मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को नेबोल शांति पुरस्कार 2021 दिया गया है. दोनों को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला है. मारिया रेसा और दिमित्र मुराटोव ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं. नोबेल शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने ऐसे प्रयासों को एक स्थाई और स्वस्थ लोकतंत्र की नींव बताया है.
नोबेल शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 'मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव 2021 नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित सभी पत्रकारों के प्रतिनिधि हैं, जो प्रतिकूल परिस्थियों में भी आदर्श लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खड़े रहते हैं.'
बेरिट रीस-एंडरसन ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि स्वतंत्र और तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध प्रचार से बचाने का काम करती है. नॉर्वेजियन नोबेल समिति का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना की स्वतंत्रता जनता को जागरूक करती है. ये अधिकार लोकतंत्र के लिए जरूरी शर्ते हैं, जो युद्ध और संघर्षों से रक्षा करते हैं. मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को 2021 का नेबेल पीस प्राइज देने का मकसद इन मौलिक अधिकारों की रक्षा और बचाव के महत्व को रेखांकित करना है.
कौन हैं मारिया रेसा?
मारिया रेसा का जन्म 2 अक्टूबर 2021 को फीलीपींस के मनीला में हुआ था. वे पेशे से पत्रकार हैं. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं. मारिया रेसा की किताब How To Stand up to a Dictator नोबेल पीस प्राइज के लिए नामित हुई थी. इसके अलावा इन्होंने सीड्स ऑफ टेरर और फ्रॉम बिन लादेन टू फेसबुक नाम की किताब लिखी है, जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चित रही हैं.
कौन हैं दिमित्री मुराटोव?
दिमित्री मुराटोव भी पेशे से पत्रकार हैं, जो रूस के नागिरक हैं. नोवाया गजेटा नाम के एक रशियन न्यूज पेपर के एडिटर इन चीफ हैं. दिमित्री न्यूज प्रेजेंटर भी रह चुके हैं. 1961 में जन्मे दिमित्रि, समारा, रूस में पैदा हुए थे. दिमित्री मानवाधिकारों, भ्रष्टाचार और वैश्विक शांति के लिए लिखते रहे हैं. उन्हें इसके लिए कई राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
कौन सी संस्था देती है शांति का नोबेल पुरस्कार?
कभी भयंकर विस्फोटक डाइनामाइट का आविष्कार करने वाले अल्फ्रेड नोबेल बाद के वर्षों में समाजिक मुद्दों में रुचि दिखाने लगे थे. अल्फ्रेड नोबेल ने शांति आंदोलनों में भी बड़ी भूमिका निभाई. शांति के लिए नोबेल पांचवां और अंतिम क्षेत्र था, जिसका जिक्र अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में किया था. अल्फ्रेड नोबल, बर्थआ वॉन सटनर से बेहद प्रभावित रहे. यूरोप में अंतराष्ट्रीय शांति आंदोलनों में बर्था वॉन सटनर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें भी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
135 लोगों को मिला है नोबेल पीस प्राइज, 17 महिलाएं
नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वेजियन संसद (स्टोरिंगेट) द्वारा चुनी गई एक समिति की ओर से विश्व शांति की दिशा में उल्लेखनीय काम करने के लिए दिया जाता है. अब तक संसद ने 135 लोगों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया है, जिनमें से 17 महिलाएं हैं.
किसे मिला था पहला नोबेल प्राइज?
पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में संयुक्त रूप से दो लोगों को दिया गया था. जीन हेनरी ड्यूनेंट और फ्रैडरिक पेसी को संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार मिला था. जहां हेनरी ड्यूनेंट को युद्ध में घायल सैनिकों की मदद करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित करने के लिए नोबेल मिला था, वहीं उन्हीं के साथ फ्रैडरिक पेसी को भी शांति सम्मेलनों, कूटनीति और मध्यस्थता के लिए किए गए उल्लेखनीय प्रयासों के लिए पुरस्कृत किया गया था. शांति के लिए नोबेल पांचवां और अंतिम क्षेत्र था, जिसका जिक्र नोबेल ने अपनी वसीयत में किया था.
व्यक्ति नहीं, संस्था ने जीता था 2020 का नोबेल पुरस्कार
साल 2020 में जब दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही थी, तब नोबेल शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम संगठन को दिया गया था. कोरोना वायरस संकट काल के वक्त दुनिया में बड़े पैमाने पर जरूरतमंदों को खाना खिलाने और मदद करने के लिए ये चयन किया गया था. यही वजह थी की एक संस्था को सम्मानित किया गया था.