IVF Health Risks: आखिर क्यों 50 से ज्यादा उम्र वाले Couples को मना होता है कोई भी फर्टिलिटी प्रोसीजर अपनाना, क्या होते हैं Risks

ART अधिनियम में उम्र की एक सीमा बताई गई है. उससे ज्यादा उम्र वाले माता-पिता को प्रेग्नेंसी की इजाजत नहीं होती है. क्योंकि इससे प्रेग्नेंसी से जुड़े कई स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं. कई बार तो डिलीवरी करते हुए मां की जान को भी खतरा हो सकता है. 

IVF RISKS (Photo: Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
  • 50 से ज्यादा उम्र वालों को मना होता है फर्टिलिटी प्रोसीजर
  • स्वास्थ्य जोखिम और उम्र को लेकर प्रतिबंध 

सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता ने हाल ही में एक बेटे को जन्म दिया है. ये प्रेग्नेंसी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) से हुई है. जिसके बाद से ही उम्र और प्रेग्नेंसी को लेकर बहस छिड़ गई है. इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी हस्तक्षेप किया है. मंत्रालय के मुताबिक, सिद्दू मूसेवाला के माता-पिता ने असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया है. एआरटी अधिनियम में उम्र की एक सीमा बताई गई है. उससे ज्यादा उम्र वाले माता-पिता को प्रेग्नेंसी की इजाजत नहीं होती है. क्योंकि इससे प्रेग्नेंसी से जुड़े कई स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं. कई बार तो डिलीवरी करते हुए मां की जान को भी खतरा हो सकता है. 

आईवीएफ क्या है? 

इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक मेडिकल प्रोसीजर है जिसका उपयोग प्रेग्नेंसी को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है. इसमें ओवरी से एग निकाला जाता है, और फिर उन्हें लेबोरेटरी में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है. इस प्रोसेस के होने के बाद इस भ्रूण (Embryo) को महिला के यूट्रस में ट्रांसफर कर दिया जाता है. आईवीएफ की सिफारिश आम तौर पर उन जोड़ों के लिए की जाती है जो बच्चा नहीं कर सकते हैं या जो IVF से बच्चा करने का ऑप्शन चुनते हैं. लेकिन इसमें कई प्रतिबंध होते हैं. जैसे इसके लिए एक निर्धारित उम्र होती है, अगर होने वाले मां की उम्र ज्यादा है तो इससे उनके स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है. 

केंद्र का हस्तक्षेप

सिद्धू मूसेवाला मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का हस्तक्षेप माता-पिता की बढ़ती उम्र के बारे में चिंताओं से उपजा है. एआरटी अधिनियम में जितनी उम्र का जिक्र किया गया है, सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता की उम्र उससे ज्यादा है. अधिनियम के अनुसार, एआरटी सर्विस 21 से 50 साल की उम्र की महिलाओं और 21 से 55 साल की उम्र के पुरुषों के लिए है. ये मां और बच्चे दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं.

स्वास्थ्य जोखिम और उम्र को लेकर प्रतिबंध 

जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उनके अंडों की गुणवत्ता कम हो जाती है, जिससे आईवीएफ की सफलता दर प्रभावित होती है और भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यताएं होने की संभावना बढ़ जाती है. बढ़ी हुई उम्र डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर, समय से पहले प्रेग्नेंसी, मिसकैरेज का खतरा बढ़ाती है, जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान जान को भी खतरा हो सकता है. 

इतना ही नहीं बल्कि बुजुर्ग माता-पिता को पालन-पोषण की शारीरिक मांगों को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. जिससे संभावित रूप से बच्चे के पालन-पोषण पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, बच्चे की कम उम्र में माता-पिता की मृत्यु की संभावना बच्चे की देखभाल जैसे मुद्दे भी इसमें शामिल हैं. 

 

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