चंडीगढ़ ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए पूर्ण साक्षरता की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है. शहर ने ULLAS- नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत अब तक की सबसे बड़ी वयस्क साक्षरता मुहिम चलाई, जिसका समापन रविवार को Foundational Literacy and Numeracy Assessment Test (FLNAT) के साथ हुआ. इस परीक्षा में 15,350 वयस्क शिक्षार्थी ने भाग लिया, जो 111 सरकारी स्कूलों में स्थापित सामाजिक चेतना केंद्रों में आयोजित की गई.
साक्षरता की दिशा में बड़ी छलांग
चंडीगढ़ ने 95% साक्षरता की सीमा पार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, जो “पूर्ण साक्षर संघ शासित प्रदेश” घोषित होने का मानक है. नवीनतम PLFS 2023–24 के अनुसार, चंडीगढ़ पहले ही 93.7% साक्षरता दर (पुरुष 96.4%, महिला 90.7%) तक पहुँच चुका है. रविवार की परीक्षा और प्रमाणन अभियान के बाद शहर अब राष्ट्रीय इतिहास में अपना नाम दर्ज करने के कगार पर है.
हर वर्ग के लोग बने शिक्षार्थी
घर की महिलाएं, दैनिक मजदूर, वरिष्ठ नागरिक – शहर के सभी हिस्सों के लोग FLNAT परीक्षा में शामिल हुए. परीक्षा में पढ़ाई, लेखन, अंकगणित, मुद्रा संचालन और डिजिटल साक्षरता जैसी क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया. स्कूलों में उत्सव जैसा माहौल था, जहां शिक्षकों और नोडल इंचार्ज ने चाय, समोसा, चना पूरी, बिस्किट और ब्रेड पकोड़े वितरित किए.
GMSSS, मनीमजरा हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में प्रत्येक शिक्षार्थी को 1 किलोग्राम काले चने का उपहार पैक भी मिला, जो एक प्रेरक पहल थी. कुल 5,157 शिक्षक और 150 नोडल इंचार्ज इस अभियान में शामिल हुए, जिन्होंने शिक्षार्थियों को अपनाया, कक्षाओं के बाहर भी पढ़ाई कराई और स्कूलों को साक्षरता केंद्र में बदल दिया.
लोगों की भागीदारी ने अभियान को बनाया असाधारण
पंजाब के राज्यपाल और UT प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “यह साक्षरता मिशन चंडीगढ़ के इतिहास की सबसे बड़ी पहल है. यह दिखाता है कि सरकार, शिक्षक और नागरिक मिलकर समाज को साक्षर और सशक्त बना सकते हैं.”
मुख्य सचिव राजीव वर्मा ने कहा कि प्रशासन और समुदाय की साझेदारी ने हर शिक्षार्थी तक पहुंच सुनिश्चित की. शिक्षा सचिव प्रेरणा पुरी ने अभियान के नवाचार पर जोर देते हुए कहा कि “स्थानीय सामग्री, तकनीक और लचीले समय-सारिणी से यह सीखना सभी के लिए सुलभ और प्रभावी बना.”
स्कूल शिक्षा निदेशक हर्षुंदर पाल सिंह ब्रार ने बताया कि यह सरकारी कार्यक्रम अब शिक्षकों, स्वयंसेवकों, NSS/NCC कैडेट्स और छात्रों की भागीदारी से जन आंदोलन बन गया है.
नवाचार और समावेशी शिक्षा
इस तरह चंडीगढ़ का यह ULLAS अभियान न केवल साक्षरता बढ़ाने में सफल हुआ, बल्कि इसे समाज-प्रेरित जन आंदोलन में बदलकर पूरे देश के लिए एक प्रेरक उदाहरण बना दिया.
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