स्पेन की मारिया ने काशी में किया कमाल, संस्कृत, वेद और दर्शन में PHD कर रचा इतिहास

स्पेन की 45 वर्षीय मारिया रूईस ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पूर्वमीमांसा दर्शन विषय में पीएचडी पूरी कर ली है.

Spanish Woman Maria
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

आज जहां भारतीय युवा विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्री के लिए लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं, वहीं एक विदेशी महिला ने भारत आकर हमारी संस्कृति, वेद और संस्कृत भाषा में अपनी जिंदगी समर्पित कर दी. स्पेन की 45 वर्षीय मारिया रूईस ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पूर्वमीमांसा दर्शन विषय में पीएचडी पूरी कर ली है. हाल ही में विश्वविद्यालय के 43वें दीक्षांत समारोह में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई. यह वही मारिया हैं, जिन्होंने इससे पहले इसी विश्वविद्यालय से आचार्य (पोस्ट ग्रेजुएशन) की डिग्री भी हासिल की थी.

13 साल पहले आई थीं काशी, अब बन गईं संस्कृत की विदुषी
मारिया पहली बार 13 साल पहले काशी आई थीं, जब उन्होंने सोचा था कि कुछ साल संस्कृत पढ़कर अपने देश लौट जाएंगी. लेकिन काशी का अध्यात्म और संस्कृत की गहराई ने उन्हें इस कदर बांध लिया कि उन्होंने यहां शास्त्री, आचार्य और अब पीएचडी तक का सफर तय कर लिया. वे बताती हैं कि शुरुआत उन्होंने एक डिप्लोमा कोर्स से की थी, जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली थी. धीरे-धीरे उन्होंने न सिर्फ भाषा सीखी, बल्कि भारतीय दर्शन और वेदांत को भी आत्मसात कर लिया.

संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और स्पेनिश
मारिया आज हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और अपनी मातृभाषा स्पेनिश चारों भाषाओं में धाराप्रवाह बोलती हैं. वह तिलक लगाती हैं, साड़ी पहनती हैं और पूरी तरह भारतीय परंपरा में रची-बसी हैं. वे कहती हैं, “संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, यह एक जीवन जीने की कला है. इसे पूरे विश्व को सीखना चाहिए. डॉक्टर या इंजीनियर बनना जरूरी है, लेकिन विद्या और दर्शन का अध्ययन आत्मा को समृद्ध करता है.”

कभी धर्म या लिंग की वजह से रुकावट नहीं आई
मारिया ने बताया कि उन्हें संस्कृत या शास्त्र पढ़ने में कभी भी धर्म या लिंग के कारण कोई बाधा नहीं आई. “हमारे गुरुओं ने हमेशा समान रूप से पढ़ाया. यहां सबको ज्ञान पाने का अधिकार है.” मारिया प्रतिदिन तड़के उठकर पूजा-पाठ करती हैं और संध्या में भी साधना करती हैं.

भारतीय छात्र भी हुए प्रभावित
विश्वविद्यालय के छात्र माणिक नाथ, जिन्होंने तीन गोल्ड मेडल हासिल किए हैं, कहते हैं, “मारिया का समर्पण साबित करता है कि शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती. धर्म और देश की दीवारें ज्ञान को नहीं रोक सकतीं.”

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