H 1B Visa Lottery System: लॉटरी सिस्टम नहीं... सैलरी के आधार पर मिलेगा H-1B वीजा... ट्रंप प्रशासन ने क्यों लिया ऐसा फैसला... भारतीय युवा पेशेवर होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित 

H 1B Visa: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 100000 डॉलर की भारी-भरकम शुल्क लगाने के बाद एक और झटका दिया है. अब लॉटरी सिस्टम से वीजा किसी को नहीं दिया जाएगा बल्कि सैलरी के आधार पर वीजा देने का प्रावधान होगा. इससे भारतीय युवा पेशेवरों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं.

H 1B Visa
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:15 PM IST

डोनल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बने हैं, तब से दुनिया को झटका पर झटका दे रहे हैं. टैरिफ बम फोड़ने के बाद अब नए एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 100000 डॉलर की भारी-भरकम शुल्क लगा दिया है.

इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को H-1B वीजा को लेकर नया प्रस्ताव लाया है. इसके तहत अब लॉटरी सिस्टम से वीजा किसी को नहीं दिया जाएगा बल्कि सैलरी के आधार पर वीजा देने का प्रावधान होगा. ट्रंप सरकार का कहना है कि इस फैसले से अमेरिका के लोगों को नौकरियों का स्कोप बढ़ेगा. ट्रंप के इस फैसले से सबसे अधिक भारतीय युवा पेशेवर प्रभावित होंगे क्योंकि H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं. 

सबसे पहले जानिए क्या है H-1B Visa
H-1B वीजा की शुरुआत 1990 में हुई थी. एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. इसे वर्कर वीजा भी कहा जाता है. एच-1 बी वीजा आमतौर पर उन लोगों को दिया जाता है जो अमेरिका में काम करने के लिए जाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ये वीजा अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है, जिनकी अमेरिका में कमी है. इस वीजा की अवधि तीन साल की होती है, जिसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है.  एच-1बी वीजा के जरिए अमेरिका दूसरे देशों के होनहार लोगों जैसे वैज्ञानिक, इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोग्रामर को अपने मुल्क में काम कराने के लिए आमंत्रित करता है.

सैलरी के आधार पर वीजा देने का होगा प्रावधान 
H-1B वीजा हर साल 85000 लोगों को दिया जाता है, जिसमें 65000 सामान्य कैटेगरी और 20000 उच्च डिग्री धारकों के लिए आरक्षित हैं. अभी वीजा चयन का काम लॉटरी सिस्टम से होता है. इस तरह नया ग्रेजुएट हो या सीनियर कर्मचारी, सबको बराबर मौका मिलता है लेकिन अब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने लॉटरी सिस्टम खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. अब सैलरी के आधार पर वीजा देने का प्रावधान होगा. नए प्रावधान के तहत वीजा का चयन एक चार-स्तरीय वेतन प्रणाली पर होगा. ये सिस्टम अमेरिका में काम का सपना देख रहे भारतीयों के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें पैदा करेगा.

अब वीजा चयन एक चार-स्तरीय वेतन प्रणाली पर होगा
लेवल 1: एंट्री-लेवल कर्मचारी.
लेवल 2: योग्य प्रोफेशनल.
लेवल 3: अनुभवी पेशेवर.
लेवल 4: वरिष्ठ और अत्यधिक विशेषज्ञ

छोटे स्टार्टअप्स को होगा नुकसान 
अधिक सैलरी वाले आवेदनों को पहले मंज़ूरी मिलेगी. अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि सैलरी के आधार पर वीजा देने से कम वेतन पर विदेशियों की भर्ती पर रोक लगेगी और अमेरिकी कर्मचारियों के लिए नौकरी के अवसर सुरक्षित रहेंगे. आपको मालूम हो कि बड़ी संख्या में उच्च श्रेणी के कुशल इंजीनियर और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स भारत और अन्य देशों से H-1B वीजा के जरिए अमेरिका जाते हैं.

यदि शुल्क और वेतन आधारित प्राथमिकता लागू हो गई तो स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय विदेशी प्रतिभा को आकर्षित नहीं कर पाएंगे क्योंकि ये कम सैलरी पर कर्मचारियों को हॉयर करते हैं. अब कंपनियों के लिए भारतीय इंजीनियर और टेक्निकल एक्सपर्ट को अमेरिका भेजना बेहद मंहगा हो गया है. अब  100000 की फीस लगने के चलते कई कंपिनयां H-1B वीजा पर भारतीयों को भर्ती करने से बचेंगी. ऐसे में एंट्री लेवल इंजीनियर और नए ग्रेजुएट्स के लिए वीजा मिलना कठिन होगा, क्योंकि इनका वेतन कम होता है.

H-1B वीजा पर पहले कितना लगता था शुल्‍क 
पुराने सिस्टम में H-1B वीजा आवेदन फीस, वकील की फीस और अन्य प्रोसेसिंग चार्ज मिलाकर लगभग 5000 से 10000 डॉलर तक का खर्च आता था. डोनल्‍ड ट्रंप ने अब इसके ऊपर 100000 डॉलर की एक्‍स्‍ट्रा फीस लगा दी है. इसका मतलब है कि H-1B वीजा लेने के लिए अब 110000 डॉलर तक की फीस देनी होगी.


 

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