यह कहानी है उत्तर प्रदेश की दो बेटियों की, जिन्होंने अपने जिद और जुनून से न सिर्फ अपने हालात बदले बल्कि युवाओं के लिए मिसाल भी बन गईं हैं. दो अलग-अलग शहरों में अलग-अलग परिवारों में पली-बढ़ी इन दो लड़कियों के हालात लगभग एक जैसे थे- आर्थिक तंगी और गरीबी. लेकिन इन लड़कियों की जीवन में कुछ कर पाने की जिद भी एक जैसी है और तब ही तो दोनों बेटियों ने नीट की परीक्षा पास करके अपने परिवारों का नाम रोशन किया है.
प्रयागराज की श्वेता पाल बनी मिसाल
प्रयागराज के झलवा इलाके के पीपल गांव की श्वेता पाल ने नीट परीक्षा पास करके अपने सपनों की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. श्वेता के पिता हीरालाल पाल सीट कवर बनाने का काम करते हैं और मां कुसुम देवी घर में सिलाई करती हैं. श्वेता ने बताया, "घर की परिस्थिति तो ऐसी नहीं है कि हम इतनी महंगी कोचिंग में जाएं और पढ़ाई करें और अपने सपने को पूरा कर पाएं. लेकिन एक नवोदय फाउंडेशन के तहत मैं अपना सपना पूरा कर पाई." श्वेता की यह सफलता किसी सपने से कम नहीं है.
सोनभद्र की पूजा रंजन पर सबको है गर्व
सोनभद्र के राजमिलाण गांव की रहने वाली कुमारी पूजा रंजन ने भी नीट की परीक्षा पास करके न सिर्फ परिवार बल्कि गांव को भी गर्व करने का मौका दिया है. पूजा के माता-पिता मनरेगा मजदूर हैं. पूजा के पिता ने बताया, "कई तरहों की दिक्कत तो हुई ही और नरेगा से मजदूरी करके जो कुछ पैसे मिल जाते थे, उससे आने जाने का व्यवस्था करते थे.' पूजा की कामयाबी ने भाई के हौसले को भी बुलंद कर दिया है.
श्वेता और पूजा की कामयाबी की कहानियों बताती हैं कि सफलता 1 दिन में नहीं मिलती, बल्कि इसके पीछे लंबा संघर्ष है. आज ये दोनों बेटियां देश के हर युवा के लिए मिसाल हैं कि परिस्थितियों से घबराएं नहीं बल्कि उन्हें बदलने पर फोकस करें.