खुद भी चार्ज कर सकेंगे अपना इलेक्ट्रिक वाहन, केंद्र ने जारी किए दिशानिर्देश

मंत्रालय ने कहा कि इसकी मदद से पूरे इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और देश की बेवजह खर्च हो रही ऊर्जा को भी बचाया जा सकेगा, साथ ही कार्बन एमिशन भी कम होगा.

Electric Vehicle Charging
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST
  • चार्जिंग स्टेशन के लिए बनाया गया है रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल
  • लंबी दूरी और भारी टैक्स वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए PCI

अब आप अपना इलेक्ट्रिक वाहन खुद भी चार्ज कर सकते हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.  इसके मुताबिक, अब इलेक्ट्रिक वाहन मालिक अपने घरों या कार्यालयों में मौजूदा इलेक्ट्रिक कनेक्शन का उपयोग करके अपने वाहनों को चार्ज कर सकते हैं.

विद्युत मंत्रालय के अनुसार, ये नए दिशानिर्देश विश्वसनीय, सुलभ और किफायती चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और इकोसिस्टम सुनिश्चित करके भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने में सक्षम होंगे. मंत्रालय ने कहा कि इसकी मदद से पूरे इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और देश की बेवजह खर्च हो रही ऊर्जा को भी बचाया जा सकेगा, साथ ही कार्बन एमिशन भी कम होगा.   

लंबी दूरी और भारी टैक्स वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए PCI 

इसके अलावा, इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यक्तिगत मालिकों और 'सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों' (PCS) के लिए नियम शामिल किये गए हैं. दिशानिर्देशों की रूपरेखा में लंबी दूरी और भारी टैक्स वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 'पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (PCI) की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. 

एक अधिकारी ने कहा, "कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना लाइसेंस की आवश्यकता के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कि ऐसे स्टेशन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित तकनीकी, सुरक्षा के साथ-साथ परफॉरमेंस स्टैंडर्ड और प्रोटोकॉल को पूरा करते हों."

चार्जिंग स्टेशन के लिए बनाया गया है रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल 

इसके अलावा, दिशानिर्देशों को न केवल बाजार में उपलब्ध मौजूदा अंतरराष्ट्रीय चार्जिंग मानकों बल्कि नए भारतीय चार्जिंग मानकों के हिसाब से बनाया गया है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के दौरान चार्जिंग स्टेशन को आर्थिक रूप रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए एक रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल बनाया गया है. 

इसके अनुसार, इस तरह के रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल को शुरू में पार्टियों द्वारा 10 साल की अवधि के लिए दर्ज किया जा सकता है. पीसीएस की स्थापना के लिए एक प्राइवेट यूनिट को भूमि प्रदान करने के लिए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल भी अपनाया जा सकता है. यह एक रुपये प्रति किलोवाट घंटा की न्यूनतम कीमत के साथ होगा.

इसके अलावा, दिशानिर्देशों में कहा गया है कि मेट्रो शहरों में सात दिनों के भीतर, नगरपालिका क्षेत्रों में 15 दिनों के भीतर और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिनों के भीतर पीसीएस प्रदान किया जाएगा.  
 

 

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