गुजरात का भुज एयरपोर्ट आज 15 अक्टूबर 2021 को एक और अहम घटना का गवाह बना. अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को लाइट स्पोर्ट एअरक्राफ्ट (एलएसए) के जरिए अकेले पार करने वाली विश्व की पहली महिला पायलट आरोही पंडित ने एक और ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया है. भुज एयरपोर्ट से जेआरडी टाटा की फ्लाइट ने आरोही के साथ एक बार फिर से उड़ान भरी. 1932 में जेआरडी टाटा द्वारा उड़ाई गई देश की पहली व्यावसायिक उड़ान को आरोही ने इस महीने की 15 तारीख को एक बार फिर से उड़ाया.
भारतीय व्यावसायिक नागरिक उड्डयन क्षेत्र के जनक माने जाने वाले जेआरडी टाटा ने 15 अक्टूबर 1932 को कराची से मुंबई तक टाटा एअर सर्विसेज की पहली व्यावसायिक उड़ान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. उन्होंने सिंगल इंजन वाले विमान के जरिए एक डाक को लेकर उड़ान भरी थी.
72 घंटे में तैयार कर दिया नया रनवे
महिला पायलट आरोही पंडित ने भुज से मुंबई के जुहू एयरपोर्ट के लिए विमान में अकेले उड़ान भरी. 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान सेना के हमले से क्षतिग्रस्त रनवे को एयरफोर्स के लिए माधापर गांव की महिलाओं ने 72 घंटे में फिर से रनवे बना दिया था. उन महिलाओं का सम्मान करते हुए और माधापर की वीरांगना महिलाओं का एयरपोर्ट पर आर्शीवाद लेते हुए आरोही ने भुज एयरपोर्ट से अपनी ऐतिहासिक उड़ान भरी.
60 लीटर से कम पेट्रोल में तय किया सफर
महिला पाइलट आरोही पंडित भुज से उड़ान भरने के बाद अहमदाबाद में विमान में ईंधन भरेंगी और मुंबई के जुहू स्थित भारत के पहले नागरिक हवाई अड्डे पर उतरेंगी. उड़ान के दौरान आरोही पंडित लगभग 946 km की दूरी तय करेंगी. यह लगभग पांच घंटे की हवाई यात्रा होगी और इसके लिए 60 लीटर से कम पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाएगा. आरोही किसी जीपीएस, ऑटो-पायलट या कंप्यूटराइज्ड उपकरण का इस्तेमाल नहीं करेंगी. इस दौरान वह समुद्र के औसत स्तर से पांच हजार फुट की ऊंचाई से नीचे रहेंगी. वहीं टाटा समूह का कहना है कि वो ऐतिहासिक सफर को जीवंत करने के आरोही के प्रयास को समर्थन देकर खुशी महसूस कर रहे हैं. यह जेआरडी टाटा के विजन को सच्ची श्रद्धांजलि है.
क्यों खास है 15 तारीख?
15 अक्टूबर की तारीख इसलिए बेहद खास है क्योंकि इस दिन 89 साल पहले 1932 में जेआरडी टाटा ने भारत की पहली व्यवसायिक क्लाइट से उड़ान भरी थी. जेआरडी टाटा एयरलाइंस की इस फ्लाइट को कराची से मुंबई लेकर गए थे. खास बात ये है कि इस विमान में सवारियों की जगह 25 किलो चिट्ठियां रखी गई थीं. इस सिंगल इंजन का नाम डी हैविलैंड पस मोथ था, जोकि टाटा एयरलाइंस की पहली फ्लाइट थी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस 'पब्लिक लिमिटेड' कंपनी बन गई और इसका नाम बदलकर 'एयर इंडिया लिमिटेड' रखा दिया गया था.
कच्छ से कौशिक कांठेचा की रिपोर्ट