यह बात तो जगज़ाहिर है कि नींद पूरी न होने से याद्दाश्त जाने (Dementia) का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि बहुत ज्यादा नींद लेना भी इस मामले में उतना ही हानिकारक हो सकता है. रिसर्च में पाया गया है कि रात में औसतन नौ घंटे सोने से दिमाग की उम्र बढ़ सकती है. इससे बाद के जीवन में याद्दाश्त से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों की स्टडी में पाया गया कि ज्यादा नींद लेने से प्रतिभागियों के दिमाग की उम्र में औसतन साढ़े छह साल का इजाफा होता है. उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि 'लंबी नींद की अवधि' डिमेंशिया के लिए जोखिम कारक हो सकती है.
कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्च में 27-85 वर्ष की उम्र के 1,853 स्वस्थ वयस्कों का चयन किया गया. स्टडी में देखने की कोशिश की गई कि उनकी नींद की अवधि उनके दिमाग को कैसे प्रभावित करती है. इसके बाद हर चार साल में प्रतिभागियों की याद्दाश्त, रीज़निंग और 'दृश्य-स्थानिक जागरूकता' (Visual-Spatic Awareness) और रिएक्शन टाइम के मानकों की जांच की गई.
हर चार साल में प्रतिभागियों ने एक सर्वे में भी हिस्सा लिया. इसमें उन्होंने बताया कि वे हर रात कितने घंटे सोए. जांच और सर्वे से पता चला कि जो लोग दो दशक के अध्ययन के दौरान हर रात नौ या उससे ज्यादा घंटे सोए, उन्होंने चारों परीक्षणों में काफी खराब प्रदर्शन किया. रिसर्च में इसी आधार पर लंबी नींद को अल्जाइमर के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है.
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है. यह रोग चिंता, भ्रम और अल्पकालिक स्मृति हानि का कारण बन सकता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि सबसे खराब परिणाम उन लोगों में देखे गए जिनमें डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दिए. और उनमें जो औसतन रात में नौ या उससे ज्यादा घंटे सोते थे.
क्यों खतरनाक है ज्यादा सोना?
विशेषज्ञ पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं कि अत्यधिक नींद डिमेंशिया में कैसे योगदान दे सकती है. हालांकि स्वीडन की एक स्टडी ने सुझाव दिया है कि इसका कारण हमारे सर्कैडियन लय (Circadian Rhythm) पर पड़ने वाले प्रभाव में छिपा हो सकता है. सर्कैडियन लय यानी हमारे सोने और जागने का प्राकृतिक चक्र जो शरीर के कई कामों को निर्धारित करता है.
स्टॉकहोम में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि दिन के समय सोने से दिमाग की दिन के दौरान जमा होने वाले अपशिष्ट को साफ करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि यह भी संभव है कि शुरुआती अल्जाइमर के कारण होने वाली मस्तिष्क क्षति अत्यधिक नींद की आवश्यकता को बढ़ावा दे सकती है.