सेंट्रल यूनिवर्सिटी की अनोखी पहल! सिर्फ 10 रुपये में छात्रों को मिल रहा पौष्टिक खाना, जानिए क्या है स्वाभिमान थाली

‘स्वाभिमान थाली’ में चावल, दाल, हरी सब्जी, मौसमी फल, अचार और मिर्च शामिल होते हैं. यह थाली कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन सी का पूरा पैकेज है,

The ₹10 ‘Swabhiman Thali’ Winning Praise Nationwide
gnttv.com
  • बिलासपुर,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

छत्तीसगढ़ स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGV) की मात्र 10 रुपये की ‘स्वाभिमान थाली’ योजना ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना ली है. गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए शुरू की गई यह योजना अब पूरे विश्वविद्यालय में लोकप्रिय हो चुकी है.

कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल की पहल पर जनवरी 2023 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 1.25 लाख से ज्यादा पौष्टिक मील परोसे जा चुके हैं. प्रो. चक्रवाल का मानना है, “खाली पेट कोई नहीं सीख सकता. हमारा उद्देश्य है कि कोई भी छात्र भूखा न रहे.”

कैसे हुई शुरुआत
विश्वविद्यालय कैंपस में पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं आते हैं, लेकिन कैंटीन का खाना न केवल महंगा था, बल्कि पौष्टिकता की भी कमी थी. कैंपस में जंक फूड, चाय, कॉफी और चाइनीज खाने की भरमार थी.

इस समस्या को देखते हुए सहायक प्राध्यापक डॉ. रमेश कुमार ने कुलपति से चर्चा की, जिसके बाद ‘स्वाभिमान थाली’ की शुरुआत की गई. यह योजना अब शिक्षकों, पूर्व छात्रों और समुदाय के दान से संचालित हो रही है.

10 रुपये में पौष्टिक और हाइजीनिक खाना
‘स्वाभिमान थाली’ में चावल, दाल, हरी सब्जी, मौसमी फल, अचार और मिर्च शामिल होते हैं. यह थाली कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन सी का पूरा पैकेज है, जिसे हाइजीनिक तरीके से तैयार किया जाता है.

एनएसएस (NSS) के स्वयंसेवी इस योजना का संचालन करते हैं. कोऑर्डिनेटर ब्लेसी के अनुसार, शुरू में यह योजना सिर्फ कमजोर आर्थिक वर्ग के छात्रों के लिए थी, लेकिन अब यह सभी छात्रों के लिए उपलब्ध है.

छात्रों की राय
देवेश साहू, फॉरेंसिक साइंस के छात्र कहते हैं: “मैं छत्तीसगढ़ के दूसरे कोने से यहां पढ़ने आया हूं. यहां घर जैसा साधारण और सेहतमंद खाना मिलना सबसे बड़ी सुविधा है.” प्रशांत पटेल, एमएससी के छात्र, कहते हैं, “केंद्रीय विश्वविद्यालय की सबसे अच्छी बातों में से एक यह योजना है, जिसका हमें सीधा लाभ मिल रहा है.” आशिका अग्रवाल कहती हैं: “स्वाभिमान थाली जैसी पहल को अन्य विश्वविद्यालयों में भी अपनाना चाहिए.”

(मिलन शर्मा की रिपोर्ट)

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