कनाडा के 34 वर्षीय ब्रेंट चैपमैन पिछले 20 सालों से अंधेरे में जी रहे थे. लेकिन अब उनकी ज़िंदगी बदल गई है. अब वह फिर से देख पा रहे हैं. जब वह सिर्फ़ 13 साल के थे तो क्रिसमस पर बास्केटबॉल खेलते समय उन्होंने पेनकिलर आईबुप्रोफेन ली थी. वह पहले भी यह दवा लेते थे लेकिन इस बार उन्हें गंभीर रिएक्शन हुआ.
ब्रेंट 27 दिन तक कोमा में रहे. उन्होंने एक आंख खो दी और दूसरी से भी बहुत कम दिखाई देने लगा. अगले 20 सालों में उन्होंने लगभग 50 सर्जरी और कई कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराए, लेकिन सही नतीजा नहीं मिला. ऐसे में, उनका अपना दांत उनके लिए उम्मीद की किरण बना.
Tooth-in-Eye सर्जरी
CNN Health की रिपोर्ट के मुताबिक, जब सारे इलाज बेअसर हो गए, तब डॉक्टर ग्रेग मोलोनी (यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया) ने एक अनोखी सर्जरी की. इसमें ब्रेंट का ही दांत उनकी आंख में लगाया गया. इस प्रक्रिया को टूथ-इन-आई या ऑस्टियो-ओडोंटो-केरेटोप्रोस्थेसिस कहा जाता है.
इसमें मरीज का दांत निकाला जाता है, उसमें एक छोटा लेंस लगाया जाता है और फिर कुछ समय तक उसे गाल में रखा जाता है ताकि उस पर ऊतक (टिशू) बढ़ सके. इसके बाद इसे आंख में लगाया जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक, दांत एक मज़बूत हिस्सा है और शरीर इसे आसानी से स्वीकार करता है क्योंकि यह आपका अपना हिस्सा है. इसलिए यह आख में लेंस को सुरक्षित रख पाता है.
लौटी नज़र, लौटा आत्मविश्वास
ब्रेंट की सर्जरी कई फेज में हुई. इस साल अगस्त में आख़िरी सर्जरी के बाद उन्हें चश्मा पहनाया गया और अब उनकी आई-साइट 20/30 है. यानी वह सामान्य इंसान की तरह दूर की चीजें साफ़ देख पा रहे हैं. पहली बार जब उन्होंने 20 साल बाद शहर का नज़ारा देखा, तो वे भावुक हो गए. उन्होंने CNN के साथ इंटरव्यू में कहा कि यह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. जब आप नहीं देख पाते, तो आप दुनिया से कटे रहते हैं. अब वह फिर से दुनिया को महसूस कर रहा हैं."
ब्रेंट अब फिर से काम पर लौटने और लोगों की मदद करने की सोच रहे हैं. वह मसाज थेरेपिस्ट हैं और कहते हैं कि अब वह न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बल्कि दूसरों की ज़िंदगी में भी खुशी ला सकेंगे.
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