Type 2 Diabetes Medicine: टाइप 2 डायबिटीज की दवा से भी हो सकता है ऑटोइम्यून डिजीज का इलाज: अध्ययन

एक रिसर्च में कहा गया है कि टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक ऐसी दवा की खोज की है, जो ऑटोइम्यून डिजीज का भी इलाज कर सकती है.

type 2 diabetes medicine
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:14 PM IST

Swansea यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली दवा का इस्तेमाल ऑटोइम्यून डिजीज के इलाज के लिए किया जा सकता है. यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, हेल्थ एंड लाइफ साइंस के रिसर्चर्स ने पाया है कि Canagliflozin का उपयोग ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे कि रुमेटीइड गठिया और सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस के इलाज के लिए किया जा सकता है क्योंकि यह टी-सेल्स को टारगेट करता है. कैनाग्लिफ्लोजिन दवा है जो टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करती है.

कैनाग्लिफ्लोज़िन से हो सकता है उपचार

शोध ने बताया है कि ऑटोइम्यूनिटी में टी-सेल metabolism को टारगेट करने से लाभ हो सकते हैं. टी-सेल्स एक प्रकार के व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं जो शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं, लेकिन ऑटोइम्यून डिजीज में ये हेल्दी टिशूज पर हमला करने लगते हैं. मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा फंडेड और सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि कैनाग्लिफ्लोज़िन टी-सेल के एक्टिवेशन को कम कर देता है, इसलिए T-cell driven autoimmunity के उपचार के रूप में इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है.

ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए कैनाग्लिफ्लोज़िन का इस्तेमाल

शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारा ये निष्कर्ष बेहद जरूरी है क्योंकि ये ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज के लिए कैनाग्लिफ्लोज़िन की सलाह देते हैं. चूंकि ये दवा पहले से ही व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है इसलिए किसी भी नई दवाओं की तुलना में ज्यादा बेहतर साबित होगी.

क्या होते हैं ऑटोइम्यून डिजीज

जब हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही कोशिकाओं पर हमला कर देता है, इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है. इसमें गठिया, ल्यूपस, एलोपेसिया (पैच में बाल झड़ना), पेट संबंधी दिक्कतें, सोरायसिस, सीलिएक रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि सभी ऑटोइम्यून बीमारियां शामिल हैं.

कब होता है डायबिटीज

डायबिटीज में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर उत्पादित इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता. इस वजह से शरीर ब्लड में मौजूद शुगर को आपकी कोशिकाओं में नहीं पहुंचा पाता है. इससे ब्लड शुगर का लेवल हाई हो जाता है. डायबिटीज प्रमुख रूप से दो तरह की होती है.

क्या है टाइप 1 डायबिटीज

टाइप-1 डायबिटीज आम तौर पर अनुवांशिक होती है. यानी परिवार में अगर किसी को शुगर की बीमारी रही हो तो ऐसे व्यक्ति में इस बीमारी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है.

टाइप 2 डायबिटीज क्या है

गलत लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण अगर किसी को डायबिटीज होता है तो इसे टाइप 2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जाता है.

 

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