What is SIP Rule 7-5-3-2: चार गुणा हो सकती है आपकी इनवेस्टमेंट, बन सकते हैं करोड़पति भी.... जानिए क्या है एसआईपी का 7-5-3-2 नियम

एसआईपी में 7-5-3-2 रूल का ज़िक्र कभी-कभी होता है, लेकिन यह कोई स्टैंडर्ड या आधिकारिक रूल नहीं है. यह एक अनौपचारिक दिशानिर्देश है जो कुछ निवेशक या सलाहकार एसआईपी के ज़रिए निवेश की रणनीति को समझाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. आइए इसे समझते हैं.

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  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) बीते कुछ सालों में निवेश का बेहद लोकप्रिय तरीका बनकर उभरा है. मिडल क्लास के लिए एसआईपी सिर्फ एक इन्वेस्टमेंट प्लान नहीं, बल्कि उनका रिटायरमेंट प्लान भी है. अगर आप भी एसआईपी में निवेश करके अपना रिटायरमेंट या फ्यूचर का कोई अन्य बड़ा खर्च प्लान करना चाहते हैं, तो इसे करने का सही तरीका भी मालूम होना चाहिए.

एसआईपी में 7-5-3-2 रूल का ज़िक्र कभी-कभी होता है, लेकिन यह कोई स्टैंडर्ड या आधिकारिक रूल नहीं है. यह एक अनौपचारिक दिशानिर्देश है जो कुछ निवेशक या सलाहकार एसआईपी के ज़रिए निवेश की रणनीति को समझाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसे अलग-अलग लोग अलग-अलग तरीके से परिभाषित कर सकते हैं. आमतौर पर, यह रूल निवेश की अवधि, आवृत्ति, राशि और रिटर्न की उम्मीदों को संतुलित करने के बारे में होता है. आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं. 

SIP का 7-5-3-2 रूल क्या है? 
7-5-3-2 रूल को एक निवेश रणनीति के रूप में देखा जा सकता है. यहां:

  • 7: सात साल या उससे लंबी अवधि के लिए निवेश करें. एसआईपी में लंबे समय तक निवेश करने से कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) का फायदा मिलता है. यह आपके निवेश को कई गुना बढ़ा सकता है.
  • 5 : हर महीने अपनी आय का कम से कम 5% हिस्सा एसआईपी में निवेश करें. मिसाल के तौर पर, अगर आपकी मासिक आय ₹50,000 है तो कम से कम ₹2,500 एसआईपी में डालें.
  • 3 : कम से कम 3 अलग-अलग तरह के म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें (जैसे लार्ज-कैप, मिड-कैप, और स्मॉल-कैप) ताकि जोखिम कम हो और रिटर्न की संभावना बढ़े.
  • 2 : 2% या उससे ज्यादा की औसत वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को टारगेट करें. यह लंबे समय में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के लिए संभव है (औसतन 10-12% CAGR इक्विटी फंड्स में देखा जाता है).

कुछ एक्सपर्ट्स इसे अलग तरह से परिभाषित कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ का कहना है कि यह रूल निवेश के लिए फंड्स के प्रकार या जोखिम के स्तर को दर्शाता है. लेकिन इसका मूल मंत्र है: लंबे वक्त तक निवेश करना, नियमित निवेश करना, पोर्टफोलियो में डाइवर्सिटी रखना और यथार्थवादी रिटर्न की उम्मीद करना. 

एसआईपी में निवेश कैसे करें? 
SIP में निवेश शुरू करना आसान है. ये स्टेप्स फॉलो करें:

  • फाइनेंशियल टारगेट निर्धारित करें : तय करें कि आप किस लिए निवेश कर रहे हैं (जैसे रिटायरमेंट, बच्चे की पढ़ाई, या घर खरीदना).
  • रिस्क प्रोफाइल समझें : अपनी जोखिम सहनशक्ति के आधार पर फंड चुनें (लार्ज-कैप: कम जोखिम, मिड/स्मॉल-कैप: ज्यादा जोखिम लेकिन ज्यादा रिटर्न की संभावना).
  • KYC पूरा करें : आधार, पैन कार्ड, और बैंक डिटेल्स के साथ KYC प्रक्रिया पूरी करें.
  • म्यूचुअल फंड चुनें : अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड और फंड मैनेजर की विश्वसनीयता वाले फंड्स चुनें.
  • एसआईपी राशि और अवधि तय करें : हर महीने कितना निवेश करना है और कितने समय तक, ये तय करें. न्यूनतम राशि ₹500 से शुरू हो सकती है. आप चाहें तो सालाना तौर पर अपनी एसआईपी की दर बढ़ा भी सकते हैं.
  • ऑटो-डेबिट सेट करें : अपने बैंक खाते से ऑटो-डेबिट सेट करें ताकि हर महीने राशि अपने आप निवेश हो जाए.
  • नियमित निगरानी करें : समय-समय पर अपने निवेश की प्रगति की समीक्षा करें और जरूरत पड़ने पर फंड्स बदलें.

20 साल में क्या नतीजे देगा एसआईपी?
एसआईपी की खासियत उसकी उम्र में है. एसआईपी जितनी लंबी होगी, मुनाफा उतना ही ज्यादा होने की संभावना है. मान लीजिए आप 25 साल की उम्र में हर महीने 5,000 रुपए की एसआईपी शुरू करते हैं. आप इसे 20 साल तक जारी रखते हैं और औसतन 12% वार्षिक रिटर्न (CAGR) मिलता है. यह रिटर्न इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में लंबी अवधि में संभव है.

एसआईपी कैलकुलेशन :
- मासिक निवेश : ₹5,000
- अवधि : 20 साल (240 महीने)
- कुल निवेश : ₹5,000 × 240 = ₹12,00,000
- अनुमानित रिटर्न : 12% CAGR
- एसआईपी फॉर्मूला : M = P × ({[1 + i]^n – 1} / i) × (1 + i)
- यहां, M = परिपक्वता राशि, P = मासिक निवेश (₹5,000), i = मासिक रिटर्न (12% ÷ 12 = 1% = 0.01), n = कुल महीने (240)

एसआईपी कैलकुलेटर का उपयोग करके:
- 20 साल बाद कुल राशि : लगभग 49,95,740 रुपए
- लाभ : 49,95,740 - 12,00,000 = 37,95,740 लाख 

यानी आपने 20 साल में 12 लाख रुपए निवेश किया और आपको लगभग 50 लाख रुपए मिले. इसमें 38 लाख रुपए का मुनाफा है. अगर आप 35 साल की उम्र में शुरू करते, तो 10 साल कम होने की वजह से आपका कॉर्पस सिर्फ 11.61 लाख रुपए होता. वहीं अगर आप 26 साल इंतज़ार करते हैं तो यह एसआईपी एक करोड़ की भी हो सकती है.  यानी, जल्दी शुरू करने से आपका धन कई गुना ज्यादा बढ़ सकता है. 

लिहाज़ा ज़्यादा सोचें नहीं. जितनी जल्दी एसआईपी शुरू करेंगे, उतना ज्यादा कंपाउंडिंग का फायदा मिलेगा. अलग-अलग फंड्स में निवेश करें ताकि जोखिम कम हो. बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति धैर्य रखें. अगर आपको फंड चुनने में दिक्कत हो, तो किसी विश्वसनीय सलाहकार की मदद लें.

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