पिछले कुछ सालों से बच्चों में तनाव बढ़ा है और उनकी मानसिक सेहत पर सवाल खड़े हुए हैं. इन चुनौतियों का सामना करते वक्त कई बार छात्र-छात्राएं निराशा और डिप्रेशन से घिर जाते हैं. ऐसे में छात्रों की मानसिक सेहत की हिफाजत के लिए एक बड़ी पहल की गई है. एक एआई आधारित ऐप 'नेवर अलोन' विकसित किया गया है जो बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ता. यह ऐप छात्रों की मानसिक सेहत पर नजर रखेगा और खतरा होने पर चेतावनी भी देगा. इसका मकसद युवाओं में डिप्रेशन और अकेलापन से होने वाली खतरनाक मानसिक बीमारियों को रोकना और बच्चों को 24/7 वर्चुअल और ऑफलाइन काउंसलिंग प्रदान करना है. इस ऐप के जरिए बच्चों को मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सकों से 24/7 काउंसलिंग की सुविधा भी दी जाएगी. यह वेब-आधारित ऐप है जो व्हाट्सएप पर चलता है, जिससे डेटा सुरक्षित रहता है. इसकी शुरुआत एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर और इभास जैसे संस्थानों से हो रही है. अन्य संस्थानों के लिए यह ऐप प्रति छात्र 70 पैसे प्रतिदिन के शुल्क पर उपलब्ध होगा. यह मानसिक बीमारियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.