डायबिटीज आज सिर्फ शुगर लेवल बढ़ने की बीमारी नहीं रही. यह धीरे-धीरे आंखों की रोशनी तक छीन लेती है. खासकर डायबिटिक रेटिनोपैथी (DR) जो भारत में डायबिटीज मरीजों में सबसे तेजी से फैलने वाली आंखों की बीमारी है.
देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान AIIMS ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-हेल्थ डिविजन और वाधवानी AI के साथ मिलकर एक AI-पावर्ड मोबाइल ऐप MadhuNETrAI तैयार किया है. यह ऐप रेटिना की एक फोटो देखकर कुछ ही सेकंड में बता देता है कि मरीज को डायबिटिक रेटिनोपैथी है या नहीं, और है तो कितनी गंभीर है.
AI ऐप जो सेकंडों में बता दे बीमारी
यह ऐप खास तौर पर उन जगहों के लिए बनाया गया है जहां आंखों के विशेषज्ञ नहीं होते. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या गांवों में तैनात स्टाफ बस एक फंडस कैमरा से मरीज की रेटिना की फोटो लेगा और ऐप में अपलोड करेगा.
सिर्फ कुछ सेकंड में AI फोटो का विश्लेषण कर देती है और यह बताती है जैसे,
रेटिना नॉर्मल है
हल्की समस्या है
या फिर मध्यम से गंभीर समस्या है
3,000-4000 रेटिना इमेज पर हुई टेस्टिंग
भारत में कई AI मॉडल बन रहे हैं, लेकिन ज्यादातर सिर्फ 100-150 तस्वीरों पर टेस्ट किए जाते हैं जिससे क्लिनिकल भरोसा नहीं बन पाता. लेकिन MadhuNETrAI को 13,000 इमेज में से 3,000-4,000 रेटिना इमेज पर टेस्ट किया गया है. टेस्टिंग में ऐप ने 95% से ज्यादा सटीकता हासिल की, जो इसे देश के सबसे विश्वसनीय AI-आधारित स्क्रीनिंग टूल्स में शामिल करता है
इंटरनेट की जरूरत भी नहीं पड़ेगी
डॉक्टरों की टीम अब ऐप का एक ऐसा वर्जन बना रही है जो लो-कॉस्ट कैमरा के साथ चले. जरूरत पड़ने पर सिर्फ स्मार्टफोन कैमरा से भी इमेज ले सके और स्क्रीनिंग के दौरान इंटरनेट के बिना भी काम करे ऐसा मॉडल देश के दूर-दराज इलाकों में आंखों की बीमारी को पकड़ने में बड़ी मदद करेगा.
अब CDSCO की मंजूरी बाकी
इसे दवा और चिकित्सा उपकरण नियामक संस्था CDSCO की मंजूरी चाहिए. यह प्रक्रिया चल रही है और टीम को उम्मीद है कि 6 महीने में प्रमाणन मिल जाएगा. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय को पूरे भारत में इसे स्केल करने की सिफारिश भेजी जाएगी.
ऐप का इस्तेमाल पूरी तरह फ्री होगा, यानी किसी भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र को इसके लिए अलग से शुल्क नहीं देना पड़ेगा. असली खर्च उस फंडस कैमरा का है जिससे रेटिना की तस्वीर ली जाती है. इस कैमरे की कीमत लगभग 3 लाख तक होती है. सरकार की योजना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) और जिला अस्पतालों तक यह कैमरा उपलब्ध कराया जाए, ताकि देशभर में डायबिटिक रेटिनोपैथी की स्क्रीनिंग आसान और तेज हो सके.