आज है World AIDS Vaccination Day, जानें इस वैक्सीन को लेकर क्या हैं भ्रांतियां

एचआईवी को लेकर अभी तक पूरी तरह वैक्सीन बनी भी नहीं है, लेकिन इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां समाज में फैली हैं. कई लोगों का तो ये भी कहना है कि HIV vaccine लगवाने से एचआईवी हो सकता है.

वैक्सीन
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:25 AM IST
  • HIV vaccine लगवाने से नहीं हो सकता है एचआईवी
  • एचआईवी की वैक्सीन पर लगातार हो रहा है शोध

दुनिया भर में हर साल 18 मई को विश्व एड्स टीकाकरण दिवस मनाया जाता है. यह दिन लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ-साथ उन वैज्ञानिकों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने एड्स जैसी गंभीर बीमारी के टीके की खोज की. वैसे तो एड्स के टीके का अविष्कार काफी पहले हो चुका था, लेकिन इसको लेकर आज भी कई भ्रांतियां फैली हैं. चलिए आज हम आपको उन भ्रांतियों की हकीकत के बारे में बताते हैं.

1. HIV vaccine लगवाने से हो सकता है एचआईवी
हकीकत- एचआईवी के टीकों में एचआईवी नहीं होता है और इसलिए किसी व्यक्ति को एचआईवी के टीके से एचआईवी नहीं हो सकता है. टाइफाइड या पोलियो जैसे टीकों में वायरस का कमजोर रूप होता है, जिससे उसका बचाव होता है, लेकिन एचआईवी के टीकों के मामले में ऐसा नहीं है. वैज्ञानिक एचआईवी के टीके इसलिए बनाते हैं ताकि वे असली वायरस की तरह दिखें, लेकिन उनमें एचआईवी नहीं होता. इसे एक फोटोकॉपी की तरह समझें. यह समान दिख सकता है, लेकिन यह एचआईवी वायरस नहीं है. पिछले 25 वर्षों में 30,000 से अधिक लोगों ने दुनिया भर में एचआईवी वैक्सीन अध्ययनों में भाग लिया है, और किसी भी परीक्षण किए गए टीके से कोई भी एचआईवी से संक्रमित नहीं हुआ है, क्योंकि उनमें एचआईवी नहीं है.

2. एचआईवी की कोई वैक्सीन नहीं है
हकीकत- वैसे तो एचआईवी या एड्स के खिलाफ अभी तक कोई लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है, लेकिन एचआईवी के खिलाफ एक प्रभावी टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिक पहले से कहीं ज्यादा सफल हो रहे हैं. 2009 में, थाईलैंड में RV144 नामक एक बड़े पैमाने पर किए गए वैक्सीन अध्ययन से पता चला है कि एक वैक्सीन कॉमबीनेशन लगभग 32 प्रतिशत नए संक्रमणों को रोक सकता है. शोधकर्ता यह समझने लगे हैं कि इस टीके के संयोजन ने क्यों काम किया और इसमें कैसे सुधार किया जाए. दुनिया भर के शोधकर्ता आए दिन एचआईवी के टीके की खोज करते रहते हैं. शोधकर्ताओं के इस प्रयास का नेतृत्व एचआईवी वैक्सीन ट्रायल नेटवर्क (HIV Vaccine Trials Network) करता है, जो दुनिया में एचआईवी वैक्सीन शोधकर्ताओं का सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित समूह है. एचवीटीएन (HVTN) एचआईवी को रोकने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका खोजने का एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है. यह यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा वित्त पोषित है.

3. वैक्सीन की स्टडी में चूहे की तरह होता है इंसानों का इस्तेमाल
हकीकत- एचआईवी के वैक्सीन को लेकर फैली ये भ्रांति गलत है. क्योंकि वैक्सीन की स्टडी के लिए आप अपने मत मुताबिक हां या न कह सकते हैं. अध्ययन में शामिल होने वाले सभी लोगों से उनकी सहमति ली जाती है. उन्हें एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसमें लिखा होता है कि अध्ययन में शामिल होने वाला व्यकित सभी जोखिमों और लाभों को समझता है.  इतना ही नहीं आप किसी भी वक्त इस अध्ययन को छोड़ भी सकते हैं. 

4. एचआईवी वैक्सीन अध्ययन में शामिल होने के लिए एचआईवी पॉजिटिव होना जरूरी है
हकीकत- ऐसा बिलकुल नहीं है. हालांकि कुछ रिसर्च ग्रुप ऐसे हैं, जो एचआईवी से संक्रमित लोगों के लिए दवा बना रहे हैं. लेकिन HVTN केवल एचआईवी से बचाव करने वाले टीके बना रहा है, और ये केवल उन लोगों पर ट्राई किया जा रहा है, जिन्हें एचआईवी नहीं है. 

5. सभी को नहीं है एचआईवी टीके की जरूरत
हकीकत- एचआईवी के टीके को लेकर कई लोग ऐसा भी मानते हैं कि जिन लोगों को एचआईवी का खतरा नहीं है, उन्हें इसके टीके की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन हालात कभी भी बदल सकते हैं. इसलिए ये वैक्सीन आपके परिवार, दोस्तों और घर के सदस्यों के लिए बेहद जरूरी है. यहां तक कि अगर किसी व्यक्ति को जोखिम नहीं है, तो वह एक वैक्सीन खोजने के अध्ययन का हिस्सा हो सकता है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को बचाने की उम्मीद है.

 

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