आज 150 महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) इस काम से जुड़ चुके हैं. हर समूह में करीब 6 महिलाएं होती हैं. ये महिलाएं रोटियां बनाकर सहकारी समिति को देती हैं, जो फिर उन्हें आगे बेचती है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कई महिलाएं अब हर दिन ₹250 तक कमा लेती हैं. जिला प्रशासन ने इन महिलाओं को रोटी बनाने की मशीनें भी दिलवाईं ताकि उनका काम आसान हो सके. रोटी में इस्तेमाल होने वाला ज्वार ‘मालदंडी’ किस्म का है, जो स्थानीय रूप से उगाया जाता है और सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.
सेहत के लिए फायदेमंद
तरन्नुम ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लोग आजकल चावल और गेहूं ज्यादा खा रहे हैं जिससे कई महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित हो रही हैं. इसलिए उन्होंने सोचा कि रोटी को फिर से लोगों के खाने में शामिल किया जाए. इस योजना से किसानों को अच्छी कीमत, महिलाओं को काम, और लोगों को सेहतमंद खाना मिल रहा है, यानी सबके लिए फायदेमंद है.
अब तो बेंगलुरु के HSR लेआउट में भी ‘कलबुर्गी रोटी’ की दुकान खुल चुकी है. यहां से Zomato, Swiggy पर भी ऑर्डर किया जा सकता है. एक QR कोड भी बनाया गया है जिससे लोग आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकें. फूड एक्सपर्ट भी इस पहल की तारीफ कर रहे हैं. ज्वार और बाजरे से बनी रोटियां डायबिटीज, बीपी और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद हैं. अब ‘कालाबुर्गी रोटी’ को कर्नाटक के स्वाद के रूप में पूरे राज्य में पहचान दिलाने की कोशिश हो रही है और यह पहल बहुत सफल साबित हो रही है.