Inspirational: इस 8 साल के बच्चे के लिए फरिश्ता बने आर्मी के कैप्टन... मिलिट्री डॉक्टर की वजह से मिली आवाज

यह बच्चा जन्म से ही क्लेफ्ट लिप और पैलेट (कटे होंठ और तालु) की समस्या से जूझ रहा था और कभी बोल नहीं पाया था.

Captain Saurabh Salunkhe helps Akshay to speak (Photo: X/FatimaDar_jk@)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:39 AM IST

जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के कैप्टन (डॉ.) सौरभ सालुंखे ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि वह पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गए हैं. सेना में अपनी जिम्मेदारियों से ऊपर उठकर उन्होंने एक आठ साल के बच्चे को उसकी बोलने की क्षमता दिलाकर मिसाल कायम की है. यह बच्चा जन्म से ही क्लेफ्ट लिप और पैलेट (कटे होंठ और तालु) की समस्या से जूझ रहा था और कभी बोल नहीं पाया था. 

ग़रीब परिवार की उम्मीदें टूट चुकी थीं
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के दूरस्थ दुग्गन गांव का रहने वाला अक्षय शर्मा सामान्य परिवार से है. अक्षय के पिता कुलवंत शर्मा मज़दूरी करते हैं. उन्होंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब उनका बेटा पैदा हुआ तो डॉक्टरों ने भरोसा दिलाया था कि वह धीरे-धीरे बोलना शुरू कर देगा. लेकिन सालों बीत गए और अक्षय की ज़ुबान अब भी खामोश रही. महंगे इलाज़े की सुविधाएं न होने और आर्थिक तंगी के कारण परिवार ने बेटे की आवाज़ सुनने की उम्मीद छोड़ दी थी. 

आर्मी मेडिकल कैंप में मिली नई राह
जून 2024 में दुग्गन गांव में स्थानीय लोगों के लिए एक आर्मी मेडिकल कैंप लगाया गया था. इसी कैंप में अक्षय की मुलाकात हुई कैप्टन (डॉ.) सौरभ सालुंखे से, जो मरीजों की जांच कर रहे थे. अक्षय की हालत देखकर सौरभ भावुक हो गए. उन्होंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अक्षय का ऑपरेशन 3.5 साल की उम्र में पठानकोट सिविल हॉस्पिटल में हुआ था. इस ऑपरेशन से उसका शारीरिक दोष ठीक हो गया था, लेकिन बोलने की क्षमता अब भी नहीं आई थी.”

खुद सीखी स्पीच थेरेपी
दुग्गन जैसे दूरदराज़ क्षेत्र में स्पीच थेरेपी जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं. इस चुनौती को देखते हुए कैप्टन सौरभ ने फैसला किया कि वे खुद स्पीच थेरेपी तकनीक सीखेंगे. उन्होंने यूट्यूब और सोशल मीडिया पर शोध कर थ्योरी पढ़ी और प्रैक्टिस शुरू की. इंटर्नशिप के दौरान स्पीच थेरेपी से उनका परिचय हुआ था, लेकिन उन्होंने इसे कभी प्रैक्टिस नहीं किया था. 

अक्षय की मदद के लिए उन्होंने इसे शुरू से सीखा. कैप्टन सौरभ ने अक्षय को हर दिन तीन घंटे ट्रेनिंग देना शुरू किया. 

  • पहला हफ्ता: गरारे कराए और वोकल ट्रैक्ट को एक्टिव करने की कोशिश
  • दूसरा हफ्ता: जुबान और जबड़े की हरकतों का कंट्रोल
  • तीसरा हफ्ता: गरारे करना और गले से आवाज़ निकालना
  • चौथा हफ्ता: होठों से निकलने वाली ध्वनियों (labial sounds) पर काम
  • पांचवां हफ्ता: तालु की ध्वनियां (palatal sounds) सिखाना
  • आगे: अक्षरों और शब्दों का अभ्यास

आठ हफ्तों में बोलने लगा अक्षय
कैप्टन सौरभ की मेहनत रंग लाई. सिर्फ आठ हफ्तों में अक्षय ने पहले शब्द बोलना शुरू कर दिया. आज अक्षय अपने परिवार और दोस्तों से बात करने की कोशिश करता है. अक्षय की आवाज़ अब खुल गई है. जितना वह बात करेगा, उतना ही बेहतर बोलेगा. 

कैप्टन सौरभ सालुंखे ने अपनी ड्यूटी के साथ-साथ मानवता का परिचय दिया. उनकी लगन और समर्पण ने एक बच्चे की ज़िंदगी बदल दी और एक परिवार की उम्मीदों को नया जीवन दिया. 

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