पूरी दुनिया में सिर्फ एक महिला का ब्लड ग्रुप है Gwada Negative, जानिए इस दुर्लभ Blood Group के बारे में

फ्रांसीसी कैरेबियाई क्षेत्र ग्वाडेलूप की रहने वाली एक महिला का ब्लड ग्रुप सामने आया है जो एकदम दुर्लभ है क्योंकि इस ब्लड ग्रुप की अब तक धरती वही अकेली इंसान हैं.

Rare Blood Group- Gwada Negative (Representational)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST
  • Gwada Negative की हुई खोज
  • दुर्लभ ब्लड टाइप है यह

हम लोग ज्यादातर A, B, AB, और O ब्लड ग्रुप के बारे में ही सुनते है क्योंकि ये सबसे कॉमन हैं. इनके अलावा, लोगों को बॉम्बे ब्लड ग्रुप के बारे में पता है जो दुर्लभ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके अलावा और भी कई ब्लड ग्रुप सिस्टम हैं जो बहुत कॉमन नही हैं. 

हाल ही में, फ्रांसीसी कैरेबियाई क्षेत्र ग्वाडेलूप की रहने वाली एक महिला का ब्लड ग्रुप सामने आया है जो एकदम दुर्लभ है क्योंकि इस ब्लड ग्रुप की अब तक धरती वही अकेली इंसान हैं. यह ब्लड ग्रुप अब आधिकारिक रूप से दुनिया की 48वीं ब्लड ग्रुप सिस्टम के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है. इस नए ब्लड ग्रुप का नाम "Gwada Negative" रखा गया है.

इस खोज की घोषणा फ्रांस की राष्ट्रीय रक्त सेवा (Établissement français du sang - EFS) ने की, और इसे International Society of Blood Transfusion - ISBT ने मिलान (इटली) में आयोजित अपने सम्मेलन में औपचारिक मान्यता दी है. 

ISBT ने इससे पहले 47 खास ब्लड ग्रुप सिस्टम्स की पहचान की थी. यह नई खोज बहुत लंबे समय बाद सामने आई है. इससे पहले ऑस्ट्रियाई-अमेरिकी जीवविज्ञानी कार्ल लैंडस्टीनर ने 1901 में पहली बार ABO ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज की थी. इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला. 

कैसे चला 'Gwada Negative' का पता?

वर्तमान में 68 वर्षीय यह महिला अब पेरिस में रहती हैं. 2011 में जब वह एक सामान्य सर्जरी से पहले खून की जांच करवा रही थीं, तभी डॉक्टरों को उनके रक्त में कुछ असामान्य दिखा.

जांच के दौरान उनके रक्त को किसी भी ब्लड ग्रुप सिस्टम में फिट नहीं किया जा सका. उनके ब्लड में एक "बहुत असामान्य" एंटीबॉडी पाई गई, और उनके खून का मिलान किसी भी कॉमन ब्लड टाइप से नहीं हो सका. तब इसके बारे में पता चला. 

क्यों है यह अलग ब्लड ग्रुप?

EFS से जुड़े एक जैव वैज्ञानिक डॉ. थियरी पेयरार्ड ने AFP को बताया कि 2011 में ही इस असामान्यता को देखा गया था, लेकिन उस समय की तकनीक इस गुत्थी को सुलझाने के लिए पर्याप्त नहीं थी. करीब आठ साल बाद, 2019 में, उन्नत हाई-थ्रूपुट डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक की मदद से उनके खून की दोबारा जांच की गई. 

इस गहन अनुवांशिक विश्लेषण में यह सामने आया कि उनके PIGZ नामक जीन में एक म्यूटेशन है, जो लाल रक्त कोशिकाओं पर कुछ विशिष्ट प्रोटीनों की संरचना को बदल देता है. इस महिला को यह जीन उत्परिवर्तन अपने माता-पिता दोनों से विरासत में मिला, जिससे वह दुनिया में इस विशेष ब्लड ग्रुप की एकमात्र ज्ञात वाहक बन गईं.

क्यों इतने कॉम्पलेक्स हैं ब्लड टाइप्स?

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग अपने ब्लड टाइप को A, B, AB या O (Rh फैक्टर के साथ) के रूप में जानते हैं. लेकिन इंसान के शरीर में ब्लड सेल्स पर 600 से ज्यादा तरह के एंटीजन होते हैं.
हर अलग कॉम्बिनेशन एक नया ब्लड टाइप बना सकता है.

इसीलिए ISBT ब्लड ग्रुप सिस्टम्स को मान्यता देता है, न कि हर एक व्यक्तिगत ब्लड टाइप को. ABO और Rh सिस्टम सबसे कॉमन हैं, लेकिन और भी कई सिस्टम खोजे जा चुके हैं. Gwada Negative अब "Er" सिस्टम के बाद सबसे लेटेस्ट खोज है, जिसे 2022 में मान्यता मिली थी. 

दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स को जानना है जरूरी 

ब्लड टाइप की जानकारी होना बहुत जरूरी है. खासकर ब्लड ट्रांसफ्यूजन के मामलों में. अगर किसी मरीज को ऐसा ब्लड चढ़ा दिया जाए जिसमें अलग एंटीजन हों, जिन्हें शरीर पहचान नहीं पाता, तो यह गंभीर और जानलेवा हो सकता है.

ABO-Rh सिस्टम से 99.8% मामलों में सफल ट्रांसफ्यूजन संभव होता है. लेकिन दुर्लभ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को सही ब्लड डोनर मिलना बेहद मुश्किल होता है. 

 

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