भारत में हर साल करीब 17 लाख से ज्यादा बच्चे जन्म दोष (Birth Defects) के साथ पैदा होते हैं. इनमें से कई बच्चों को समय पर इलाज और सही देखभाल न मिलने की वजह से गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और समय पर जांच न होने के कारण कई मामलों का देर से पता चलता है.
जन्म दोष कई तरह के हो सकते हैं, जैसे दिल से जुड़ी समस्याएं, नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी, हाथ-पैर की बनावट में दिक्कतें और दूसरी फिजिकल और मेंटल डिसऑर्डर. भारत में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहां बच्चे जन्म के तुरंत बाद ही गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं और कई बार उनकी जान तक चली जाती है. यह दीर्घकालिक विकलांगता (Long-Term Disability) के प्रमुख कारणों में से एक है.
हालांकि, अगर इन समस्याओं का समय पर डायग्नोस हो जाए, सही मेडिकल सुविधा मिले और जागरूकता बढ़े, तो इन मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है.
इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए GNT डिजिटल ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग की सीनियर कंसल्टेंट और नियोनेटोलॉजी डिपार्टमेंट की इंचार्ज, डॉ. कौशाकी शंकर से बात की.
बर्थ डिफेक्ट्स क्या होते हैं और इनके कारण?
जब कोई बच्चा जन्म के समय शरीर की बनावट, काम करने की क्षमता या शरीर में होने वाली Metabolism से जुड़ी किसी समस्या के साथ पैदा होता है, तो इसे जन्म दोष या Birth Defects कहा जाता है. ये दोष हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और कुछ मामलों में पूरी जिंदगी प्रभावित कर सकते हैं.
जन्म दोष कितने प्रकार के होते हैं?
1. संरचनात्मक दोष (Structural Defects)- जब शरीर के किसी अंग का विकास सही से नहीं होता, जैसे- दिल की समस्या (Congenital Heart Defects), कटा होंठ और जीभ (Cleft Lip and Palate), रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं (Spina Bifida).
2. इसके अलावा, बच्चे को मेंटल और फिजिकल दिक्कतें भी हो सकती हैं, जैसे-मानसिक मंदता (Intellectual Disabilities), सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy), सुनने और देखने में समस्या.
3. चयापचय संबंधी दोष (Metabolic Disorders)- जब शरीर में जरूरी केमिकल प्रोसेस सही से न हों, जैसे- फिनायल कीटोनूरिया (Phenylketonuria), थैलेसीमिया, डायबिटीज से जुड़ी समस्याएं.
क्या ये जेनेटिक होते हैं?
डॉ. कौशाकी शंकर कहती हैं कि बर्थ डिफेक्ट्स केवल जीन्स पर निर्भर नहीं करते हैं. इसके कई और भी कारण हो सकते हैं.
1. अनुवांशिक कारण (Genetic Causes)
2. पर्यावरणीय कारण (Environmental Causes)
प्रेगनेंसी के दौरान कुछ बाहरी कारण भी बर्थ डिफेक्ट का कारण बन सकते हैं, जैसे अगर मां को प्रेगनेंसी में रुबेला या जीका वायरस हो जाए, तो इससे बच्चे को भी इंफेक्शन हो सकता है. इसके अलावा, खराब पोषण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है. फोलिक एसिड की कमी से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (Neural Tube Defects) हो सकता है. शराब, स्मोकिंग या ड्रग्स से बच्चे में डिफेक्ट हो सकते हैं.
इतना ही नहीं कभी-कभी, प्रेगनेंसी के दौरान ही जीन में अचानक बदलाव हो जाता है (de novo mutation), जिससे बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, डाउन सिंड्रोम कई बार माता-पिता से नहीं आता, बल्कि प्रेगनेंसी के दौरान म्यूटेशन की वजह से होता है.
समय पर जांच और देखभाल से जरूरी
डॉ. कौशाकी कहती हैं, अगर गर्भवती महिलाएं सही समय पर मेडिकल जांच कराएं, बैलेंस डाइट लें और डॉक्टर की सलाह मानें, तो बर्थ डिफेक्ट्स के कई मामलों को रोका जा सकता है. जागरूकता और सही इलाज से कई बच्चों को स्वस्थ जीवन दिया जा सकता है.
क्या जन्म से पहले जन्म दोष का पता लगाया जा सकता है?
जी हां, जन्म से पहले कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनसे बर्थ डिफेक्ट्स की पहचान और रोकथाम हो सकती है.
1. गर्भधारण से पहले (Preconception Genetic Testing)
अगर माता-पिता को कोई जेनेटिक बीमारी है, तो उनका टेस्ट किया जा सकता है. उदाहरण- सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया.
2. गर्भावस्था के दौरान (Prenatal Genetic Testing)
स्क्रीनिंग टेस्ट- जैसे पहली तिमाही स्क्रीनिंग, नॉन-इनवेसिव प्रीनैटल टेस्टिंग (NIPT), जो खून में फीटस (भ्रूण) के डीएनए की टेस्टिंग करता है.
3. डायग्नोस्टिक टेस्ट (Diagnostic Tests)- जैसे अम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis), कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (CVS), जो फीटस की सेल्स की गहरी जांच करते हैं.
क्या बर्थ डिफेक्ट्स को रोका जा सकता है?
इसे लेकर डॉक्टर बताती हैं कि कुछ बर्थ डिफेक्ट्स को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर जोखिम को कम किया जा सकता है. कन्सीव करने से पहले और प्रेगनेंसी के शुरुआती तीन महीनों तक रोजाना 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स को रोका जा सकता है. आयरन, कैल्शियम, और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लेना भी जरूरी है.
स्मोकिंग से प्रेगनेंसी में कम वजन (Low Birth Weight) और दिल से जुडी बीमारियां हो सकती हैं. वहीं, शराब पीने से फेटल अल्कोहल सिंड्रोम हो सकता है, जिससे मानसिक मंदता हो सकती है.
क्या बर्थ डिफेक्ट्स वाले बच्चों का इलाज संभव है?
जी हां, आज मेडिकल साइंस में कई बर्थ डिफेक्ट्स का इलाज संभव है.
बर्थ डिफेक्ट्स से बचाव के लिए माता-पिता को समय पर जांच, हेल्दी लाइफस्टाइल और सही पोषण पर ध्यान देना चाहिए. इसको लेकर जागरूकता काफी जरूरी है.