वजन नापने का सबसे सही समय सुबह उठते ही होता है, जब आपने न तो पानी पिया हो और न ही नाश्ता किया हो. रातभर शरीर एनर्जी खर्च करता है और सांस व पसीने के ज़रिए तरल बाहर निकलते हैं. ऐसे में, सुबह का नंबर आपका असली "बेसलाइन वजन" दिखाता है-शरीर की नेचुरल स्टेट में.
दिनभर में क्यों बदलता है वजन
वजन कभी स्थिर नहीं रहता. भारी खाना, ज्यादा नमक या महिलाओं में पीरियड्स के दौरान वजन 1–3 किलो तक ऊपर-नीचे हो सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इतनी जल्दी चर्बी बढ़ गई है. चर्बी जमा होने में समय लगता है, जबकि पानी का असर तुरंत दिखता है.
पानी जैसा स्पंज है शरीर
हमारा शरीर स्पंज की तरह है, जो समय-समय पर पानी रोकता और छोड़ता रहता है. अगर शरीर में वाटर रिटेंशन होने लगे तो यह परेशान करता है. क्योंकि इसमें स्वस्थ आदतों के बावजूद स्केल पर वजन नहीं घटता. इसके संकेत हैं- चेहरे या हाथों में सूजन, टखनों का शाम तक फूल जाना, या कपड़े अचानक एक-दो दिन के लिए तंग महसूस होना.
नमक और नींद का गहरा रिश्ता
पानी रुकने का सबसे बड़ा कारण है सोडियम यानी नमक. अचार, तली चीजें या पैकेट वाले खाने जैसे ज्यादा नमक वाले भोजन करने पर अगले दिन वजन भारी दिख सकता है. कम नींद भी समस्या बढ़ाती है क्योंकि यह उन हार्मोन्स को बिगाड़ती है जो शरीर में तरल का संतुलन रखते हैं. यानी ज्यादा नमक और कम नींद से वजन अस्थाई तौर पर बढ़ सकता है.
एक्सरसाइज और पानी का उतार-चढ़ाव
कसरत भी पानी के खेल से जुड़ी है. कड़ी एक्सरसाइज़ के बाद मांसपेशियां मरम्मत के लिए पानी रोक लेती हैं, जिससे वजन अस्थायी रूप से बढ़ सकता है. वहीं हल्की गतिविधिया जैसे पैदल चलना या स्ट्रेचिंग, पानी को बाहर निकालने और ब्लड सर्कुलेशन सुधारने में मदद करती हैं.
स्केल की सही समझ
स्केल का नंबर शरीर की पूरी कहानी नहीं है, बस एक हिस्सा है. चर्बी घटने या बढ़ने में हफ्तों लगते हैं, घंटे नहीं. अगर किसी पार्टी के बाद वजन अचानक बढ़ा या बहुत पसीना आने पर घटा, तो यह ज़्यादातर पानी का असर है, न कि चर्बी का. बेहतर है कि रोज़ की बजाय हफ़्ते में एक ही समय पर वजन नापा जाए. इससे असली प्रगति साफ नज़र आती है.
सावधानी: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. अगर किसी को अचानक, तेज़ या लंबे समय तक सूजन की समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए.
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