Green Cafe: बढ़ते AQI के बीच दिल्ली का ये कैफे लोगों को दे रहा शुद्ध हवा में सांस लेने का मौका...जाने क्या है इसमें खास

जानें क्यों लोगों को पसंद आ रहा है दिल्ली का ये कैफे, जहां लोग केवल खाने नहीं जाते है बल्कि सांस लेने भी जा रहे हैं.

मनीषा लड्डा
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

दिल्ली की हवा इन दिनों जहर उगल रही है. AQI लगातार खतरनाक जोन में है और ऐसे में लोग ऐसी जगहें ढूंढ रहे हैं, जहां उन्हें थोड़ी राहत मिल सके. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे कैफे के बारे में जो साउथ दिल्ली के पंचशील पार्क में बने प्लेनेटरी कैफ़े के बाहर है. जहां लोग सिर्फ़ खाना खाने नहीं, बल्कि साफ और सुकून भरी हवा लेने आते हैं.

कहते हैं हवा में घुला जहर सबसे पहले फेफड़ों को चोट पहुंचाता है, लेकिन यही दिल्ली की सच्चाई है हर सर्दी, इसी बीच यह कैफ़े प्लेनेटरी लोगों के लिए एक तरह की ग्रीन शरणस्थली बन गया है. अंदर आते ही आपको दिखती हैं दर्जनों नहीं, बल्कि सैकड़ों एयर-प्यूरिफ़ाइंग इंडोर प्लांट्स हर टेबल पर, हर कोने में, हर शेल्फ़ पर छोटी, बड़ी, रंग-बिरंगी हर तरह की पौधें रखें हैं. यह प्लांट्स हवा को थोड़ा कम जहरीला बनाते हैं.

कैफे में आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी 
दिल्ली की जहरीली हवा से बचने के लिए पिछले एक महीने में इस कैफ़े में आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. लोग कहते हैं कि यहां बैठकर कम से कम सांस लेना थोड़ा आसान लगता है और माहौल मन को हल्का करता है.

शहर में AQI 350 से 500 के बीच झूल रहा है. पार्कों में टहलना तक मुश्किल हो गया है. वहीं खुली हवा में सांस लेना असंभव मुमकिन नहीं है. लेकिन ऐसे ‘इनडोर ग्रीन कैफे’ बढ़ते प्रदूषण के बीच मानसिक आराम का नया ट्रेंड बनकर उभर रहे हैं.

दिल्ली वालों के बीच यह कैफ़े सोशल मीडिया पर भी चर्चा में है. लोग यहां तस्वीरें पोस्ट करते हैं, वीडियो बनाते हैं और बताते हैं कि जहरीली हवा के बीच ऐसा ‘ग्रीन कैफ़े’ राहत की सांस देता है. 

दिल्ली में अक्टूबर के अंत से ही प्रदूषण की मार पड़ने लगती है. हर साल AQI लगभग 400 से 500 के बीच नजर आता है. ऐसे में सांस लेना तो मुश्किल होता ही है साथ ही सेहत पर भयानक असर पड़ रहा है. हालांकि दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को रोकने की लगातार कोशिश कर रही है पर दिल्ली के प्रदूषण पर काबू करना न मुमकिन सा लग रहा है. 
जब तक दिल्ली की हवा साफ नहीं होगी, ऐसे छोटे-छोटे ऑक्सीजन पॉकेट्स ही लोगों की उम्मीद बने हुए हैं.

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