मांसपेशियों और जोडों के दर्द को ठीक करने का ड्रगलेस तरीका है Chiropractic Treatment, लालू प्रसाद यादव ने भी ली है यह थेरेपी

पिछले कुछ समय से लोगों के बीच काइरोप्रैक्टिक थेरेपी (Chiropractic treatment) काफी मशहूर हो रही है. इसका इस्तेमाल खासतौर पर मांसपेशियों और जोडों के दर्द से निजात पाने के लिए किया जाता है.

Chiropractic Treatment (Photo: Wikimedia Commons)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 13 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST
  • Chiropractic treatmnet के जरिए होता है मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द का इलाज
  • दर्द को ठीक करने का ड्रगलेस तरीका है Chiropractic Treatment

पिछले कुछ सालों में मांसपेशियों या जोडों के दर्द की समस्या से निजात पाने के कई अलग-अलग तरीके सामने आए हैं. इन्हीं तरीकों में से एक है काइरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट (Chiropractic Treatment). बहुत से लोग, खासकर कि सेलेब्रेटी, राजनेता और अन्य जाने-माने लोग इस थेरेपी को अपना रहे हैं.

कुछ महीने पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी लोअर बैक पेन (पीठ का दर्द) से निजात पाने के लिए पटना के जाने-माने काइरोप्रैक्टर डॉ रजनीश कांत से यह ट्रीटमेंट कराया था. 

क्या है काइरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट 
डॉ रजनीश कांत पिछले कई सालों से बतौर काइरोप्रैक्टर काम कर रहे हैं. और उन्होंने बहुत से लोगों को पीठ दर्द, जोडों के दर्द से राहत दिलाई है. काइरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट के बारे में बात करते हुए डॉ कांत ने बताया कि यह एक फिजिकल थेरेपी है. 

इस थेरेपी का इस्तेमाल मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द जैसे पीठ दर्द या खेल में लगी चोट के इलाज के लिए किया जाता है. यह इलाज पूरी तरह ड्रग्लेस थेरेपी है. इसमें किसी तरह की कोई मेडिसिन यूज नहीं की जाती है और न ही कोई सर्जरी आदि की जाती है.  

इस ट्रीटमेंट को पूरक एवं वैकल्पिक दवा (complementary and alternative medicine) के रूप में जाना जाता है. इसमें मैन्युअल थेरेपी शामिल होती है. क्योंकि काइरोप्रैक्टर इसमें अपने हाथों का इस्तेमाल करता है. 

कब काम आता है यह ट्रीटमेंट 
काइरोप्रैक्टिक से ज्यादातर मांसपेशियों और जोडों के दर्द का इलाज किया जाता है, जिसमें पीठ दर्द - विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गर्दन दर्द, कंधे का दर्द, कोहनी में दर्द और जोड़ों के टूटने-फूटने से होने वाला दर्द आदि शामिल है. ट्रीटमेंट के दौरान काइरोप्रैक्टर स्पाइनल मैनिप्युलेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. 

इसके सेशन में, काइरोप्रैक्टर आपकी रीढ की हड्डी पर अपने हाथों से मूवमेंट करता है. हालांकि इससे आपको दर्द नहीं होता. लेकिन बीच-बीच में पॉपिंग की आवाज आती है. और यह हानिकारक नहीं है. स्पाइनल मैनिप्युलेशन के अलावा, काइरोप्रैक्टर आपको कुछ एक्सरसाइज और पोस्चर भी बताते हैं जो आपके लिए मददगार होता हैं. 

डॉ कांत कहते हैं कि इसका कोई साइड इफेक्ट है ही नहीं, हमें सिर्फ अपने आप को मेंटेन रखना है. सर्जरी लास्ट ऑप्शन है लेकिन उससे पहले भी उसे ठीक किया जा सकता है. 

 

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