DUSU के चुनावी दंगल में पहली बार AAP का छात्र संगठन ASAP ठोकेगा ताल, आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने किया ऐलान

आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को ऐलान किया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में पहली बार AAP का छात्र संगठन ASAP भी उतरेगा. उन्होंने कहा कि जो छात्र योग्यता के बावजूद पैसे के अभाव में डूसू का चुनाव नहीं लड़ सकते, उनको AAP छात्र विंग एसैप चुनाव लड़वाएगा. 

Saurabh Bhardwaj
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST
  • आम Students को DUSU का चुनाव लड़ाएगी ASAP
  • पैसा नहीं है लेकिन योग्यता है तो तक कर सकते हैं आवेदन

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) का छात्र संगठन एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP) भी ताल ठोकेगा. इस बात का ऐलान आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को किया. 

एबीवीपी और एनएसयूआई पर लगाए आरोप
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एबीवीपी और एनएसयूआई ने कैंपस को सालों तक एक निजी ठेके की तरह चलाया, जहां पर सेटिंग करके बारी-बारी से डूसू छात्रसंघ पर कब्जा जमाए बैठे रहे लेकिन कभी भी छात्रों के हितों की आवाज बुलंद नहीं की. सिर्फ अपने नेताओं को खुश करने और अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहे. छात्रों की भागीदारी को कुचला गया और राजनीति का मतलब सिर्फ बैनर, पैसा, गुंडागर्दी और धमकी बनकर रह गया. अब यह सब चलने वाला नहीं है क्योंकि इस बार एसैप भी डूसू छात्र संघ चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि, हॉस्टल और लैब की कमी, महिला सुरक्षा और भेदभाव जैसे छात्रों के मुद्दों पर सालों से चुप्पी छाई रही है. अब ये सब चलने वाला नहीं है. एसैप छात्रों के इन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगा. एसैप सिर्फ चुनाव ही नहीं लड़ेगा, बल्कि एबीवीपी और एनएसयूआई की गुंडागर्दी वाली राजनीति को सीधी चुनौती देगा.

हर छात्र को मिलेगा मौका 
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एसैप मानता है कि छात्र राजनीति कोई बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की जागीर नहीं हो सकती. नेतृत्व उस छात्र के हाथ में होना चाहिए, जो पढ़ाई में अच्छा है, मेहनती है, ईमानदार है और अपने कॉलेज व विश्वविद्यालय को बेहतर बनाना चाहता है.अब चुनाव लड़ने के लिए न किसी रसूखदार नेता के दरवाजे पर खड़ा होना पड़ेगा, न पैसा या जाति पूछी जाएगी, न बैकग्राउंड. एसैप ने टिकट प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और लोकतांत्रिक बना दिया है. हर छात्र को मौका मिलेगा, चाहे वो किसी भी भाषा, धर्म, जाति या आर्थिक पृष्ठभूमि से आता हो.

पूरे करने होंगे ये तीन स्टेप
सौरभ भारद्वाज ने ऐलान किया कि एसैप डीयू छात्र संघ चुनाव लड़ने में छात्रों की मदद करेगा. जो भी छात्र डूसू या कॉलेज यूनियन का चुनाव लड़ना चाहता है, उन्हें सिर्फ तीन आसान स्टेप पूरे करने होंगे. पहला एक पंजीकरण फॉर्म भरना होगा, जिसकी आखिरी तारीख 25 अगस्त है. दूसरा स्टेप है एक मिनट का वीडियो या ऑडियो, जिसमें वे अपने मुद्दों को साफ-साफ रखें और तीसरा स्टेप है 200-500 शब्दों में अपना एजेंडा बताएं. कॉलेज यूनियन के लिए कम से कम 5 अलग-अलग सेक्शन से 10 छात्रों का समर्थन जुटाना होगा. डूसू के लिए 5 कॉलेजों से 50 छात्रों का, जिनके नाम, स्टूडेंट ID और मोबाइल नंबर अनिवार्य हैं. उम्मीदवार के पास पूरी कक्षा उपस्थिति होनी चाहिए, कोई बैकलॉग नहीं, और न ही कोई अनुशासनात्मक या आपराधिक रिकॉर्ड हो. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यदि किसी विद्यार्थी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है, वह एक समान्य परिवार से हैं, लेकिन उसके पास चुनाव लड़ने की योग्यता है, तो उसी योग्यता के आधार पर एसैप उसका आकलन करेगा. अगर वह छात्र उपयुक्त उम्मीदवार दिखता है, तो आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग एसैप उसको डीयू के छात्र संघ का चुनाव लड़ाएगी. 

...तो तोड़नी होगी चुप्पी
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एसैप की राजनीति पारदर्शिता, जवाबदेही और मुद्दों पर आधारित है. यह नेतृत्व को चंद हाथों से निकालकर छात्रों के बीच वापस ले जाने की लड़ाई है. यह सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो चाहता है कि यूनिवर्सिटी से ऐसे नेता निकलें जो जनता की आवाज बनें, भ्रष्टाचार से लड़ें और लोकतंत्र को मजबूत करें. इस बार डूसू चुनाव में न पैसा चलेगा, न बाहुबल, न परिवारवाद. इस बार चलेगा आपका विजन, आपकी नीयत और आपकी सोच. एसैप हर छात्र से कहता है, यदि आपने अब भी चुप्पी साधी, तो बदलाव की संभावना फिर टल जाएगी, लेकिन अगर आप उठे, खड़े हुए और आगे आए तो दिल्ली यूनिवर्सिटी की राजनीति का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा. इस बार यह चुनाव सिर्फ एक पद के लिए नहीं, एक नई राजनीति के लिए लड़ा जाएगा.

अभी छात्र संघ चुनाव में धड़ल्ले से होता है धन-बल का प्रयोग 
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमारे प्रजातंत्र के चेन की शुरुआत छात्र राजनीति से होती है. कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का छात्र संघ चुनाव पहला मौका होता है, जब एक छात्र लोकतंत्र को सबसे पहले प्रत्यक्ष रूप से देखता है. 17-18 साल की उम्र में बच्चे कॉलेज में आते हैं और छात्र राजनीति से उनका दृष्टिकोण बनना शुरू होता है कि राजनीति और लोकतंत्र क्या है. देश की राजधानी दिल्ली में स्थित दिल्ली यूनिवर्सिटी विश्व की सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है. डीयू में होने वाली छात्र संघ की राजनीति पूरे देश का राजनीतिक दृष्टिकोण भी तय करती है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर वर्तमान में दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति को उदाहरण के तौर पर देखें तो इसमें धन-बल का प्रयोग सबके सामने है. आज कोई साधारण घर का आम बच्चा छात्र सोच भी नहीं सकता कि वह दिल्ली यूनिवर्सिटी का चुनाव लड़े या उसे कोई बड़ी पार्टी छात्र संघ चुनाव लड़वाएगी. क्योंकि डूसू का चुनाव लड़ने के लिए बड़ी-बड़ी गाड़ियां होनी चाहिए. डीयू में आने वाले छात्रों के पास एक-एक करोड़ रुपए की गाड़ियां होती हैं. छात्र संघ चुनाव में अगर 20-20 गाड़ियां हों तभी माहौल बनता है, वरना माहौल ही नहीं बनेगा. चुनाव से पहले छात्र नेता पूरा पीवीआर बुक कराते हैं और साथी छात्रों को फिल्में दिखवाते हैं, छात्रों के लिए डिस्को कराए जाते हैं और छात्र अगले दिन उसी छात्र नेता को वोट डालता है. आम आमदी पार्टी अब ऐसा होने नहीं देगी.

...तो कॉलेज से करनी पड़ेगी शुरुआत 
बुराड़ी से आप विधायक संजीव झा ने कहा कि यह एक ऐसी शुरुआत है, जहां बच्चों की प्रतिभा उनकी गाड़ियों या पैसों से नहीं, बल्कि उनकी अपनी क्षमता से मापी जाएगी. छात्रों में नेतृत्व की क्षमता और वक्तव्य कैसा है. उसमें यह सारे मानदंड होने चाहिए. अगर राजनीति को साफ करनी है, तो शुरुआत कॉलेज से ही करनी पड़ेगी. यह जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी के छात्र विंग एसैप ने अपने कंधे पर लिया है. सारे बच्चे जो चाहते हैं कि राजनीति में बदलाव आए इसलिए हमें उम्मीद है कि वह इसके हिस्सेदार और हितधारक बनेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी यह कोशिश भी है कि जिन कॉलेजों में चुनाव होते हैं उनके साथ ही जिन कॉलेजों में चुनाव नहीं होते हैं, उन सबको एसैप से जोड़कर इस वैकल्पिक राजनीति का हिस्सा बनाया जाए. दिल्ली यूनिवर्सिटी के साथ ही दिल्ली और दिल्ली से बाहर के सभी विश्वविद्यालों के विद्यार्थी भी एसैप हिस्सा बनें और देश की राजनीति बदलने की शुरुआत करें. 


 

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