एक छोटी-सी गलती कभी-कभी ज़िंदगी के सबसे बड़े सपनों को तोड़ देती है. इंदौर की 20 वर्षीय रोशनी जाधव के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब डॉक्टर बनने की राह में उनके हाथों से नीट की सीट सिर्फ जन्मतिथि में हुई एक अंक की चूक की वजह से छिन गई. सपने टूटते नज़र आए, आंखों में आंसू थे, लेकिन तभी तीन IAS अफसरों ने उनकी तक़दीर बदल दी.
डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली रोशनी को नीट काउंसलिंग में मिली सीट दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान निरस्त कर दी गई. रोशनी की दसवीं और बारहवीं की मार्कशीट में जन्मतिथि 2 जुलाई 2003 दर्ज थी. लेकिन नीट फॉर्म भरते समय गलती से 2 जुलाई 2006 दर्ज हो गया. इस कारण उन्हें पहली काउंसलिंग में मिली सीट खोनी पड़ी. रोशनी और उनके पिता रमेश जाधव को लगा कि अब डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा.
किस्मत ने बदली करवट
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, रोशनी की यह कहानी विमुक्त एवं घुमक्कड़ विकास विभाग के संचालक नीरज वशिष्ठ तक पहुंची. उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त तरुण राठी से बात की. इसके बाद मामला आयुष विभाग के अफसर डीपी आहुजा और उमा महेश्वरी तक पहुंचा.
तीनों अधिकारियों ने छात्रा और उसके पिता को बुलाकर दस्तावेज़ों की जांच की. यह मानवीय भूल साबित हुई. नतीजतन, पहली बार किसी छात्रा के लिए पोर्टल दोबारा खोला गया और उन्हें काउंसलिंग की वही सीट फिर से दी गई.
नई उम्मीद की किरण
अब रोशनी बीएएमएस कोर्स में दाखिला लेंगी. उनका कहना है कि डॉक्टर बनना उनका सपना है. जब गलती से एडमिशन रुक गया, तो लगा कि सब खत्म हो गया. लेकिन इन अफसरों ने उन्हें नई जिंदगी दी है. अब वह और मेहनत करेंगी.
नीट एप्लिकेशन फॉर्म भरते समय याद रखें बातें
व्यक्तिगत जानकारी सही भरें
जन्मतिथि (DOB) सावधानी से डालें
दस्तावेज़ों का मिलान करें
फोटोग्राफ और सिग्नेचर सही अपलोड करें
श्रेणी और आरक्षण की जानकारी सही भरें
कॉन्टैक्ट डिटेल्स अपडेटेड रखें
एग्ज़ाम सिटी प्रेफरेंस सोच-समझकर दें
भुगतान करते समय सतर्क रहें
फाइनल सबमिट से पहले पूरा फॉर्म री-चेक करें
फॉर्म की कॉपी संभालकर रखें
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