Nandini Milk Eco friendly Packaging: देश में पहली बार! प्लास्टिक नहीं कॉर्न स्टार्च से बने पैकेट्स में पैक हो रहा नंदिनी मिल्क, ट्रायल हुआ सफल

वर्तमान में, BAMUL हर दिन लगभग दो लाख बायोडिग्रेडेबल दूध और दही के पैकेट डिस्ट्रिब्यूट कर रहा है.

Nandini Milk, Karnataka
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST

कर्नाटक की नंदिनी मिल्क कंपनी भारत में कॉर्न यानी मक्के के स्टार्च से बने बायोडिग्रेडेबल दूध के पैकेट पेश करने वाली पहली कंपनी बन गई है. BAMUL (बंगलुरु मिल्क यूनियन लिमिटेड) ने डेयरी इंडस्ट्री से होने वाले प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के तहत इस पहल की घोषणा की है. 

कब शुरू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट?
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर बंगलुरु के पास कनकपुरा मेगा डेयरी में इस पायलट प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी. वर्तमान में, BAMUL हर दिन लगभग दो लाख बायोडिग्रेडेबल दूध और दही के पैकेट डिस्ट्रिब्यूट कर रहा है. 

कितने साइज में उपलब्ध हैं पैकेजिंग पैकेट्स?
मक्के के स्टार्च से बने पैकेजिंग पैकेट्स फिलहाल 200 मिली से एक लीटर तक के साइज में हैं. इन पैकेट्स का इस्तेमाल हुनासनहल्ली गांव और आसपास के इलाकों में किया जा रहा हैं. 

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कैसा है रिस्पॉन्स
पायलट ट्रायल से पता चला है कि 

  • इन पैकेट्स में कोई लीकेज नहीं है
  • दूध या दही की क्वालिटी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. 
  • ग्राहक इन पैकेट्स के इस्तेमाल से संतुष्ट हैं. 

इन पैकेट्स की खासियत क्या है? 

  • नए लॉन्च किए गए इको-फ्रेंडली मिल्क पैकेट्स की देखने और महसूस करने में बिल्कुल पारंपरिक प्लास्टिक जैसे ही हैं.
  • ये पैकेट्स प्लास्टिक के नहीं बल्कि प्लांट बेस्ड हैं. 
  • इन्हें मक्के से मिलने वाल स्टार्च से बनाया गया हैं. 
  • पारंपरिक पॉलीथीन के मिल्क पैकेट्स को सड़ने में 500 साल से ज़्यादा लग सकते हैं. 
  • ये पर्यावरण-अनुकूल दूध के पैकेट्स सिर्फ़ छह महीनों में प्राकृतिक रूप से गल हो जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है. 
  • सबसे अच्छी बात यह है कि इसे जैविक खाद में बदला जा सकता है, जो खेतों के लिए फ़ायदेमंद है. 

प्लास्टिक कचरा पर पड़ेगा क्या असर?

  • नंदिनी मिल्क पहले हर दिन लगभग 20 से 25 लाख प्लास्टिक पैकेट का इस्तेमाल करता था.
  • इससे बंगलुरु में शहरी प्लास्टिक कचरे की समस्या बढ़ रही थी. 
  • इस नई बायोडिग्रेडेबल दूध पैकेजिंग से लैंडफिल की समस्या में भारी कमी आने की उम्मीद है. 
  • इससे शहर के पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी. 

आगे क्या है प्लान? 
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद, BAMUL अब कर्नाटक में नंदिनी के सभी मिल्क प्लांट्स में बायोडिग्रेडेबल मिल्क पैकेजिंग लागू करने की योजना बना रहा है. अगर इसे पूरे राज्य में लागू किया जाता है, तो यह भारत में सस्टेनेबल डेयरी प्रैक्टिस के लिए एक सशक्त मिसाल कायम कर सकता है और संभावित रूप से सालाना हज़ारों टन प्लास्टिक कचरे को कम कर सकता है. 

GNTTV.Com के हिसाब से यह बहुत ही उम्दा पहल है. यह पहली बार है जब भारत में किसी दुग्ध महासंघ ने बड़े पैमाने पर बायोडिग्रेडेबल दूध पैकेजिंग की दिशा में कदम उठाया है. यह कदम दूसरी डेयरी सहकारी समितियों और प्राइवेट मिल्क प्रोड्यूसर्स के लिए एक मिसाल बन सकता है.

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