शाहरुख खान की नई मूवी डंकी इस वक्त सभी सिनेमा हॉल में छाई हुई है. कॉमेडी-ड्रामा फिल्म में तापसी पन्नू, बोमन ईरानी और विक्की कौशल भी हैं. फिल्म रिलीज होने के बाद से सभी इसके एक नए मुद्दे पर बात करने लगे हैं. ये फिल्म डंकी फ्लाइट्स (Donkey Flights) के बारे में है. दरअसल, डंकी फ्लाइट एक अवैध तकनीक है जिसकी मदद से हर साल हजारों लोग अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में "बैक डोर एंट्री" करते हैं.
सपने पूरे करने का एक और रास्ता
एक पूरी फिल्म एक अवैध यात्रा के बारे में है. बहुत सारे लोग अपने देश से बाहर निकलकर दुनिया भर की सीमाओं के पार जाते हैं. इसे डंकी ट्रेवल कहा जाता है. हमारे देश के साथ-साथ दूसरे देश के लोग भी इस यात्रा को करते हैं. लेकिन वास्तव में यह क्या है? भारतीय अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में एंट्री पाने के लिए इस रूट का इस्तेमाल करते हैं.
डंकी फ्लाइट मेथड क्या है?
डंकी फ्लाइट या डंकी फ्लाइट मेथड वो होता है जब किसी एक देश से लोग दूसरे देश में देश में अवैध तरीके से और कई मुश्किलों को पार करके जाते हैं. इसमें किसी विदेशी देश में प्रवेश करने के लिए पिछले दरवाजे के रास्ते का उपयोग किया जाता है. माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट के अनुसार, यह शब्द पंजाबी मुहावरे से आया है जिसका अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर कूदना.
उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में प्रवेश करने के लिए भारतीयों को शेंगेन-जोन देश के लिए पर्यटक वीजा मिल सकता है. अमेरिका के लिए, वे दक्षिण अमेरिकी देशों के लिए उड़ान भर सकते हैं.
यूट्यूब पर भी है कंटेंट
अगर कोई पश्चिमी यूरोप में इमिग्रेट करना चाहता है, तो वे - पिछले साल तक - बिना वीजा के सर्बिया की यात्रा करते थे और 30 दिनों तक वहां रहते थे. उस अवधि में, एजेंट या मानव तस्कर भारतीयों के लिए सर्बिया से इटली तक 'डंकी रूट' समुद्री यात्रा प्लान करते थे. सर्बिया के एक तरफ ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया और क्रोएशिया हैं और दूसरी तरफ मैसेडोनिया और ग्रीस हैं. इस प्रकार, यहां से यूरोपीय संघ (ईयू) या शेंगेन देशों में प्रवेश करना आसान होता है.
यूट्यूब पर "यूएसए डंकी" सर्च करने पर अवैध सीमा पार करने के बारे में हिंदी या पंजाबी में कई सारे वीडियो दिखाई देते हैं. एक व्लॉग में तो एक ग्रुप को सीमा तक पहुंचने के लिए पनामा के जंगल से गुजरते हुए भी दिखाया गया है.
डंकी फ्लाइट का सबसे ज्यादा प्रयोग कौन करता है?
डंकी फ्लाइट्स का कारोबार पंजाब में काफी फैला हुआ है, जहां युवाओं की एक बड़ी आबादी विदेश यात्रा करके वहीं बसने की चाहत रखती है. यह कारोबार निकटवर्ती हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश तक भी फैल गया है. अब ये बिजनेस गुजरात में भी अपने पैर जमा रहा है, क्योंकि पश्चिमी राज्य से बड़ी संख्या में लोग विदेश जाना चाहते हैं.
कैसे होती है ये पूरी यात्रा?
ठगी की शुरुआत तब होती है जब विदेश जाकर अच्छी कमाई करने का सपना देखने वाले युवा ट्रैवल एजेंटों के पास पहुंचते हैं. ये ट्रैवल एजेंसियां भावी आप्रवासियों को कम कीमत पर "गारंटीशुदा वीजा" का वादा करके लुभाती हैं. हालांकि इनमें से कुछ एजेंसियां वैध हैं, वहीं कुछ ऐसी भी हैं जिनके तरीके पूरी तरह से सही नहीं है. विदेश में बसने की चाह रखने वाले इन एजेंटों को पैसे का भुगतान करते हैं और फिर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए खतरनाक यात्राएं करते हैं. कभी-कभी बिना खाने और पानी के भी इन्हें रहना पड़ता है. उदाहरण के लिए, एजेंट, जिन्हें 'डंकर्स' कहा जाता है, ग्राहकों को डेरियन गैप की पूरी लंबाई तक चलने के लिए कहते हैं जो कोलंबिया को पनामा से जोड़ता है. लोग अक्सर जहरीले सांपों और जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हुए खाली पेट कई दिनों तक पैदल यात्रा करके कार्टेल-संक्रमित इस हिस्से को पार करते हैं.
आखिर में इस यात्रा का उद्देश्य अमेरिका तक पहुंचना और फिर अपने अमेरिकी सपने को पूरा करना होता है.
लोग इस मेथड को क्यों चुनते हैं?
भारत से निकलने की इच्छा काफी हद तक बेहतर पैसा कमाने और बेहतर जीवन जीने की संभावना से प्रेरित है. दरअसल, हर कोई सोचता है कि वे विदेश में आसानी से पैसा कमा लेंगे, जल्दी पैसा कमा लेंगे. इसके अलावा, जिन लोगों ने 'डंकी फ्लाइट्स' का उपयोग किया है, उनका कहना है कि इस पद्धति से जुड़े खतरे बाद में उनके द्वारा जीए गए जीवन की तुलना में कुछ भी नहीं हैं. उनका तर्क है कि अगर वे बेहतर जीवन जीने और अपने परिवार को घर वापस लाने में सक्षम हैं तो दुनिया के सभी खतरे मायने नहीं रखते.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले अक्टूबर से इस सितंबर तक लगभग 42,000 भारतीय अवैध रूप से अमेरिकी सीमा पार कर चुके हैं. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुनी है.