दंगल में धाकड़ हैं सूरत के इस चाय वाले की तीनों बेटियां

क्या आपको अभिनेता आमिर खान की फिल्म दंगल याद है? साल 2016 में आई इस फिल्म ने अपनी स्टोरी लाइन के लिए जमकर तारीफ बटोरी और फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा को स्टार बना दिया. फिल्म में एक पिता के रूप में आमिर खान अपनी बेटियों को सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों की परवाह किए बिना दंगल करवाते हैं

gnttv.com
  • सूरत,
  • 17 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST
  • कॉलेज से की थी कुश्ती की शुरूआत
  • सामने आईं कई चुनौतियां 

क्या आपको अभिनेता आमिर खान की फिल्म दंगल याद है? साल 2016 में आई इस फिल्म ने अपनी स्टोरी लाइन के लिए जमकर तारीफ बटोरी और फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा को स्टार बना दिया. फिल्म में एक पिता के रूप में आमिर खान अपनी बेटियों को सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों की परवाह किए बिना दंगल करवाते हैं. फिल्म की कहानी पूर्व भारतीय पहलवान महावीर सिंह फोगाट और उनकी बेटी गीता और बबीता पर बनी है.
 
ठीक उसी तरह गुजरात के सूरत में भी एक पिता हैं, जो फुटपाथ पर चाय बेचने का काम करते हैं और सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी तीन-तीन बेटियों को दंगल करवा रहे हैं. सूरत में रहने वाली इन तीन बेटियों में एक बड़ी बहन है और दो उसकी जुड़वा बहने हैं. सूरत की ये दंगल गर्ल्स गुजरात की तरफ से हाल ही में यूपी में हुई एक स्पर्धा में मेडल जीत कर लाई हैं.

रोज जिम में बहाती हैं पसीना
सूरत के डिंडोली नवा गांव इलाके के एक छोटे से घर में रहने वाली नीलम रैकवर, सोनू रैकवर और मोनू रैकवर की सुबह शुरू होती है जिम में कसरत करने से. तीनों जिम में रोज एक से दो घंटे खुद को फिट रखने के लिए जमकर प्रक्टिस करती हैं. इसके बाद तीनों बहने समयानुसर अपने उस दंगल में चली जाती हैं, जहां इन्हें कुश्ती के दांव पेंच सिखाए जाते हैं. सूरत की रहने वाली इन तीनों बहनो में नीलम रैकवर सबसे बड़ी हैं, जबकि सोनू और मोनू रैकवर जुड़वां हैं. सूरत शहर के आर्य समाज द्वारा संचालित कुश्ती दंगल में यह तीनों बहने कुश्ती के दांव पेंच सीखती आ रही हैं.
 
कॉलेज से की थी कुश्ती की शुरूआत
कुश्ती लड़ने की शुरुआत इन तीनों बहनो ने एक साथ अपने कॉलेज से की थी. तीन बहनों में से सबसे बड़ी नीलम ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले 2018 में कॉलेज में कुश्ती लड़ी थी. उसके बाद जब ये सिलसिला शुरू हुआ तो कई सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते. हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी में नेशनल स्तर का दंगल हुआ था, जहां गुजरात की तरफ से तीनों बहनो ने हिस्सा लिया था. नीलम की माने तो उन्हें कुश्ती में आगे बढ़ने के लिए अच्छी डाइट ,अच्छे कोच और एक ग्राउंड की जरूरत है जो गुजरात में सम्भव नहीं है. इसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़ेगा, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

सामने आईं कई चुनौतियां 
लड़कियों के लिए दंगल में कुश्ती लड़ना आज भी आसान नहीं है जैसा कि दंगल फिल्म में भी दिखाया गया था. रैकवार परिवार की इन तीनों बेटियों के सामने भी ऐसी चुनौतियां हैं. सोनू रैकवार ने बताया कि उनके गांव में रहने वाले परिवार के लोग और रिश्तेदार बेटियों को कुश्ती लड़वाने से मना कर रहे थे और लड़कियों की शादी करवाने पर जोर दे रहे थे. मगर परिवार ने सामाजिक चुनौतियों की परवाह किए बिना उन्हें दंगल में कुश्ती लड़ने से कभी नहीं रोका. सोनू ने बताया कि उनकी आइडल विनेश फोग़ाट हैं. उनसे उन्हें प्रेरणा मिलती है और वो कुश्ती में नेशनल खेलना चाहती हैं.

फुटपाथ पर चाय बेचते हैं पिता 
इनके पिता रामलखन राईकवर सूरत शहर के उधना इलाक़े में फुटपाथ पर चाय बनाकर लोगों को पिलाते हैं. वहीं बगल में खड़ी होकर उनकी मां उर्मिला  फुटपाथ पर ही लोगों को खाना बनाकर खिलाती हैं और उनका बेटा परोसने का काम करता है. फुटपाथ पर खड़े होकर चाय और खाना बेचकर जो आमदनी होती है उसी से इनके परिवार का गुजारा होता है. रामलखन तीनों बेटियों को कुश्ती की तालीम तो दिलवाना चाहते हैं, लेकिन पैसे की कमी के चलते वो अपनी बेटियों को सही ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे हैं. रामलखन का कहना है कि वो अपनी बेटियों को ओलंपिक में खेलते देखना चाहते हैं. उनकी मां उर्मिला का भी ऐसा ही कुछ सपना है. वह कहती हैं कि वो अपने पति और बेटे के साथ फुटपाथ पर खड़े होकर दिन रात मेहनत करती हैं ताकि बेटियां कुछ बन सके. वह कहती हैं कि समाज के लोग बहुत कुछ बोलते हैं मगर उसकी परवाह वो नही करती है.

सूरत से संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट

 

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