पुणे जिले के जलिंदरनगर गांव की एक जिला परिषद (ZP) स्कूल को ग्लोबल लेवल पर "World’s Best School Prize 2025" के लिए "कम्युनिटी कोलैबोरेशन इन एजुकेशन" केटेगरी में फाइनलिस्ट के रूप में शॉर्टलिस्ट किया गया है. यूके स्थित अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंच T4 Education द्वारा आयोजित इस पुरस्कार के लिए भारत के कर्नाटक, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी तीन और स्कूल अलग-अलग केटेगरी में चुने गए हैं.
बंद होने की कगार से ग्लोबल लेवल पर मान्यता तक
पुणे के खेड तालुका में स्थित इस ZP स्कूल की हालत 2021 में बेहद खराब थी. तब स्कूल में सिर्फ 3-4 छात्र ही पढ़ रहे थे और इसे बंद करने की नौबत आ गई थी. उसी साल इस स्कूल में राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता शिक्षक दत्तात्रय वारे का तबादला हुआ, और यहीं से शुरू हुआ बदलाव का सिलसिला. आज यह स्कूल कक्षा 1 से 8 तक के 120 छात्रों को पढ़ा रहा है. स्कूल में सिर्फ दो फुलटाइम टीचर हैं लेकिन यह स्कूल सीमित संसाधनों में उत्कृष्ट शिक्षा का उदाहरण बन चुका है.
गांववालों की भागीदारी से बनी बात
दत्तात्रय वारे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “स्कूल में सच्चा बदलाव तब शुरू हुआ जब गांववाले आगे आए. कई लोगों ने स्कूल के विस्तार के लिए अपनी ज़मीन तक दान में दे दी. आज हम गांववालों की मदद से 22 अलग-अलग कौशल क्षेत्रों में स्किल-बेस्ड शिक्षा कार्यक्रम चला रहे हैं. अलग-अलग सेक्टर में काम करने वाले कई प्रोफेशनल लोग स्कूल में स्वयंसेवक शिक्षक के रूप में पढ़ाते हैं.”
उन्होंने कहा, “यह एक जिला परिषद स्कूल है जिसे सरकार चलाती है, लेकिन हमारा सिद्धांत है कि केवल सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. हम गांव के सहयोग से जरूरी सुविधाएं जुटाते हैं या उन्हें खुद तैयार करते हैं.”
विज्ञान, भाषा और नवाचार का संगम
स्कूल ने ISRO और IITs जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शैक्षणिक साझेदारियां की हैं, जिससे बच्चों को विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र की जानकारी दी जा रही है. इसके साथ ही, बच्चों को विदेशी भाषाओं और एड्वांस मैथ्स में भी ट्रेनिंग दी जा रही है. स्कूल की एक अनोखी पहल है ‘विषय मित्र’ (Subject Friend). यह एक पीयर लर्निंग मॉडल है, जिसमें सीनियर छात्र जूनियर छात्रों को पढ़ाते हैं और उनके डाउट्स को हल करने में मदद करते हैं.
कई बार बच्चे शिक्षक से या पूरी कक्षा के सामने सवाल पूछने में हिचकिचाते हैं. लेकिन जब उन्हें अपने से एक-दो कक्षा ऊपर के साथी से बात करने का मौका मिलता है, तो वे खुलकर सवाल करते हैं और बेहतर सीखते हैं.
World’s Best School Prize की शुरुआत COVID-19 महामारी के बाद की गई थी, ताकि ऐसे स्कूलों को पहचाना जा सके जो कक्षा के भीतर और बाहर, समाज में वास्तविक बदलाव ला रहे हैं. इस पुरस्कार के लिए जनता का वोट 9 जुलाई तक लिया जाएगा और अक्टूबर 2025 में विजेताओं की घोषणा की जाएगी.