आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली समिति ने 15 साल पहले साल 2014 में गरीबी मापने के सिस्टम की समीक्षा के लिए समिति बनी थी. उसके बाद अब पिछले हफ्ते आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के अर्थशास्त्रियों ने एक रिसर्च पेपर निकाला. जिसमें 2022-23 के लिए सरकार के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) का इस्तेमाल करके भारत के 20 राज्यों के लिए रंगराजन गरीबी रेखा को अपडेट किया. इस नए आंकड़ों में गरीबी पहले की तुलना में 40 फीसदी कम हुई है.
बिहार और ओडिशा में कम हुई गरीबी-
साल 2011-12 के मुकाबले साल 2022-23 में गरीबी काफी कम हो गई है. इस एक दशक में ओडिशा और बिहार में सबसे ज्यादा गरीबी कम हुई है. साल 2011-12 में ओडिशा में ग्रामीण गरीबी 47.8 फीसदी थी, जो साल 2022-23 में घटकर 8.6 फीसदी रह गई है. ओडिशा में ग्रामीण गरीबी में देश में सबसे बड़ी गिरावट है. अगर बात शहरी गरीबी में कमी की हो तो बिहार सबसे ऊपर है. बिहार में शहरी गरीबी में सबसे ज्यादा कमी आई है. साल 2011-12 में बिहार के शहरी इलाके में गरीबी 50.8 फीसदी थी. जबकि साल 2022-23 में शहरी गरीबी सिर्फ 9.1 फीसदी रह गई है.
केरल और हिमाचल प्रदेश में सबसे कम रही गरीबी-
गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के प्रतिशत में गिरावट केरल और हिमाचल प्रदेश में सबसे कम रही. साल 2022-23 में केरल में ग्रामीण गरीबी 1.4 फीसदी थी. जबकि साल 2011-12 में ये 7.3 फीसदी थी. जबकि शहरी क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश में गिरावट सबसे कम रही. साल 2011-12 में 8.8 फीसदी थी, जो घटकर 2 फीसदी हो गई है. आपको बता दें कि केरल और हिमाचल प्रदेश में गरीबी का स्तर सबसे कम है.
साल 2022-23 में ग्रामीण गरीबी हिमाचल प्रदेश में सबसे 0.4 फीसदी और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 25.1 फीसदी रही. जबकि शहरी गरीबी तमिलनाडु में सबसे कम 1.9 फीसदी और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 13.3 फईसदी रही. आपको बता दें कि रंगराजन समिति के अनुमानित अखिल भारतीय ग्रामीण और शहरी गरीबी रेखाओं को आरबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपनी स्टडी में अपडेट नहीं किया था.
गरीबी हमेशा से चर्चा का विषय-
भारत में गरीबी पर हमेशा से चर्चा होती रही है. साल 2025 के जनवरी में एसबीआई रिसर्च ने 2023-24 के HCES आंकड़ों का इस्तेमाल करके अनुमान लगाया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 4.86 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 4.09 फीसदी थी. ये अनुमान मुद्रास्फीति-समायोजित 2023-24 की गरीबी रेखा पर आधारित थी, जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1632 रुपए और शहरी क्षेत्रों के लिए 1944 रुपए थी.
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