सालों तक कान से आती रही घंटियां बजने की आवाज... जब गया डॉक्टर के पास, तो दिमाग के अंदर का नजारा देख उड़ गे होश!

एक आदमी को सालों तक कानों के अंदर से घंटी के बजने की आवाज आती थी. कई सालों तक तो वह इस वहम में जीता रहा कि यह उसका भ्रम है. लेकिन जब इस बात से परेशान होकर वह आदमी डॉक्टर के पास पहुंचा तो उसे कुछ ऐसा पता चला कि उसके तो होश ही उड़ गए.

सालों तक रहा ट्यूमर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

जरा सोचिए, एक आदमी को सालों तक कानों के अंदर से घंटी के बजने की आवाज आती थी. कई सालों तक तो वह इस वहम में जीता रहा कि यह उसका भ्रम है. लेकिन जब इस बात से परेशान होकर वह आदमी डॉक्टर के पास पहुंचा तो उसे कुछ ऐसा पता चला कि उसके तो होश ही उड़ गए. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है.

दरअसल, इस आदमी का नाम है डैरेन हैरिस, जिसकी उम्र करीब 59 साल है. डैरेन कान में आवाज आने की समस्या लेकर डॉक्टर के पास गया, जिसके बाद उसकी टिनिटस की जांच हुई. लेकिन जब आगे के इलाज और एमआरआई स्कैन हुआ, तो अंदर एक टेंटोरियल मेनिन्जियोमा नामक का ट्यूमर दिखा. जो उनके दिमाग में पिछले कई सालों से था.

42,21,185 का खर्च
जब डैरेन ने शेफील्ड के नॉर्दर्न जनरल हॉस्पिटल में गामा नाइफ रेडियोसर्जरी करवाई, तो इसके इलाज में लगभग £35,000 यानी 42,21,185 का खर्च आया. जांच के दौरान डैरेन के चेहरे पर एक धातु का फ्रेम लगाया गया. ताकि वे पूरी तरह स्थिर रहें और ट्यूमर को 3डी में मैप करके निकाला जा सके. हालांकि, इलाज तो सफल रहा. लेकिन इसके बाद डैरेन को एपिलेप्सी हो गई. इतना ही नहीं डैरेन का ड्राइविंग लाइसेंस छिन गया और उन्हें एट्रियल फाइब्रिलेशन (एक हृदय रोग) भी हो गया. अपनी डायग्नोसिस के 10 साल पूरे होने पर डैरेन और उनकी पत्नी शैरन ने ब्रेन ट्यूमर रिसर्च के लिए एक फंडरेजिंग इवेंट आयोजित किया, जिसमें ध्यान, आध्यात्मिक मैसेज और टॉम्बोला के माध्यम से £800 से अधिक जुटाए गए.


डैरेन ने बताया अपना एक्सपीरियंस
डैरेन ने इस दौरान बताया कि, 'मुझे दो साल तक टिनिटस था और मेरे डॉक्टर ने मुझे सुनने की जांच के लिए भेजा. उन्होंने कुछ इलाज किए जो मददगार थे और एमआरआई किया लेकिन फिर मुझे बार-बार एमआरआई के लिए बुलाया जाता रहा. मुझे पता था कि कुछ गड़बड़ है लेकिन कोई नहीं बताता था क्यों.आखिरकार जब मुझे न्यूरो सर्जन के पास रेफर किया गया, तो मेरा दुनिया उजड़ गई. उन्होंने कहा कि मुझे ब्रेन ट्यूमर है. ब्रेन ट्यूमर डायग्नोसिस के 10 साल पूरे होना ऐसा कुछ है जिसे मैं कभी हल्के में नहीं लेता. मुझे पता है कि मैं कितना भाग्यशाली हूं कि आज भी जिंदा हूं. लेकिन बहुत से लोग इतने भाग्यशाली नहीं होते, इसलिए ब्रेन ट्यूमर रिसर्च में फंडिंग बहुत जरूरी है. हमें लगातार निवेश की जरूरत है ताकि ज्यादा लोग ऐसे माइलस्टोन तक पहुंच सकें और भविष्य में परिवारों को असली उम्मीद, बेहतर इलाज और अंततः इलाज मिल सके. सौभाग्य से मेरे पास प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस था, लेकिन कई बार लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होता.'

अब डैरेन का परिवार इस समस्या को सीरियस लेकर उन लोगों की मदद करने में जुट गया है, जो ट्यूमर जैसे गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं.

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