फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (Assessment Year 2024-25) और आकलन वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल ही में सातों आईटीआर फॉर्म जारी किए हैं.
ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 है. इसके बाद इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना देना पड़ेगा, इसलिए डेडलाइन से पहले आईटीआर दाखिल जरूर कर दें. इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है. इनमें से एक डॉक्यूमेंट फॉर्म 16 (Form 16) है. कोई भी नौकरी करने वाला सैलरी पाने वाला व्यक्ति साल 2025 के लिए फॉर्म 16 आने के बाद अपना आईटीआर दाखिल करना शुरू कर सकता है.
क्या है फॉर्म 16
कर्मचारियों को कंपनियां फॉर्म 16 जारी करती हैं. इसमें सैलरी क्लास यानी नौकरीपेशा व्यक्ति की सालाना आय और उस पर काटे गए टैक्स का पूरा लेखा-जोखा होता है. फॉर्म 16 आसानी से आयकर रिटर्न दाखिल करने में मदद करता है. फॉर्म 16 में एक वित्तीय वर्ष के दौरान वेतन से काटा गया और सरकार के पास जमा किया गया टैक्स शामिल होता है.
इसमें कर्मचारी के पैन (स्थायी खाता संख्या), नियोक्ता के टैन (कर कटौती और संग्रह खाता संख्या), वेतन से हुई आय, आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कटौती और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के बारे में जानकारी शामिल होती है. आसान भाषा में कहें तो फॉर्म-16 एक टीडीएस सर्टिफिकेट है, जो आपकी सभी कर योग्य आय और स्रोत पर विभिन्न कर कटौती (TDS) को सूचीबद्ध करता है.
फॉर्म 16 के हैं दो भाग
फॉर्म 16 के दो भाग होते हैं. फॉर्म 16 भाग ए (Form 16 Part A) और फॉर्म 16 भाग बी (Form 16 Part B). पार्ट ए में कंपनी या संस्थान का टैन नंबर, कर्मचारी का पैन नंबर, नाम, पता, एसेसमेंट ईयर, रोजगार की अवधि और सरकार को जमा किए गए टीडीएस का संक्षिप्त ब्योरा होता है.
पार्ट बी में होती है विस्तृत जानकारी
पार्ट बी विस्तृत जानकारी होती है. इसमें कर्मचारी की कुल सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस, भविष्य निधि योगदान, टीडीएस, प्रोफेशनल टैक्स और सेक्शन 80C, 80D आदि के तहत की गई कटौती के बारे में जानकारी होती है. जैसे आपने PPF, LIC, हेल्थ इंश्योरेंस जैसी चीजों में कितना निवेश किया है, इन सबकी जानकारी इसमें होती है. साथ ही Income Tax Act, 1961 के चैप्टर VI A के तहत दावा की गई कोई भी छूट या भुगतान किया गया टैक्स फंड के साथ बकाया टैक्स फंड की राशि की जानकारी और टैक्स रिफंड की जानकारी दर्ज होती है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय यह हिस्सा सबसे ज्यादा काम आता है.
फॉर्म 16 को जारी करना अनिवार्य
आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act, 1961) के तहत कंपनी के लिए उन कर्मचारियों के लिए फॉर्म 16 को जारी करना अनिवार्य किया गया है, जिनकी सालाना आमदनी 2.5 लाख से ज्यादा है. यदि कोई कंपनी फॉर्म 16 जारी नहीं करती है, तो उस पर जुर्माना लग सकता है. Income Tax Act की धारा 272 के तहत 100 रुपए रोजाना पेनल्टी लग सकती है.
फॉर्म 16 में किए गए हैं कुछ बदलाव
इस साल फॉर्म 16 में कुछ बदलाव किया गया है ताकि आपको आईटीआर दाखिल करने में कोई परेशानी न हो. अब फॉर्म 16 में साफ-साफ लिखा होगा कि आपकी सैलरी का कौन सा हिस्सा टैक्स-फ्री है, किन भत्तों पर टैक्स नहीं लगता और किन लाभों पर टैक्स देना पड़ेगा. इसका फायदा यह होगा कि जब आप अपना ITR दाखिल करने बैठेंगे तो आपको अपनी सैलरी, टैक्स कटौती और कर योग्य आय को समझने में कोई परेशानी नहीं होगी. इससे रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया आसान और तेज हो जाएगी और गलतियों की संभावना भी कम हो जाएगी.
कंपनियां कब जारी करेंगी फॉर्म 16
इस साल कंपनियों ने अभी तक अपने कर्मचारियों को फॉर्म 16 नहीं जारी किए हैं. आमतौर पर कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए फॉर्म 16 जून के महीने में जारी करती हैं. कंपनी या नियोक्ता 15 जून तक अपने कर्मचारियों को फॉर्म 16 उपलब्ध कराते हैं. यदि आपको 15 जून को फॉर्म 16 प्राप्त होता है तो आपको अपना टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए ठीक 45 दिन मिलेंगे. यदि आपका फॉर्म 16 खो जाता है, तो आप अपने नियोक्ता से डुप्लीकेट मांग सकते हैं.
फॉर्म 16 के बिना भी भर सकते हैं ITR
अब सवाल उठता है कि क्या फॉर्म 16 के बिना भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं तो इसका जवाब हां है. यदि आपके पास फॉर्म 16 नहीं है तो आप इनकम टैक्स की वेबसाइट से फॉर्म 26AS डाउनलोड कर सकते हैं. फॉर्म 26AS में टीडीएस, टीसीएस और विभिन्न आय स्रोतों से प्राप्त इनकम की जानकारी होती है.
इसके आलावा नौकरी करने वाले बैंक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप के जरिए भी आईटीआर दाखिल कर सकते हैं क्योंकि इनके जरिए भी आप जान सकते हैं कि एक साल में आपकी कुल कमाई कितनी हुई है और कितना टैक्स कटा है. आप एनुअल इनफॉरमेशन सिस्टम (AIS) के माध्यम से भी आईटीआर भर सकते हैं. AIS में आपके सभी वित्तीय गतिविधियां जैसे सैलरी से आय, ब्याज से आय, स्टॉक मार्केट के लेनदेन, टीडीएस और टीसीएस की जानकारी होती है. आप एनुअल इनफॉरमेशन सिस्टम को इनकम टैक्स पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं.