दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों ने एक कम कीमत की डायग्नोस्टिक किट विकसित की है, जो सिर्फ दो घंटे में सर्वाइकल कैंसर का पता लगा सकती है. यह तकनीक महिलाओं में होने वाले इस घातक कैंसर की स्क्रीनिंग को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है.
इस किट की खासियत यह है कि जहां पारंपरिक जांचों में लाखों रुपये की मशीनें लगती हैं और रिपोर्ट आने में कई दिन लग जाते हैं, वहीं नई नैनोटेक्नोलॉजी-आधारित विज़ुअल किट की कीमत 100 रुपये से भी कम रखी गई है.
AIIMS की रिसर्च टीम
इस किट को विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व डॉ. सुभाष चंद्र यादव (एडिशनल प्रोफेसर, इलेक्ट्रॉन एंड माइक्रोस्कोप फैसिलिटी, एनाटॉमी विभाग) ने किया. उनके साथ डॉ. neerja भाटला (पूर्व प्रमुख, गायनेकोलॉजी विभाग), शोधकर्ता ज्योति मीना, शिखा चौधरी और प्रणय तंवर शामिल हैं. टीम ने बताया कि किट का 400 मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है और इसमें 100 प्रतिशत सटीकता पाई गई है.
तेज़, सस्ती और सबके लिए सुलभ
डॉ. यादव ने बताया, “यह डायग्नोस्टिक किट सिर्फ दो घंटे में सटीक रिज़ल्ट देती है. पहले यह काम 30 लाख रुपये की मशीनें कई दिनों में करती थीं. हमारा मकसद इसे किफायती और हर किसी की पहुंच में बनाना था.” जहां निजी अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच का खर्च करीब 6,000 रुपये है, वहीं AIIMS जैसी गैर-लाभकारी संस्था में भी इसकी लागत 2,000 से 3,000 रुपये तक आती है. इस किट के आने से अब स्क्रीनिंग बेहद सस्ती और आसान हो जाएगी.
राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
नैनोटेक्नोलॉजी से पहचान
डॉ. भाटला ने कहा, “हमने अभी तक सेल्फ-टेस्टिंग की संभावना पर अध्ययन नहीं किया है, इसलिए फिलहाल इसे घर पर इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती.”
भारत में बड़ी स्वास्थ्य चुनौती
भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे घातक कैंसरों में से एक है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में समय पर डायग्नोसिस न हो पाने के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं प्रभावित होती हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की किफायती और त्वरित जांच किट से जल्दी पहचान और उपचार संभव हो सकेगा, जिससे हर साल हजारों महिलाओं की जान बचाई जा सकती है.
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