Aam Aadmi Party: दिल्ली सीएम कार्यालय सहित अन्य जगहों से डॉ.भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटाने पर बिफरा AAP, सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी सरकार पर लगाए ये गंभीर आरोप

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर प्रमुख सरकारी स्थलों से डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटाने का आरोप लगाया है. आप विधायक और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के कार्यालय और उनके सरकारी आवास, दोनों से तस्वीरें गायब हैं और सवाल किया कि इतनी नफरत क्यों है?

AAP Leader Saurabh Bhardwaj Made Allegations Against the BJP Government
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:32 PM IST

दिल्ली की राजनीति में शनिवार को एक और बवाल मच गया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर प्रमुख सरकारी स्थलों से डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटाने का आरोप लगाया. यह विवाद अंबेडकर की पुण्यतिथि पर हुआ है, जिससे आरोपों को और बल मिला है. आप विधायक और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के कार्यालय और उनके सरकारी आवास, दोनों से डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें गायब हैं और सवाल किया कि इतनी नफरत क्यों है?

सौरभ भारद्वाज ने दिखाईं पुरानी तस्वीरें
सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और आतिशी के कार्यकाल की पुरानी तस्वीरें दिखाईं, जिनमें डॉ. अंबेडकर और भगत सिंह नेताओं के पीछे प्रमुखता से दिखाई दे रहे थे, और उनकी तुलना रेखा गुप्ता की हालिया तस्वीरों से की, जिसमें केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र दिखाई दे रहा है.

सौरभ भारद्वाज ने लगाए ये आरोप
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल काल के दौरान हर आधिकारिक फोटो और वीडियो में बाबा साहेब को दिखाया गया था. उन्होंने तर्क दिया कि आज इन चित्रों की अनुपस्थिति सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव का संकेत देती है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में भाजपा प्रशासन डॉ. आंबेडकर को उतना सम्मान नहीं देता, और इसे एक व्यापक वैचारिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बताया.

भाजपा ने आरोपों को कर दिया था खारिज 
यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह के आरोप सामने आए हैं. फरवरी 2025 में, जब मुख्यमंत्री कार्यालय से तस्वीरें हटाने के बारे में इसी तरह के दावे उठे थे, तब आप ने विधानसभा के अंदर विरोध प्रदर्शन किया था. उस समय, पार्टी विधायकों ने भाजपा सरकार पर संवैधानिक आदर्शों की अवहेलना करने का आरोप लगाया था, जबकि भाजपा ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था.


 

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