भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, अब कचड़े से बनेगा प्रदूषण नियंत्रक एक्टिवेटेड कार्बन

चाय के प्रसंस्करण से आमतौर पर चाय की धूल के रूप में ढेर सारा कचरा निकलता है. इसे उपयोगी वस्‍तुओं में बदला जा सकता है. चाय की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले एक्टिवेटेड कार्बन में बदलने के लिए लाभदायक है.

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अंजनी
  • नई दिल्ली ,
  • 14 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 5:00 PM IST
  • इंस्‍टीट्यूट ऑफ एडवान्‍स्‍ड स्‍टडी इन साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने खोजी तकनीक 
  • चाय की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले एक्टिवेटेड कार्बन बनाने में लाभदायक 
  • पारंपरिक तरीके से तैयार किया गया था केले के पौधे का अर्क
  • नई प्रक्रिया पूरी तरह से नॉन-टॉक्सिक

वैज्ञानिकों के एक दल ने चाय और केले के कचरे का इस्तेमाल करके नॉन-टॉक्सिक एक्टिवेटेड कार्बन तैयार करने की प्रक्रिया खोज निकाली है. एक्टिवेटेड कार्बन औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, जल शोधन, खाद्य एवं पेय प्रसंस्करण, और गंध हटाने जैसे अनेक प्रयोजनों के लिए उपयोगी है. इस नई प्रक्रिया के द्वारा कार्बन का संश्लेषण करने के लिए किसी भी विषैले एजेंट की जरुरत नहीं पड़ती, इस प्रकार यह उत्पाद को किफायती और नॉन-टॉक्सिक बना देती है. इसके लिए हाल ही में एक भारतीय पेटेंट दिया गया है.

इंस्‍टीट्यूट ऑफ एडवान्‍स्‍ड स्‍टडी इन साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने खोजी तकनीक 

इंस्‍टीट्यूट ऑफ एडवान्‍स्‍ड स्‍टडी इन साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी (आईएएसएसटी) गुवाहाटी के पूर्व निदेशक डॉ. एन. सी. तालुकदार, और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवाशीष चौधरी ने  चाय के कचरे से एक्टिवेटेड कार्बन तैयार करने के लिए एक वैकल्पिक सक्रिय एजेंट के रूप में केले के पौधे के अर्क का इस्तेमाल किया. यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाला एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान है. केले के पौधे के अर्क में मौजूद ऑक्सीजन के साथ मिलने वाला पोटैशियम यौगिक चाय के कचरे से तैयार कार्बन को सक्रिय करने में मदद करता है. 

चाय की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले एक्टिवेटेड कार्बन बनाने में लाभदायक 

चाय के प्रसंस्करण से आमतौर पर चाय की धूल के रूप में ढेर सारा कचरा निकलता है. इसे उपयोगी वस्‍तुओं में बदला जा सकता है. चाय की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले एक्टिवेटेड कार्बन में बदलने के लिए लाभदायक है. हालांकि, एक्टिवेटेड कार्बन बनाने में महत्‍वपूर्ण एसिड और आधार संरचना का उपयोग शामिल है, जिससे उत्पाद नॉन-टॉक्सिक हो जाता है और इसलिए अधिकांश उपयोगों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है. इसलिए इस चुनौती से निबटने के लिए एक गैर विषैले तरीके की आवश्‍यकता थी.

पारंपरिक तरीके से तैयार किया गया था केले के पौधे का अर्क

इस प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले केले के पौधे का अर्क पारंपरिक तरीके से तैयार किया गया था और इसे खार के नाम से जाना जाता है, जो जले हुए सूखे केले के छिलके की राख से प्राप्‍त एक क्षारीय अर्क है. इसके लिए सबसे पसंदीदा केले को असमी भाषा में 'भीम कोल' कहा जाता है. आईएएसएसटी के वैज्ञानिक दल ने बताया,”एक्टिवेटेड कार्बन के संश्लेषण के लिए चाय के उपयोग का कारण यह है कि चाय की संरचना में, कार्बन के कण संयुग्‍म होते हैं और उनमें पॉलीफेनोल्स बॉन्‍ड पाए जाते हैं. यह अन्य विकल्पों की तुलना में एक्टिवेटेड कार्बन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है."

नई प्रक्रिया पूरी तरह से नॉन-टॉक्सिक

इस प्रक्रिया का मुख्य लाभ यह है कि प्रारंभिक सामग्री, साथ ही सक्रिय करने वाले एजेंट, दोनों ही कचड़े से लिए जाते हैं. इसलिए यह प्रक्रिया हरित है. ऐसा पहली बार है कि पौधों की सामग्री को एक्टिवेट करने वाले एजेंट के रूप में उपयोग किया गया है. एक्टिवेटेड कार्बन के संश्लेषण की यह नई प्रक्रिया इस उत्पाद को किफायती और नॉन-टॉक्सिक बनाती है.

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