सामने आया मंकीपॉक्स का चौथा मरीज, दिल्ली में इलाज के लिए बना डेडिकेटेड वार्ड, नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर्स को दी गई ट्रेनिंग

मंकीपॉक्स के लिए दिल्ली सरकार ने LNJP अस्पताल को मंकी पॉक्स के लिए नोडल हॉस्पिटल बनाया है. यहां 6 बेड्स का एक आइसोलेशन वार्ड है.

मंकीपॉक्स
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST
  • एक से दूसरे में फैल सकता है वायरस
  • टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है

देश का मंकीपॉक्स का चौथा मामला दिल्ली में पाया गया है. जिसके मद्देनजर दिल्ली सरकार ने LNJP अस्पताल को मंकी पॉक्स के लिए नोडल हॉस्पिटल बनाया है. यहां 6 बेड्स का एक आइसोलेशन वार्ड है. मंकी पॉक्स के लिए हॉस्पिटल स्टाफ को ट्रेनिंग दी गयी है. नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर्स और टेक्नीशियन को मंकी पॉक्स की डिटेल जानकारी दी गई. यह बताया गया कि इसके क्या लक्षण होते हैं और कैसे इसके सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं.

इन चीजों के जरिए फैलता है मंकीपॉक्स
डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि इसका टेस्ट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में होता है. यह अलग वायरस है. WHO की गाइडलाइंस और भारत सरकार के निर्देशों को फॉलो कर रहे हैं. बुश मीट और वाइल्ड एनिमल्स के जरिए यह फैलता है. मंकी पॉक्स में मरीज को स्किन पर निशान आता है, रैशेज होते हैं, बुखार, आंखों में लालपन और मसल्स पेन भी इसके लक्षण हैं. 

यह एक DNA वायरस है, इसमें ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन भी होता है. अगर कोई पेशेंट के क्लोज कॉन्टैक्ट में हो, क्लॉथ शेयर करते हैं, तो उसमें भी ट्रांसमिशन हो सकता है.

एक से दूसरे में फैल सकता है वायरस
इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है. इससे बचाव सबसे जरूरी है. मास्क का प्रयोग करना सबसे जरूरी है. सामान्य मास्क का भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है.यदि किसी व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण सामने आते है तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है. इसका टेस्ट स्किन से होता है. इसके जांच से हमें पता चलता है की इंसान में मंकी पॉक्स का वायरस है या कोई दूसरा वायरस.

मरीजों का इस तरह किया जाता है इलाज
मंकी पॉक्स के मरीजों को सिस्टमैटिक ट्रीटमेंट दिया जाता है. अगर बुखार है तो पेरासिटामोल दिया जाता है.अगर किसी को स्किन में प्रॉब्लम है तो स्किन का इलाज किया जाता है.ज्यादातर मंकी पॉक्स के मामले 2 से 3 हफ्ते में ठीक हो जाते है.जिन लोगो की इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें थोड़ी परेशानी होती है.

 

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