नीट यूजी का रिजल्ट बीते दिनों 14 जून को जारी हो चुका है. कई अभ्यर्थियों ने अपनी मेहनत के बल पर इस परीक्षा में सफलता हासिल की है. इसमें से कुछ प्रतिभाओं की कहानी प्रेरणा से भरी है. ऐसी ही कुछ कहानी लखीमपुर की मेहविश की है.
मेहविश गरीबी के चलते अपनी मां की दवाई नहीं ला पाती थी. आज उसी बेटी ने गरीबी की मात देखर नीट की परीक्षा पास की. मेहविश को जल्द ही एमबीबीएस में एडमिशन मिलेगा. मेहविश की पढ़ाई के लिए मां ने बकरियां बेचीं. वहीं पिता ने फेरी पर कपड़े बेचकर बेटी को पढ़ाया. मेहविश के नीट की परीक्षा में पास करते ही आस पड़ोस में खुशी का माहौल है.
मां ने बेची बकरियां
लखीमपुर खीरी जिले में खीरी थाना क्षेत्र के खीरी कस्बे के शेखसराय मोहल्ले की रहने वाली मेहविश ने नीट की परीक्षा पास की है. कभी वो गरीबी के चलते अपनी मां का इलाज नहीं करा सकती थी. उसी मेहविश ने गरीबी को मात देकर नीट की परीक्षा पास की है. अब एमबीबीएस में दाखिला लेने की तैयारी चल रही है.
खीरी कस्बे के मोहल्ला शेख सराय के रहने वाले रईस की एक बेटी और तीन बेटे हैं. पूरा परिवार गरीबी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. रईस गांव-गांव जाकर कपड़े की फेरी लगाते हैं. वहीं उनकी पत्नी घर पर बकरियां पालकर घर का खर्च चलाती हैं. उनकी बड़ी बेटी मेहविश पढ़ाई में अच्छी थी. वो डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन परिवार की हालत ऐसी नहीं थी कि वह अपनी बेटी को पढ़ाई कर पाते.
गरीबी में की पढ़ाई
बेटी की पढ़ाई के लिए माता-पिता ने गरीबी को आड़े नहीं आने दिया. गरीब होने के बावजूद मां ने बकरियां बेचकर और पिता ने फेरी पर कपड़े बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाई में मदद की. बेटी महविश ने तीसरे प्रयास में नीट की परीक्षा पास की. मेहविश को 720 में से 529 अंक मिले. पिछड़े वर्ग की कैटेगरी में मेहविश की 11114 रैंक आई है.
गुड न्यूज टुडे से बातचीत करते हुए मेहविश अपनी गरीबी के हालातों को याद कर पैसे के अभाव में अपनी मां की दवाई न लेने की बात कहते हुए रोने लगी. यह देख पड़ोस में बैठी उसकी मां भी रोने लगी. मेहविश के नीट की परीक्षा में पास होते ही मेहविश को लोगों ने मदद देनी शुरू कर दी.
कैसे की तैयारी?
गुड न्यूज टुडे से बात करते हुए मेहविश कहती हैं कि उन्होंने गरीबी देखी है. वह जब डॉक्टर बनेगी तो कोशिश करेंगी कि लोगों का नि:शुल्क या कम पैसे में इलाज हो. मेहविश ने नीट की तैयारी को लेकर बात करते हुए कहा कि ऑनलाइन क्लास से पढ़ती थी. हर रोज तीन क्लास होती थीं. उनको पूरा करती थी. साथ ही उसमें टेस्ट भी होते थे. हमने तीन बार एग्जाम के लिए अटैम्पड किया. इस बार हमारा हो गया है.
मेहविश ने कहा, अम्मी हमारी बकरियां पालती हैं. अब्बू फेरियां करते हैं. उसी से हमारी फीस पूरी होती थी. घर में कमरे में या बरामदे में बैठकर पढ़ते थे. मेहविश ने कहा कि अगर आपका कोई सपना है तो उसे जरूर पूरा करें. परेशानियां सबकी जिंदगी में आती है. हमें उनसे लड़ना चाहिए, आगे बढ़ना चहिए. मेहविश ने बताया कि हमने बहुत मेहनत की है. हमें अपने घर के हालात को सुधारना था. आज हमारा नीट क्रैक हो गया है. मुझे सरकारी कॉलेज मिल जाएगा.
मेहविश ने नीट की तैयारी के बारे में अपने घर पर किसी को नहीं बताया. मेहविश ने कहा कि हमने अपनी मम्मी-पापा को इस बारे में नहीं बताया. हम तैयारी करते रहे. जब हमारा एग्जाम आया तो मम्मी-पापा को नीट एग्जाम के बारे में बताया. मेहविश ने कहा, हमने सोचा कि जब हमारा नीट क्रैक हो जाएगा तो फिर इसके बारे में सबको बताएंगे. मेहविश की पढ़ाई के लिए उनकी प्रिंसिपल ने भी मदद की. मेहविश के पास स्टडी करने के लिए मोबाइल नहीं था. मेहविश ऑनलाइन पढ़ाई कर सके, इसके लिए प्रिंसिपल ने मोबाइल दिया था. उसी मोबाइल से मेहविश ने नीट की तैयारी की और नीट को क्रैक भी किया. आज हर कोई मेहविश की तारीफ कर रहा है.
(अभिषेक वर्मा की रिपोर्ट)