खेती-किसानी से भी लाखों रुपए कमाया जा सकता है. जी हां, ऐसा झारखंड के एक किसान ने कर दिखाया है. रांची स्थित टाटीसिलवे के किसान भदया महतो की एक फल की खेती से किस्मत चमक गई है.
वह तरबूज की खेती कर लखपति बन गए हैं. भदया महतो का कहना है कि उन्होंने एक दिन में डेढ़ लाख रुपए तक का तरबूज बेचा है. भदया महतो तरबूज की बंपर पैदवार कर आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गए हैं. वह दूसरे किसानों को राह दिखा रहे हैं. भदया महतो की देखादेखी अन्य किसानों ने भी तरबूज की खेती करनी शुरू कर दी है. वे भी अच्छी कमाई कर रहे हैं.
इतने एकड़ में कर रहे तरबूज की खेती
भदया महतो बताते हैं कि शुरू में वे पारंपरिक खेती करते थे. धान-गेहूं उपजाते थे. इसमें लगात और मजदूरी दोनों अधिक लगता था और मुनाफा कम होता था. किसी तरह से घर-परिवार चल पा रहा था. इसके बाद उन्होंने तरबूज की खेती करने की सोची. उन्होंने अपनी सात एकड़ जमीन पर तरबूज लगाया. तरबूज की पहली ही फसल ने उन्हें लखपति बना दिया.
तगड़ी कमाई
भदया महतो बताते हैं कि स्कूली शिक्षा पूरी नहीं होने के बावजूद उनमें खेती का जुनून हमेशा रहा. वह बताते हैं कि इस साल उन्होंने दो ट्रकों पर 20 टन तरबूज एक ही दिन में कोलकाता भेजा था. इससे उन्हें तगड़ी कमाई हुई. भदया महतो बताते हैं कि तरबूज के अलावा उन्होंने स्ट्रॉबेरी की भी खेती की है. 50 डिसमिल जमीन पर तीन क्विंटल से अधिक स्ट्रॉबेरी हुई. इससे उन्हें एक लाख रुपए से अधिक की आमदनी हुई. भदया महतो बताते हैं कि वह टमाटर और प्याज की भी खेती करते हैं. इससे भी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है.
कब से कर सकते हैं तरबूज की बुआई
तरबूज की बुआई जनवरी महीने से शुरू हो जाती है और मार्च महीने के अंत तक इसकी हार्वेस्टिंग होती है. कुछ जगहों पर इसकी बुवाई फरवरी में होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च और अप्रैल तक तरबूज की बुआई की जाती है. नदियों के किनारे नवंबर से जनवरी के बीच तरबूज की खेती कर सकते हैं. तरबूज की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती के लिए 24 डिग्री से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए. तरबूज की फसल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है.
तरबूज के बीजों को बोना चाहिए मेड़ों पर
तरबूज की बुआई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्नत किस्मों का ही बीज लगाएं. शुगर बेबी, अर्का ज्योति, पूसा बेदाना को उन्नत किस्म का माना जाता है. ये किस्में जल्दी तैयार हो जाती हैं. तरबूज की खेती करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए.
खेत की मिट्टी को एकदम भुरभुरा कर देना चाहिए. इसके बाद मिट्टी में गोबर की खाद को मिला देना चाहिए. तरबूज के बीजों को मेड़ों पर बोना चाहिए. पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए. तरबूज की बुवाई के 5 से 7 दिनों के अंतराल पर और फलने के बाद 8 से 10 दिनों के अंतराल पर फसल की सिंचाई जरूर करें. सिंचाई करते समय यह ध्यान रखें कि मेड़ बहुत ज्यादा गीला न हों. अन्य फसलों की तरह तरबूज को भी रोग और कीट से बचाए रखने की जरूरत होती है. डिनोकैप या कार्बेन्डाजिम को पानी में मिलाकर हर 15 दिन में 2-3 बार स्प्रे करना चाहिए.