मोदी सरकार ने 29 लेबर कानूनों की जगह 4 नए लेबर कोड (New Labour Codes) लागू करके प्राइवेट और सरकारी दोनों कर्मचारियों की चांदी कर दी है. 4 नए श्रम कानून से न सिर्फ प्राइवेट सेक्टर के स्थायी, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट और फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी लाभ होगा. इस नए लेबर कोड में जहां टाइम पर सैलरी मिलने की गारंटी दी गई है, वहीं ग्रेच्युटी को लेकर भी बड़ा बदलाव किया गया है. अब 5 नहीं सिर्फ 1 साल की नौकरी पर ही ग्रेच्युटी मिलेगी. पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा भी बढ़ेगा. अब गिग वर्कर्स यानी स्वीगी-जोमेटो वालो को भी पीएफ, ESIC और सोशल सिक्योरिटी की सुविधा प्राप्त होगी. नए लेबर कोड का फायदा कर्मचारियों के साथ कंपनियों को भी मिलेगा.
कौन-कौन से 4 नए लेबर कोड?
1. कोड ऑन वेजेज 2019 (वेतन संहिता)
2. कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 (सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020)
3. औद्योगिक संबंध संहिता 2020 (इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020)
4. ऑक्यूपेशनल सेफ्टी और हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 (ओएसएच और कार्य शर्तें संहिता 2020)
किस लेबर कोड में क्या?
कोड ऑन वेजेज 2019 जहां कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देने और समय पर सैलरी देने की व्यवस्था करवाएगी, वहीं कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 कर्मियों को पीएफ, ग्रेच्युटी, ESIC और बीमा का लाभ दिलाएगी. औद्योगिक संबंध संहिता में कर्मियों की नियुक्ति और छंटनी सहित अन्य नियमों पर बात की गई है, वहीं हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड में काम की सुरक्षा और वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाने पर बात की गई है.
क्या है ग्रेच्युटी और कौन उठा सकता है लाभ?
कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को उनके काम के बदले तोहफे के रूप में ग्रेच्युटी देती है. अभी तक कोई कंपनी या संस्थान की ओर से अपने किसी कर्मचारी को लगातार पांच सालों तक नौकरी करने के बाद ही ग्रेच्युटी दी जाती थी, लेकिन नए लेबर कोड में इसमें बदलाव कर दिया गया है. अब सिर्फ एक साल नौकरी करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी देनी होगी. ग्रेच्युटी का लाभ सिर्फ स्थाई कर्मचारियों को ही नहीं बल्कि फिक्स्ड टर्म कर्मियों और कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को भी दिया जाएगा. ग्रेच्युटी निकालने के लिए आखिरी सैलरी x (15/26) x कंपनी में काम किए गए साल, वाला फॉर्मूला अपनाना होता है.
प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी में जाने वाला पैसा बढ़ेगा
नए लेबर कोड में कर्मचारियों की सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा बेसिक सैलरी यानी मूल वेतन का होगा. इसका मतलब है कि अब कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी में जाने वाला पैसा बढ़ जाएगा क्योंकि पीएफ और ग्रेच्युटी की गणना बेसिक सैलरी पर की जाती है. नए लेबर कोड से कर्मचारी और कंपनी दोनों का प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ जाएगा. इससे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा अधिक मिलेगा. हालांकि हर महीने मिलने वाली सैलरी में थोड़ी कमी हो सकती है. दरअसल, कुल सैलरी यानी सीटीसी तो उतनी ही रहेगी लेकिन सीटीसी में से ही पीएफ और ग्रेच्युटी का हिस्सा बढ़ जाएगा.
आपको मालूम हो कि अभी पीएफ का 12 प्रतिशत हिस्सा बेसिक सैलरी पर कटता है. ग्रेच्युटी की रकम आखिरी बेसिक सैलरी और कंपनी में काम करने के सालों पर निर्भर करती है. आपको मालूम हो कि पीएफ एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हर महीने एक निश्चित राशि का योगदान करते हैं. यह एक दीर्घकालिक बचत योजना है जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित होती है. इसका उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.
नए लेबर कोड से कंपनियों को क्या होगा लाभ?
नए लेबर कोड से कंपनियों को भी लाभ होगा क्योंकि सरकार ने लेबर कानून को सरल बना दिया है. पहले 29 लेबर कानून थे, जिसकी वजह से कंपनियों को नियमों के पालन करने में परेशानी होती थी लेकिन अब सिर्फ 4 लेबर कानून रहने से आसानी होगी. नए लेबर कोड में छोटी कंपनियों के लिए बंदी और छंटनी के नियमों को उनके अनुकूल बनाया है. अब 300 कर्मचारी तक की कंपनियों को बंदी और छंटनी की स्थिति में सरकार से अनुमति नहीं लेनी होगी,पहले यह कानून 100 कर्मचारियों तक की कंपनियों पर लागू हो जाता था.
नए लेबर कोड से मिलने वाली 12 बड़ी गारंटी
1. सभी मजदूरों को समय से न्यूनतम वेतन की गारंटी.
2. मासिक वेतन महीने की 7 तारीख और साप्ताहिक वेतन सप्ताह के आखिरी कार्यदिवस पर देना अनिवार्य.
3. कंपनियों द्वारा जॉब लेटर देना जरूरी.
4. महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन और सम्मान.
5. देश के 40 करोड़ मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी.
6. कर्मचारियों को सिर्फ 1 साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी.
7. 40 से ऊपर वाले उम्र के हर कर्मचारी की साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेकअप.
8. ओवरटाइम करने पर दोगुना वेतन.
9. खतरनाक उद्योगों में 100% हेल्थ सिक्योरिटी.
10. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सामाजिक न्याय की गारंटी.
11. PF, ESIC, बीमा और सामाजिक सुरक्षा का दायरा गिग वर्कर्स को भी मिलेगा.
12. वेतन-संरचना पुनर्गठन होगा, जिससे बेसिक + भत्ते आदि का अनुपात बदल सकता है.