Uttar Pradesh: यूपी में 5000 स्कूलों के मर्जर पर बोले AAP सांसद संजय सिंह, कहा- ये बच्चों से उनके सपने छीनना है

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है कि सरकारी स्कूलों को बंद करना बच्चों से उनके सपने छीनना है और यह पीढ़ियों के भविष्य पर प्रहार है.

AAP Leader Sanjay Singh (Photo/PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बचाने की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच चुकी है और इस जंग के नायक बने हैं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह. संजय सिंह ने न केवल प्रदेश के बच्चों की आवाज उठाई, बल्कि हजारों स्कूलों को मर्ज किए जाने के खिलाफ खुद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. उनका कहना है कि यूपी के मासूम बच्चों का भविष्य किसी राजनीतिक प्रयोग का हिस्सा नहीं बन सकता, और शिक्षा के अधिकार से समझौता कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

संजय सिंह ने SC में दायर की याचिका-
आज यानी 18 अगस्त को उनकी याचिका पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हो रही है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट की माननीय जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष रखा गया है. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में अभिभावकों और बच्चों की पीड़ा को रखेंगे. संजय सिंह का यह कदम उन लाखों परिवारों की उम्मीद बना है, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और जिनका भविष्य सरकार के इस फैसले से प्रभावित हो सकता है.

मर्जर से होगा ये असर-
यूपी सरकार ने करीब 5,000 से अधिक स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद करने की प्रक्रिया शुरू की है. इससे 27,000 परिषदीय विद्यालय प्रभावित होंगे और 1,35,000 सहायक शिक्षक तथा 27,000 प्रधानाध्यापक के पद खत्म हो जाएंगे. शिक्षामित्रों और रसोइयों की सेवाएं भी खतरे में आ जाएंगी. यह स्थिति केवल शिक्षा तंत्र ही नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका को भी प्रभावित करेगी.

10 सालों में सरकारी स्कूलों की संख्या में कमी-
बीते 10 वर्षों में सरकारी स्कूलों की संख्या में देशभर में 8% की कमी आई है, जबकि निजी स्कूलों की संख्या लगभग 15% बढ़ी है. अकेले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. यह तस्वीर साफ दिखाती है कि पूरे देश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था को धीरे-धीरे कमजोर किया जा रहा है, और यूपी इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है. लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार का रुख हमेशा इसके उलट रहा है. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकारों ने सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय स्तर पर खड़ा किया है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों का मॉडल आज पूरे देश में एक उदाहरण बन चुका है, जहां गरीब से गरीब बच्चा भी आधुनिक सुविधाओं और बेहतरीन शिक्षा का हकदार है. यही वजह है कि यूपी में स्कूल बचाने की लड़ाई में संजय सिंह की आवाज देशभर के अभिभावकों और बच्चों की आवाज बन गई है.

स्कूल बंद करना बच्चों के सपनों को छीनना है- संजय सिंह
ऐसे दौर में संजय सिंह ने इस संघर्ष को बच्चों और गरीब परिवारों की असली लड़ाई बना दिया है. उन्होंने प्रदेशभर में अभियान चलाकर माता-पिता और शिक्षकों को जोड़ा और अब सुप्रीम कोर्ट में भी इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों को बंद करना बच्चों से उनके सपने छीनना है और यह पीढ़ियों के भविष्य पर प्रहार है.

अब पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई पर टिकी हैं. अदालत का फैसला आने वाले समय में न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के सरकारी स्कूलों की स्थिति तय करेगा. संजय सिंह इस लड़ाई में बच्चों और माता-पिता के सच्चे नायक के रूप में सामने आए हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि शिक्षा की लड़ाई सबसे बड़ी जनसेवा है.

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