National Vaccination Day: बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक जरूर लगवाएं ये 10 टीके, आज ही नोट कर लें वैक्सीन की ये पूरी लिस्ट

National Immunization Day: बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक कुछ वैक्सीन लगवानी जरूरी होती हैं. ये आपके बच्चे को भविष्य में होने वाली बीमारी से बचाने में मदद करेंगी. यहां हम आपको ऐसे ही 10 टीकों की लिस्ट बता रहे हैं.

National Vaccination Day 2023
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST
  • बीसीजी वैक्सीन भी लगवाएं
  • ओरल पोलियो वैक्सीन जरूरी है

किसी भी बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन एक रामबाण इलाज है. ऐसे में बच्चे के जन्म के बाद ही डॉक्टर्स वैक्सीनेशन की सलाह देते हैं. ये उन्हें भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचाती हैं. वैक्सीनेशन के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 मार्च को नेशनल वैक्सीनेशन डे मनाया जाता है. दरअसल, वैक्सीनेशन आपके शरीर को वायरस और बीमारियों से बचाने में मदद करता है. इन्हीं के बारे में जागरूक करने के लिए हम आपको बच्चों के लिए 10 सबसे जरूरी टीकों के बारे जानकारी देने जा रहे हैं. 

भारत में बच्चों के लिए 10 सबसे जरूरी टीके

1. बीसीजी वैक्सीन

BCG या Bacillus Calmette-Guérin है वैक्सीन टीबी से बचाने में मदद करती है. बीसीजी का टीका ट्यूबरक्लोसिस से बचाने में सबसे प्रभावी है. भारत जैसे देश के लिए, जहां टीबी बड़े पैमाने पर है और आसानी से फैलता है, ऐसे में ये टीका जरूरी है. जन्म के कुछ दिनों के भीतर डॉक्टर आपके बच्चे को बीसीजी का टीका लगाने की सलाह देते हैं. जन्म से 6 महीने के बीच में कभी भी इस वैक्सीन को लगाया जा सकता है. 

बता दें, भारत में 1948 में बड़े पैमाने पर बीसीजी वैक्सीन की शुरुआत हुई थी. यह न केवल भारत के नेशनल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल का हिस्सा है, बल्कि यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सबसे जरूरी दवाओं की लिस्ट में भी शामिल है. 

2. हेपेटाइटिस बी का टीका

हेपेटाइटिस बी लिवर का इंफेक्शन है. यह अक्सर एक क्रोनिक स्थिति बन सकती है, खासकर जब शिशु का लिवर इन्फेक्ट हो गया हो तो. इतना ही नहीं बल्कि ये स्थिति बच्चे को आजीवन परेशानी कर सकती है. सबसे बड़ी है कि इस वायरस का कोई इलाज नहीं है. इन सभी कारणों से हेपेटाइटिस बी आपके बच्चे को लगने वाले पहले टीकों में से एक होना चाहिए. भारत ने इस टीके को साल 2002 में लॉन्च किया था. अब यह नेशनल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल का हिस्सा है. डॉक्टर जन्म के तुरंत बाद और निश्चित रूप से 24 घंटों के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने की सलाह देते हैं. इसकी तीन डोज देनी होती है, जो अलग-अलग समय पर दी जाती है. 

3. ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV)

पोलियो वायरस एक ऐसी बीमारी का कारण बनता है जो आपको अपंग कर सकती है. लेकिन भारत ने 2014 में पोलियो मुक्त होने की घोषणा कर दी थी. टीकाकरण में चूक होने से आपका बच्चा पोलियो से पीड़ित हो सकता है. बच्चों को जन्म के समय या जन्म के 25 दिनों के भीतर जितनी जल्दी हो सके पोलियो का टीका लगवाना चाहिए. इसकी भी कई डोज होती हैं, जो 14 सप्ताह तक दी जाती हैं. 

4. पेंटावेलेंट वैक्सीन

जैसा कि नाम से पता चलता है, पेंटावैलेंट वैक्सीन 5 एंटीजन - डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस और हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (हिब) का एक कॉम्बिनेशन है. खांसी और छींक से फैलने वाला वायरस, डिप्थीरिया बच्चे के नाक और गले को प्रभावित करता है. इससे छोटे बच्चों के दिल, किडनी और लिवर को नुकसान पहुंच सकता है. पेंटावेलेंट वैक्सीन न केवल आपको इन घातक बीमारियों से बचाने में मदद करती है, बल्कि यह हेपेटाइटिस बी और हिब के टीकों की प्रभावशीलता को भी बढ़ाता है. इसे तीन डोज में दिया जाता है - पहला 6 सप्ताह पर, दूसरा 10 सप्ताह पर और तीसरा 14 सप्ताह पर.

5. रोटावायरस वैक्सीन (RVV)

रोटावायरस एक तेजी से फैलने वाला वायरस है. ये अधिकतर छोटे बच्चे जब खेलते हैं, जैसे पार्क या डेकेयर सेंटर पर इंफेक्ट करता है. इससे बुखार, ऐंठन, उल्टी और दस्त हो सकते हैं. रोटावायरस वैक्सीन, पेंटावैलेंट वैक्सीन की तरह, डोज में दी जाती है. जैसे 6, 10 और 14 सप्ताह पर. 

6. न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV)

न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन या पीसीवी, खतरनाक बीमारियों से बचाती है विशेष रूप से निमोनिया. यह बैक्टीरिया किसी ऐसे व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैल सकता है. निमोनिया आपके शिशु को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है. 2016 और 2017 में, भारत ने 5 राज्यों - उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में पीसीवी वैक्सीन का पायलट रोलआउट किया था. पीसीवी वैक्सीन तीन डोज में दी जाती है - एक 6 सप्ताह में, एक 14 सप्ताह पर, और अंतिम 9 महीने में.

7. मीसल्स-रूबेला वैक्सीन (MR)

इसमें बच्चे के शरीर पर लिम्फ नोड्स और चकत्ते हो जाते हैं. एमआर वैक्सीन, जिसे भारत दो खुराक में दिया जाता है. पहला एमआर शॉट लगभग 9 से 12 महीने में दिया जाता है, जबकि दूसरा बच्चा 2 साल का हो जाए उससे पहले दिया जाता  है. 

8. इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (IPV)

पोलियोवायरस को पूरी तरह खत्म करने के एक और प्रयास में, भारत ने 2015 में IPV की शुरुआत की थी. ओरल वैक्सीन से अलग डॉक्टर IPV को शरीर में इंजेक्ट करते हैं. शुरुआत में भारत के सिर्फ 5 राज्यों में इसे लगाया जाता था लेकिन अब पूरे देश में ये वैक्सीन लगाई जाती है. 

9. जापानी इन्सेफेलाइटिस वैक्सीन (JE)

मच्छर जनित बीमारी, जापानी एन्सेफलाइटिस भारत के कुछ हिस्सों में आम है. जेई के संकेत और लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, ये ज्यादातर बुखार और सिरदर्द जैसे हल्के होते हैं. हालांकि, कुछ गंभीर मामलों में सिरदर्द, तेज बुखार, दौरे और अंत में मृत्यु हो जाती है. जेई का टीका जन्म के 9 से 12 महीने के बाद दिया जाता है, इसके बाद 1 से 24 महीने में बूस्टर शॉट दिया जाता है.

10. विटामिन ए वैक्सीन 

विटामिन ए वैक्सीन भारत में बच्चों के लिए सबसे जरूरी वैक्सीन में से एक है. दरअसल, विटामिन ए की कमी से बच्चों में अंधापन हो सकता है, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में. यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे दृष्टिहीन जीवन जीने का जोखिम न उठाएं, टीके की 9 डोज दी जाती हैं. डॉक्टर 9 महीने में एमआर वैक्सीन के साथ पहली डोज देगा, दूसरी डोज 16-18 महीने पर. इसके बाद, अपने बच्चे के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर आपको ध्यान रखना होगा क्योंकि उनके लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी होगी. 

(Disclaimer- यहां बताई गई सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. कुछ भी अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)


 

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