Inspirational: सिर्फ 25 रुपये में इलाज करती हैं डॉ. अंजू सिन्हा, इंसानियत की बनीं मिसाल

पेशे से डॉक्टर अंजू सिन्हा होम्योपैथी से जुड़ी हैं और महंगाई के इस दौर में भी मात्र 25 रुपये में मरीजों का इलाज करती हैं. इतना ही नहीं, वह इसी 25 रुपये में मरीजों को जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध कराती हैं.

Dr. Anju Sinha
gnttv.com
  • गया,
  • 06 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

जहां आज देशभर में इलाज करवाना बेहद महंगा हो गया है, छोटी-सी बीमारी में भी हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं, वहीं गया जिले की एक महिला डॉक्टर, डॉ. अंजू सिन्हा, इंसानियत की अनोखी मिसाल पेश कर रही हैं. पेशे से डॉक्टर अंजू सिन्हा होम्योपैथी से जुड़ी हैं और महंगाई के इस दौर में भी मात्र 25 रुपये में मरीजों का इलाज करती हैं. इतना ही नहीं, वह इसी 25 रुपये में मरीजों को जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध कराती हैं.

गरीबों के लिए बनीं मसीहा
आज के समय में जहां प्राइवेट अस्पतालों और क्लिनिकों में सिर्फ परामर्श (कंसल्टेशन) के लिए ही 500 से 1000 रुपये तक देने पड़ते हैं, वहीं डॉ. अंजू सिन्हा का यह कदम गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. मरीज कहते हैं, "यहां इलाज के साथ भरोसा भी मिलता है."

अपनी बच्ची का इलाज कराने पहुंचे संदीप कुमार ने बताया, “डॉ. अंजू सिन्हा बहुत अच्छी डॉक्टर हैं. हम अपनी बच्ची का इलाज कराने आए थे, जिसे दांत नहीं आ रहा था. डॉक्टर ने 15 दिन की दवा दी और उसके बाद मेरी बच्ची को दांत आ गया. उनका इलाज भरोसेमंद है और फीस भी बहुत कम सिर्फ 25 रुपये. अगर कोई एक बार यहां इलाज कराता है, तो दोबारा जरूर आता है.”

मरीजों के साथ कोई भेदभाव नहीं
इलाज कराने आई कंचन देवी नामक मरीज ने कहा, “हम बहुत पहले से इनके पास इलाज कराने आते हैं. जब फीस 5 रुपये थी, तब से हम इनसे इलाज करा रहे हैं. डॉक्टर अंजू बहुत ही अच्छा इलाज करती हैं, मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करतीं और सभी को अपनापन देती हैं. इनका उद्देश्य कमाई नहीं, बल्कि जनसेवा है. इसलिए ये कम फीस लेकर भी लोगों को अच्छा इलाज देती हैं.”

2001 से कर रही हैं जनसेवा 
डॉ. अंजू सिन्हा ने बताया कि उन्होंने पटना से पढ़ाई की है और साल 2001 से लोगों का इलाज कर रही हैं. उन्होंने कहा, “जब हमने शुरुआत की थी, तब मरीजों से सिर्फ 1 रुपये लेते थे. अब इतने वर्षों में फीस बढ़ाकर 25 रुपये की है. इसी में हम एक हफ्ते की दवा भी देते हैं. कुछ पेटेंट दवाइयों जैसे सिरप या टॉनिक के पैसे अलग से होते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “25 रुपये में ही हम स्टाफ का भुगतान और क्लिनिक का किराया भी देते हैं. हमें खुशी मिलती है कि इतने कम पैसे में भी हम लोगों की मदद कर पाते हैं. अगर 5 रुपये भी बच जाते हैं, तो वह हमारे लिए काफी मायने रखता है.”

मरीज की संतुष्टि है असली कमाई
डॉ. सिन्हा ने बताया कि जनसेवा की भावना उनके अंदर तब आई जब शादी के बाद आर्थिक कठिनाई के दौर में वे एक संस्था से जुड़ीं थीं. उस समय वह संस्था में सिर्फ 1 रुपये में मरीजों का इलाज करती थीं और वहीं से उन्हें समझ आया कि पैसा सब कुछ नहीं होता. अगर मरीज खुश है, तो वही हमारी सबसे बड़ी कमाई है.

दूर-दूर से आते हैं मरीज
आज डॉ. अंजू सिन्हा के पास गया और आसपास के इलाकों से लोग इलाज कराने आते हैं. वे कहती हैं, “अगर मरीज को मेरे इलाज से फायदा नहीं होता, तो वह मेरे पास दोबारा नहीं आता. मरीजों की संतुष्टि ही मेरी पहचान है. जो डॉक्टर 500 से 1000 रुपये फीस लेते हैं, वह उनका तरीका है. मेरा सुकून इस बात में है कि मैं कम पैसे में भी किसी का दर्द कम कर पाती हूं.”

(पंकज कुमार की रिपोर्ट)

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