दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना? भाजपा सरकार पर 'आप' के गंभीर आरोप

आम आदमी पार्टी ने भाजपा के ऊफर आरोप लगाए हैं कि वह सरकारी अस्पताल को निजी हाथों में देने की योजना बना रही है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ी हुई है. आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह दिल्ली में बनाए गए सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना बना रही है, जिससे जनता को नुकसान होगा और निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचेगा

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान करीब 24 नए सरकारी अस्पतालों का निर्माण शुरू किया गया था. इन अस्पतालों में हजारों बेड्स की सुविधा देने की योजना थी. शालीमार बाग में 1470 बेड्स वाला अस्पताल लगभग तैयार है, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे चालू करने में देरी की है. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा सरकार इन अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना बना रही है.

आम आदमी पार्टी का आरोप
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने कभी यह नहीं सोचा कि इन अस्पतालों को निजीकरण कर दिया जाए. जब भी ये अस्पताल बनेंगे, तो जनता के लिए फ्री इलाज की सुविधा देंगे." उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह करोड़ों रुपए की बहुमूल्य जमीन और सरकारी खर्चे से बने अस्पतालों को निजी अस्पतालों को सौंपने की योजना बना रही है.

भाजपा की तरफ से इस मामले पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है. पार्टी का कहना है कि अस्पतालों के निर्माण में देरी आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान भी हुई थी. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान अस्पतालों के निर्माण की योजना में कई बाधाएं आई थीं. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने कभी भी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की बात नहीं की.

जनता के लिए क्या है खतरा?
आम आदमी पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में दिया गया, तो इसका सीधा असर दिल्ली की जनता पर पड़ेगा. फ्री इलाज की सुविधा खत्म हो जाएगी और निजी अस्पतालों को फायदा होगा. उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस मामले पर स्पष्ट जवाब दें. यह विवाद दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है. जनता को अब यह जानने की जरूरत है कि क्या भाजपा सरकार वाकई सरकारी अस्पतालों को निजीकरण की ओर ले जा रही है या यह केवल राजनीतिक आरोप है.

 

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