घोंघे के जहर से हो सकता है डायबिटीज का इलाज, स्टडी में हुआ खुलासा

शोध से पता चलता है कि छोटे पेप्टाइड अनुक्रमों के बावजूद, कोन स्नेल का जहर मधुमेह के इलाज में एक अच्छा विकल्प हो सकता है. ये मधुमेह रोगियों के इलाज के लिए तेजी से काम करने वाली दवाओं के निर्माण में काम आ सकता है.  

डाएबिटीज के इलाज में मददगार सीप (प्रतीकात्मक तस्वीर)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 29 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST
  • कोन स्नेल का जहर मधुमेह के इलाज में एक अच्छा विकल्प हो सकता है
  • डायबिटीज के इलाज के लिए दवाओं के निर्माण में काम आ सकता है

हम अक्सर समुद्र तट पर सीपियों को इकट्ठा करते हैं. पर क्या आपको पता है कि ये सीप डायबिटीज के इलाज में भी मददगार हो सकते हैं. जी हां, एक नए शोध के मुताबिक ये सीप घोंघे (Cone Snail) का भी घर होते हैं जो इंसुलिन जैसा जहर उगलने में सक्षम होते हैं. जिसकी मदद से ये अपने शिकार को पैरेलाइज कर सकते हैं. ये रिसर्च 'प्रोटीन: संरचना, कार्य और जैव सूचना विज्ञान जर्नल' में प्रकाशित हुआ था.  

न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताब‍िक इस जहर के वैरिएंट, जिसे कोन स्नेल इंसुलिन के रूप में जाना जाता है, मधुमेह रोगियों के इलाज के लिए तेजी से काम करने वाली दवाओं के निर्माण में काम आ सकता है. केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हरीश वशिष्ठ ने कहा, "डायबिटीज खतरनाक दर से बढ़ रहा है और बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए प्रभावी और बजट के अनुकूल दवाओं के विकास के लिए नए विकल्प खोजना जरूरी हो गया है."

ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने में आ सकते हैं काम 

प्रोफेसर हरीश वशिष्ठ ने कहा, "हमने पाया कि कॉन-इन वेरिएंट या एनालॉग्स, मानव हार्मोन की तुलना में शरीर में रिसेप्टर्स को और भी बेहतर तरीके से बांधते हैं और तेजी से काम कर सकते हैं. ऐसे में ये ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने और नए थेरेपी के लिए एक अनुकूल विकल्प बना सकता है." अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कोन शेप वाले घोंघे के जहर का बारीकी से अध्ययन किया जिसने ब्लड शुगर लेवल को कम करने वाली हाइपोग्लाइकेमिक रिएक्शन को प्रेरित किया. शरीर में बने इंसुलिन के विपरीत विष का पेप्टाइड अनुक्रम, जो इसे मानव इंसुलिन रिसेप्टर्स से बांधता है बहुत छोटा होता है. 

कोन स्नेल का जहर मधुमेह के इलाज में अच्छा विकल्प

यह परीक्षण करने के लिए कि क्या यह अभी भी प्रभावी ढंग से बांधने में संभव होगा, शोधकर्ताओं ने कोन स्नेल सी जियोग्राफस के जहर में इंसुलिन जैसे पेप्टाइड्स के अनुक्रमों का उपयोग छह अलग-अलग कॉन-इन एनालॉग्स के मॉडल के लिए एक टेम्पलेट के रूप में किया. नए बने वेरिएंट मानव इंसुलिन की तुलना में बहुत छोटी पेप्टाइड श्रृंखलाओं से बने थे, जिनमें मानव इंसुलिन की बी-श्रृंखला के अंतिम आठ अवशेषों की कमी थी. नई कॉन-इन संरचनाओं की स्थिरता और परिवर्तनशीलता का अध्ययन करने के लिए, उन्होंने निकट-शारीरिक वातावरण में मानव इंसुलिन रिसेप्टर के साथ प्रत्येक कॉन-इन वैरिएंट कॉम्प्लेक्स के कई स्वतंत्र कंप्यूटर सिमुलेशन आयोजित किए.  

उन्होंने पाया कि सिमुलेशन के दौरान प्रत्येक इंसुलिन कॉम्प्लेक्स स्थिर रहता है और डिज़ाइन किए गए पेप्टाइड्स दृढ़ता से बंधे होते हैं.  इस बारे में बताते हुए पोस्टडॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट बिस्वजीत गोराई ने कहा, "हालांकि अभी इस दिशा में और अध्ययन की जरूरत है, लेकिन हमारे शोध से पता चलता है कि छोटे पेप्टाइड अनुक्रमों के बावजूद, कोन स्नेल का जहर मधुमेह के इलाज में एक अच्छा विकल्प हो सकता है."

 

 

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