Success Story: IT सेक्टर में लाखों की जॉब छोड़ी... शुरू की धन्य धेनू फूड ब्रांड... सैकड़ों महिलाओं को दिया काम... सालाना कमाई 2 करोड़

44 साल के हरिओम बेंगलुरु में आईटी सेक्टर में काम करते थे और ऑफिस के बाद फ्रीलांसिंग से हर महीने एक लाख रुपये से ज़्यादा कमाते थे. उनकी जिंदगी कंफर्टेबल और लैविश थी लेकिन फिर भी उन्हें अंदर से खालीपन महसूस होता था.

Hariom Nautiyal, Founder, Dhanya Dhenu
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले हरिओम नौटियाल 'Dhanya Dhenu' नामक ब्रांड चलाते हैं. उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर डेयरी सेक्टर में शुरुआत की और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही, बहुत से लोगों को रोजगार दे रही हैं. 44 साल के हरिओम बेंगलुरु में आईटी सेक्टर में काम करते थे और ऑफिस के बाद फ्रीलांसिंग से हर महीने एक लाख रुपये से ज़्यादा कमाते थे. उनकी जिंदगी कंफर्टेबल और लैविश थी लेकिन फिर भी उन्हें अंदर से खालीपन महसूस होता था.

हरिओम ने स्टार्टअपपीडिया को बताया, “मैं शुरू से ही खुद का बिज़नेस करना चाहता था. मुझे लगने लगा था कि मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं, लेकिन मेरी मेहनत का असली फायदा मुझे नहीं मिल रहा. मैं ऐसा कुछ करना चाहता था जो दूसरों की ज़िंदगी पर भी असर डाले.”

गांव में वापसी और शुरुआत की योजना
2009 में उन्होंने शहर की ज़िंदगी छोड़ दी और अपने गांव लौट आए. हालांकि, फ्रीलांस का काम जारी रखा. गांव में किसानों और स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद उन्हें लगा कि दूध बेचने और इससे जुड़े उत्पादों का कारोबार एक अच्छा विकल्प हो सकता है. 

धन्य धेनु की शुरुआत
2014 में हरिओम ने ‘धन्य धेनु’ नाम से अपनी फूड ब्रांड की शुरुआत की. उन्होंने करीब 10–15 लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें गौशाला बनवाना, 10–12 गायें खरीदना और दूध बेचने की शुरुआत शामिल थी. उन्होंने अपनी जमा पूंजी से शुरुआत की और खेती-किसानी से जुड़े सरकारी योजनाओं के तहत 50–80% सब्सिडी वाली मदद भी ली.

आसान नहीं था रास्ता 
यह काम हरिओम के लिए नया था, इसलिए दूध बेचना और ग्राहकों को जोड़ना बहुत मुश्किल साबित हुआ. हरिओम बताते हैं, “मैं रोज़ सुबह 2 बजे उठता, गायों का ध्यान रखता और दूध निकालता। लेकिन गांव में पहले से लोग अपने दूधवाले से जुड़े थे, इसलिए मेरा दूध नहीं बिकता था. कभी-कभी दिन का मुनाफा सिर्फ 9 रुपये होता था.” उन्हें कई बार दूध मुफ्त में भी बांटना पड़ता था क्योंकि उत्पादन ज्यादा और मांग कम थी.

प्रोसेसिंग से मिली सफलता
हरिओम ने धीरे-धीरे शुद्ध और जैविक (ऑर्गेनिक) उत्पादों की तरफ रुख किया. उन्होंने दूध, घी, छाछ, पनीर, मावा, अचार, और आइसक्रीम आदि बनाना शुरू किया. उन्होंने पोल्ट्री फार्मिंग भी शुरू की. आज धन्य धेनु का मुख्य आधार डेयरी सेक्टर है. उन्हें सिर्फ डेयरी से हर दिन तीन-चार हजार रुपये का मुनाफा होता है.

  • 2000 ब्रॉयलर मुर्गे और 1500–2000 मुर्गियां अंडा उत्पादन के लिए रखी गई हैं.
  • गांव की महिलाओं की मदद से 23 तरह के अचार बनाए जाते हैं, जो अपने स्वाद के कारण मशहूर हो गए हैं. 
  • हरिओम ने 33 तरह की ऑर्गेनिक आइसक्रीम भी शुरू की. अब यह बिज़नेस का मजबूत हिस्सा बन चुका है.

स्थानीय से बड़े बाज़ार तक का सफर
शुरुआत में वे अपने उत्पाद गांव में ही बेचते थे. लेकिन फिर उन्होंने बाज़ार का दायरा बढ़ाकर देहरादून और आसपास के इलाकों में भी बेचना शुरू किया, जहां वे अच्छे दामों पर बेच सकते थे.

बिना ज्यादा खर्च के मार्केटिंग में सफलता
हरिओम ने अपनी आईटी नौकरी के अनुभव से मार्केटिंग सीखी थी. उन्होंने बिना ज्यादा खर्च किए, वर्ड ऑफ माउथ, कम्युनिटी सपोर्ट और सोशल मीडिया की मदद से ब्रांड को प्रचारित किया. आज धन्य धेनु के उत्पाद Amazon और Flipkart पर भी बिकते हैं. 

हरिओम स्कूल, कॉलेज और गांव के लोगों के लिए प्रिंटिंग सेवाएं भी देते हैं, जिससे उनका कमाई का एक और जरिया जुड़ गया है. 2019 में ट्रेड फेयर में भाग लेने के बाद धन्य धेनु की ब्रांड पहचान और कमाई दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई. अब ब्रांड की सालाना कमाई 2 करोड़ रुपये के आसपास है, और 40–50 लाख रुपये का सालाना मुनाफा होता है.

500 महिलाओं को मिला रोजगार
हरिओम ने अब तक 500 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को अपने साथ जोड़ा है. महिलाएं अचार बनाकर 300–400 रुपये रोज़ कमाती हैं. दूध भी सप्लाई करती हैं, जिसके बदले उन्हें 40–45 रुपये प्रति लीटर मिलता है. 

शुरुआत में रिश्तेदार और गांव वाले हरिओम को ताना मारते थे, “इतना पढ़ाई-लिखाई करके आखिर में जानवर ही चराने थे?” लेकिन आज वही लोग हरिओम को प्रेरणा का स्रोत मानते हैं.

गांव के युवा अक्सर सोचते हैं कि शहर जाकर ही कमाई और सफलता मिल सकती है. लेकिन हरिओम मानते हैं कि गांव में रहते हुए भी शिक्षा और हुनर का सही उपयोग कर के अच्छा पैसा कमाया जा सकता है और समाज में बदलाव लाया जा सकता है. 

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