Chaturmas 2025: चातुर्मास में रखें इन बातों का ध्यान... धर्म ही नहीं सेहत के हिसाब से भी है जरूरी

चातुर्मास का सनातन धर्म में बहुत महत्व है और इस समय के दौरान आपको कई नियमों का पालन करना चाहिए.

Chaturmas 2025
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 18 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

पूरे उत्तर भारत में सावन माह की धूम है और इसके साथ ही, चातुर्मास भी चल रहा है. इसका सनातन धर्म में बहुत महत्व है और इस समय के दौरान आपको कई नियमों का पालन करना चाहिए. यह समय केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, आयुर्वेद की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. 

चातुर्मास का महत्व (सनातन धर्म में)

  • चातुर्मास - "चार महीने" (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) 
  • 6 जुलाई 2025 से शुरू हुआ 
  • भगवान विष्णु इन चार महीनों में योगनिद्रा में रहते हैं.
  • इस दौरान देवता और पितृ पृथ्वी पर वास करते हैं.
  • इसलिए व्रत, पूजा-पाठ, संयमित जीवनचर्या का विशेष महत्व

क्या है आयुर्वेदिक दृष्टिकोण?
चातुर्मास के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जिससे बीमारियां बढ़ती हैं.

संभावित समस्याएं:

  • वात दोष- बारिश में नमी कम होने से वात बढ़ता है. बुजुर्गों को समस्या हो सकती है.
  • पित्त दोष- बारिश के बाद बढ़ी गर्मी से पित्त बिगड़ता है. खासकर मोटे लोगों में ज्यादा असर.
  • पाचन तंत्र की गड़बड़ी- फंगसयुक्त हरी सब्जियों से पाचन बिगड़ता है.

आयुर्वेदिक उपाय / घरेलू इलाज

  • तिल के गर्म तेल से मालिश करें – वात नियंत्रण और त्वचा पोषण.
  • नाक में 1-2 बूंद तेल डालें (नस्य क्रिया) – एलर्जी व साइनस से राहत.
  • हल्के गर्म पानी से नहाएं – वात व पाचन दोष नियंत्रण में रहता है.
  • आंवला का सेवन करें – शरीर से टॉक्सिन हटाता है.

खान-पान संबंधी सलाह
क्या खाएं:

  • हल्का, गर्म, पचने में आसान भोजन.
  • मूंग दाल, चावल, जौ, घी, छाछ – संतुलित मात्रा में.
  • मौसमी सब्जियां: कद्दू, तुरई, लौकी।
  • चाय की बजाय: अदरक, अजवाइन, जीरा की हर्बल टी, काढ़ा लें.

क्या न खाएं:

  • बासी या लंबे समय तक रखा हुआ भोजन.
  • चातुर्मास की शुरुआत में गेहूं जैसे भारी अनाज न लें.
  • दही, मांसाहार, तला-भुना खाना त्यागें.
  • दूध वाली चाय कम करें.

योग और ध्यान 

  • खानपान के साथ-साथ योग भी बेहद जरूरी है:
  • सूर्य नमस्कार – सूर्योदय के वक्त रोज करें.
  • वॉक – दिन में 40 मिनट और रात को भोजन के बाद 20 मिनट
  • ध्यान और मंत्र जाप – रोज 108 बार किसी मंत्र का जप करें
  • प्रणायाम, अनुलोम-विलोम – रोज नियम से करें
  • स्क्रीन टाइम कम करें – मस्तिष्क को सबसे ज्यादा नुकसान इसी से होता है.

चातुर्मास के दौरान आयुर्वेद, संयमित आहार, योग और आध्यात्मिक साधना का पालन करने से न सिर्फ बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक शांति भी प्राप्त होती है. 

 

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