देश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में रोबोट की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है. दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 45 साल के मरीज पर यह सफल सर्जरी की गई. यह ऑपरेशन AIIMS के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है.
AIIMS के डॉक्टरों ने की चार घंटे की सर्जरी
AIIMS दिल्ली के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और चीफ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. वीरेन्द्र बंसल ने बताया कि यह सर्जरी Da Vinci Xi रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम की मदद से की गई. यह आधुनिक तकनीक सर्जरी को बेहद सटीक, कम दर्द वाली और तेज रिकवरी वाली बनाती है.
डॉ. बंसल ने बताया, मरीज का ऑपरेशन लगभग चार घंटे तक चला और इसे जनरल एनेस्थीसिया में किया गया. रोबोट की मदद से पेट में छोटे-छोटे चीरे लगाए गए, जिससे खून का नुकसान कम हुआ और मरीज को कम दर्द हुआ.
4-5 सेंटीमीटर के चीरे से डाली गई किडनी
दान की गई किडनी को मरीज के शरीर में सिर्फ 4-5 सेंटीमीटर के चीरे से डाला गया. इसके बाद रोबोटिक सिस्टम से किडनी को मरीज की ब्लड वैसल्स और ब्लैडर से जोड़ा गया. सर्जरी के तुरंत बाद ही मरीज की नई किडनी ने काम करना शुरू कर दिया. मरीज का क्रिएटिनिन लेवल 1.2 तक आ गया और सिर्फ 10 दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
पहले मरीज के बाद चार और ट्रांसप्लांट सफल
AIIMS के सर्जरी विभाग के एक अन्य प्रोफेसर डॉ. कृष्णा असुरी ने बताया कि यह मरीज करीब छह महीने पहले डायलिसिस पर था. जांच और डोनर की पहचान के बाद उसका ट्रांसप्लांट 3 सितंबर को किया गया. पहले केस की सफलता के बाद अब तक चार और मरीजों का रोबोटिक ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, और सभी मरीज स्वस्थ हैं.
क्यों खास है देश की पहली रोबोटिक ट्रांसप्लांट सर्जरी?
AIIMS ने हाल ही में Da Vinci Xi सिस्टम को शुरू किया है, ताकि जटिल सर्जरी भी कम समय और कम दर्द में हो सके. यह तकनीक पब्लिक हेल्थ सिस्टम में बड़ा बदलाव लाएगी. अब सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों को अत्याधुनिक और सटीक उपचार मिल सकेगा. भारत में एंड-स्टेज किडनी डिजीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में रोबोटिक सर्जरी जैसी तकनीकें इलाज को ज्यादा सटीक और सुरक्षित बनाएंगी.
कैसे होती है रोबोटिक सर्जरी?
इस तकनीक में डॉक्टर सीधे हाथ से ऑपरेशन नहीं करते, बल्कि एक कंसोल से चार रोबोटिक आर्म्स को कंट्रोल करते हैं. ये आर्म्स एक कैमरे से मिली 3-डी इमेज के जरिए शरीर के अंदर के हिस्सों को कई गुना जूम में दिखाती हैं. डॉक्टर की हर हरकत मशीन बिना दोहराती है, जिससे सर्जरी बेहद सटीक और सुरक्षित हो जाती है. जहां सामान्य सर्जरी में हाथ की सीमाएं होती हैं, वहीं रोबोटिक सिस्टम उन जगहों तक भी पहुंच जाता है जहां इंसानी हाथ नहीं पहुंच पाते.