New Labour Law: लॉन्ग टर्म के लिए मिलेगी वित्तीय सुरक्षा, ईपीएफ और ईपीएस का मिलेगा ज्यादा लाभ.. लेकिन सिकुड़ जाएगी इन-हैंड सैलरी

नए लेबर लॉ में यह बात कही गई हैं कि कंपनी को किसी भी कर्मी के सीटीसी का 50 प्रतिशत हिस्सा बतौर बेसिक-पे के अंडर रखना होगा. अभी तक कंपनियां बेसिक-पे को कम रखती थी और अन्य कई भत्ते रखती थी. जिससे इन-हैंड में ज्यादा पैसे आते थे.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

भारत के नए लेबर कोड को इस तरह तैयार किया गया कि एक कर्मी अपने रिटायरमेंट के समय ज्यादा से ज्यादा बेनफिट पा सके. वैसे लॉन्ग टर्म में देखा जाए तो हर कोई यही सोचेगा कि रिटायरमेंट से समय उसे ज्यादा फायदे मिलें. लेकिन इन फायदों की कीमत उसे वर्तमान समय में चुकानी पड़ सकती है. इसके पीछे हैं उसका सैलरी स्ट्रक्चर, लेकिन अगर उसे रिटायरमेंट के समय ज्यादा फायदा लेना है तो उसे सैलरी स्ट्रक्चर के साथ समझौता करना पड़ सकता है. जिसका सीधा असर उसका टेक-हैंड पर पड़ेगा. 

नए लेबर लॉ में यह बात कही गई हैं कि कंपनी को किसी भी कर्मी के सीटीसी का 50 प्रतिशत हिस्सा बतौर बेसिक-पे के अंडर रखना होगा. अभी तक कंपनियां बेसिक-पे को कम रखती थी और अन्य कई भत्ते रखती थी. जिससे इन-हैंड ज्यादा पैसे आते थे. लेकिन इस नए लेबर लॉ के तहत जब ज्यादा बेसिक-पे होगा, तो इसके अनुसार ईपीएफ और ईपीएस ज्यादा हो जाएगा, जिसका फायदा रिटायरमेंट पर मिलेगा. लेकिन फिर वर्तमान में इन-हैंड पर इसका असर पड़ेगा.

क्या होगा इस लेबर लॉ का फायदा
नए लेबर लॉ से बेशक कर्मी के हाथ में आने वाली इन-हैंड सैलरी कम हो जाए, लेकिन लॉन्ग टर्म में उसकी सिक्योरिटी ज्यादा हो जाएगी. तो वहीं अगर कंपनियों को ज्यादा इन-हैंड देना तो उन्हें सीटीसी को बढ़ाना पड़ेगा. नए लेबर लॉ का असर कंपनी पर पड़ेगा, क्यों कंपनी की तरफ से पीएफ में जाने वाला पैसा और ग्रेचुटी का अमाउंट भी इससे बढ़ेगा. जिसका फायदा लॉन्ग टर्म में सीधे कर्मी को ही मिलेगा. लेकिन वर्तमान समय में उसका इन-हैंड अमाउंट कम जरूर हो जाएगा.

क्या है इस नए लॉ का मकसद?
इसका मकसद केवल एक है कि कम्पनसेशन स्ट्रक्चर को फॉर्मल रूप दिया जाए, जिससे कर्मियों की वित्तीय स्थिति को मज़बूत किया जा सके. साथ भी भविष्य के लिए भी उनकी फाइनेनशियल स्थिति को मजबूत किया जा सके. लेकिन कर्मियों के लिए यह दिक्कत भी है कि अगर उनकी कंपनी ने उनके सीटीसी में बढ़ोतरी नहीं की, तो उन्हें कम इन-हैंड मिलेगा, जो उनके लिए शायद थोड़ी दिक्कतें खड़ी कर दे.

 

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